सीतापुर: यूपी के जनपद सीतापुर के एक छोटे से कस्बे में पैदा हुए प्रवीण कुमार ने संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा की परीक्षा में बाजी मारी है. प्रवीण 264 रैंक पाकर आईएएस के पद पर चयनित हुए हैं. उनकी इस कामयाबी से न सिर्फ उनके माता-पिता बल्कि उनके रिश्तेदार भी काफी खुश हैं.
प्रवीण को 5वीं बार में मिली सफलता
प्रवीण ने कक्षा पहली से सातवीं तक की पढ़ाई सीतापुर के सेक्रेड हार्ड इंटर कालेज से की है. इसके बाद में वे नैनीताल चले गए. नैनीताल में होस्टल में रहकर प्रवीण ने कक्षा सात से लेकर इंटर तक की पढ़ाई की. बाद में प्रवीण ने कोटा के रेजोनाम कालेज से आईआईटी की तैयारी की. 2009 में प्रवीण आईआईटी में सेलेक्ट हुए और 125 वीं रेंक हासिल की. 2012-13 में पावर ग्रिड दिल्ली में इंजीनियर के पद पर प्रवीण का सेलेक्शन भी हुआ पर यहां उनका मन नहीं लगा. ट्रेनिंग के 6 महीने बाद ही प्रवीण ने नौकरी छोड़ दी और सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुट गए. चार बार आईएएस की लिखित परीक्षा पास करने के बाद इंटरव्यू में नाकामयाबी मिलने के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और जी तोड़ मेहनत करते रहे. साल 2016 में संघ लोक सेवा आयोग की लिखित परीक्षा और इंटरव्यू पास करने के बाद प्रवीण ने 264वीं रैंक हासिल की है.
कमियों को दूर करने के मकसद ने दिलाई प्रवीण को सफलता
आईएएस बनने की अपनी 5वीं कोशिश में प्रवीण ने सफलता प्राप्त की. सिविल सर्विस के माध्यम से सरकार का अंग बनना उन्हें पसंद रहा है जो कि उन्हें काफी प्रोत्साहित भी करता रहा था. सिविल सर्विस में हर बार उन्हें कुछ नया देखने को मिला और कमियों को दूर करने के मकसद ने ही उन्हें सफलता दिलाई.
जिन्दगी में पिता का रोल मॉडल मानने वाले प्रवीण अपने पिता के किये गए संघर्षो से वाकिफ हैं. असफलता का दबाव भी प्रवीण पर हावी था क्योंकि ये उनकी पांचवी कोशिश थी और उन्होंने पावर ग्रिड दिल्ली में इंजीनिअर की नौकरी भी आईएएस बनने के लिए छोड़ दी थी. अपने फैसले पर उन्हें बार बार शंका भी होती थी. असफलता और हताशा को दरकिनार कर अपने परिवार और दोस्तों के प्रोत्साहन की बदौलत प्रवीण ने सफलता का मुकाम हासिल किया.
आम आदमी और सरकार के बीच की दूरी कम करना चाहते हैं प्रवीण
प्रवीण मानते हैं कि आम आदमी और सरकार के बीच दूरी है. प्रवीण इसी दूरी को ख़त्म कर आम आदमी को बेहतर विकल्प देने की बात करते हैं. युवाओं के लिए उनका यही सन्देश है कि जो भी सपने देखें उसे पूरा जुरूर करें. कमियों को पहचान कर और उन्हें ख़त्म कर कोई भी युवा अपने सपनों को साकार कर सकता है.
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