IAS Success Story: कर्ज लेकर की UPSC की तैयारी, पढ़ाई के लिए चले सैकड़ों किलोमीटर पैदल, फिर बने IAS
UPSC Success Story: एक गरीब किसान के बेटे ने किलोमीटर पैदल चलकर और कर्ज लेकर पढ़ाई की. असफलता से हिम्मत ना हारकर उन्होंने कड़ी मेहनत की और यूपीएससी परीक्षा में 92 वां स्थान प्राप्त किया.
UPSC Success Story: परिवार के हालात एक दम विपरीत थे. लेकिन उनके अंदर कुछ कर गुजरने का जज्बा था. एक समय ऐसा आया कि पढ़ाई के लिए कई किलोमीटर तक नापने पड़े. मगर पढ़ाई के प्रति लगन ऐसी थी कि किलोमीटरों का सफर पैदल ही गुजर जाता था. एक समय तो ऐसा आया कि पढ़ाई करने के लिए कर्ज तक लेना पड़ा. ये कहानी ऐसे शख्स की है जिसके नाम में ही वीर है और उसके काम भी वीरों वाले हैं. ये कहानी बयां करती है कि सफलता केवल उन्हें मिलती है, जिन्होंने संघर्ष का स्वाद चखा होता है.
ये कहानी है उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव दलपतपुर के रहने वाले वीर प्रताप सिंह राघव की. जिन्होंने कई चुनौतियों का सामना करते हुए यूपीएससी एग्जाम में सफलता हासिल की. उनकी कहानी यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने वाले लाखों कैंडिडेट्स के लिए प्रेरणा है. यूपीएससी परीक्षा में 92 वां स्थान प्राप्त किया. शुरुआती पढ़ाई के लिए आर्य समाज स्कूल, करोड़ा जाते थे. वहीं, उन्होंने छठी क्लास से लेकर 10वीं तक की पढ़ाई के लिए सरस्वती विद्या मंदिर, शिकारपुर जाते थे. स्कूल जाने के लिए उन्हें घर से 5 किलोमीटर दूर जाना पड़ता था. वह इस दूरी को पैदल ही तय करते थे. उस समय गांव में पुल नहीं था जिसकी वजह से वह नदी पार कर स्कूल जाते थे.
पिता ने पैसे लिए उधार
बुलंदशहर के दलपतपुर गांव के एक छोटे किसान ने अपने बेटे वीर प्रताप को यूपीएससी की तैयारी करवाने के लिए ब्याज पर पैसे उधार लिए. उनकी सारी कमाई परिवार के खाने-पीने और अन्य जरूरतों को पूरा करने में चली जाती थी. लेकिन उन्हें अपने बेटे पर पूरा भरोसा था और उन्होंने एग्जाम में सफलता पाई.
दो बार मिली थी असफलता
वीर प्रताप सिंह राघव ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है. उन्होंने यहां से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. इंजीनियरिंग फील्ड से होते हुए उन्होंने दर्शनशास्त्र में 500 में से 306 अंक प्राप्त किए. वीर प्रताप को अपने पहले प्रयास में कामयाबी नहीं मिली थी. उन्होंने एग्जाम में सफल होने से पहले दो और प्रयास किए थे, जिसमें उन्हें असफलता मिली थी. लेकिन असफलता से उन्होंने हार नहीं मानी, मेहनत में जुटे रहे और परीक्षा में सफलता प्राप्त कर ही रुके.
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