IAS Success Story: यदि इंसान मन में कुछ ठान ले और हौसला रखें तो सफलता उसे जरूर मिलती है. चाहे उसकी जिंदगी में कितनी ही परेशानी है क्यों न आए. ऐसा इंसान हर परेशानी से लड़कर सफलता जरूर प्राप्त करता है. इसकी जीती जागती मिसाल लखनऊ के 25 साल के आईएएस दिव्यांशु निगम हैं जिन्होंने कोरोना से हुई पिता की मौत के बाद भी हौसला रखा और अपने लक्ष्य को प्राप्त किया.


दिव्यांशु के आईएएस अफसर बनने का सफर बहुत संघर्ष भरा रहा. जब वह यूपीएससी के इंटरव्यू की तैयारी कर रहे थे तभी कोरोना में इनके पिता की मृत्यु हो गई थी. पिता की मृत्यु के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए संघर्षरत रहे और सिविल सेवा परीक्षा में उन्होंने 44 रैंक हासिल की. यूपीएससी परीक्षा क्लियर करने के दिव्यांशु के जूनून और कड़ी मेहनत ने उन्हें सफलता दिलाई.  


दिव्यांशु के यूपीएससी एग्जाम क्लियर करने से उनके पिता बेहद खुश थे. लेकिन उनके फाइनल इंटरव्यू से पहले कोविड-19 से उनका देहावसान हो गया था. पिता को खो देने के बाद भी दिव्यांशु ने हौसला बनाए रखा. उन्होंने पिता के सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत की. तीसरे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा क्लियर कर 44 वीं रैंक के साथ आईएएस भी बने. उन्होंने अपने तीसरे प्रयास में यूपीएससी मेन्स परीक्षा क्लियर की थी.


ये दी सलाह


सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे अभ्यार्थियों को दिव्यांशु ने सलाह दी कि वह रोजाना करीब 8 से 10 घंटे पढ़ाई करें. उनका कहना है कि कड़ी मेहनत,लगन के साथ पढ़ाई करने के साथ-साथ सही गाइडेंस मिल जाए तो वह आसानी से सिविल सेवा परीक्षा में सफल हो सकते हैं.


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