जिंदगी ने गरिमा को एक बड़ा झटका दिया था. साल 2015 उनके पिता का निधन हो गया था. इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. घर में रहकर ही उन्होंने यूपीएससी की तैयारी की और कोचिंग नहीं ली. पहले प्रयास में वह प्रीलिम्स ही क्लियर नहीं कर पाईं. लेकिन हार नहीं मानी और दिन-रात एक करके पढ़ाई की और फिर परिवार का नाम रोशन किया.
खुद से की तैयारी
गरिमा की परवरिश बिहार के बक्सर में हुई. पढ़ाई-लिखाई में हमेशा अव्वल रहने वाली गरिमा ने दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज से अकाउंट्स में डिग्री हासिल की. कोरोना काल में जब पूरा देश थम गया था, तब गरिमा ने खुद को पढ़ाई में झोंक दिया. ऑनलाइन संसाधनों की मदद से उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की.
घंटों की पढ़ाई
गरिमा बताती हैं कि उन्होंने घर पर ही पढ़ाई की और रात 9 बजे से सुबह 9 बजे तक पढ़ाई की. इस दौरान उन्होंने पूरी तरह से पढ़ाई पर ध्यान दिया. उनका कहना है कि सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता. बस लगन और मेहनत की जरूरत होती है. गरिमा की कहानी उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो सिविल सेवा की तैयारी कर रहे हैं. उनकी इस सफलता से साबित होता है कि अगर ठान लिया जाए तो कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है.
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