जीवन में मुश्किलों का आना-जाना लगा रहता है, जिससे कुछ लोग बिखर जाते हैं तो कुछ निखरकर निकलते हैं. आज हम आपको एक ऐसे अधिकारी की कहानी बता रहे हैं, जिन्होंने बेहद कम उम्र में ही अपने पिता को खो दिया. वहीं, मां की भी नौकरी नहीं रही, लेकिन उस युवा ने हार नहीं मानी और सफलता की नई इबारत लिख दी. यह कहानी है आईएएस एस. प्रशांत की, जिन्होंने अपने नाम की तरह ही शांत रहकर अपनी सफलता की कहानी लिख दी.
आईएएस अफसर एस. प्रशांत के सामने कई परेशानियां आईं लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और उनसे पार पाने के बाद सफलता पाई. रिपोर्ट्स बताती हैं कि प्रशांत अपने परिवार के इकलौते पुरुष मेंबर थे, जिनसे सबको बहुत उम्मीदें थीं. उनके 12वीं कक्षा में होने पर उनके पिता की कैंसर से मृत्यु हो गयी. इसके बाद उनकी मां ने अपनी नौकरी छोड़ दी. लेकिन प्रशांत ने फैसला कर लिया था कि उन्हें कुछ बड़ा करना है. स्टेट बोर्ड ने 12वीं क्लास तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने मेडिकल फील्ड को चुना.
मेडिकल में किया टॉप
आईएएस एस. प्रशांत ने डीएवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल गोपालपुरम से स्कूली शिक्षा प्राप्त की है. इसके बाद उन्होंने नीट परीक्षा देने का मन बनाया और मेडिकल कॉलेज में दाखिला भी पाया. उन्होंने मद्रास मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई की है. इतना ही नहीं वह वहां भी टॉप कर चुके हैं. मेडिकल की पढ़ाई के दौरान उन्हें 35 ज्यादा मेडल मिले. मद्रास मेडिकल कॉलेज के टॉपर रहे डॉ. एस. प्रशांत ने अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा में सफलता पाई.
पहले प्रयास में मिले 78वीं रैंक
जब वह डॉक्टर के रूप में काम करते थे तब हर दिन 60 से 70 पेशेंट्स से मिला करते थे. लेकिन वह एक सिविल सर्विस अफसर बनकर लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित करने के लिए कार्य करना चाहते हैं. जिसके बाद वह यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करने में जुट गए और पहले ही प्रयास में 78वीं रैंक लाकर परिवार का नाम गर्व से ऊंचा कर दिया.
नान मुधलवन योजना की रही मदद
जब उनसे उनकी सफलता के पीछे के रहस्य के बारे में पूछा गया, तो प्रशांत ने कहा कि नान मुधलवन योजना ने उन्हें परीक्षा की तैयारी करने में बहुत मदद की. वह विशेष रूप से अपने परिवार और अपने शिक्षकों के सहयोग के लिए धन्यवाद देना चाहते हैं. उनके समर्थन के कारण ही मैं आज इस मुकाम को छू सका. मैंने मेडिकल साइंस को अपने वैकल्पिक विषय के रूप में लिया और मेरे एमबीबीएस की पढ़ाई ने इसे आसान बना दिया.
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