Success Story: सफलता कभी किसी की शकल और बैकग्राउंड को देखकर नहीं मिलती सफल वो होते हैं जिनके हौसले बुलंद होते हैं. आज हम आपको एक ऐसे अफसर की कहानी बताने जा रहे हैं जिसका बचपन संघर्ष में बीता छोटी सी उम्र में पिता को खो दिया. मां ने अनाथालय भेज दिया. लेकिन अनाथालय में बड़े हुए उस लड़के ने कड़ी मेहनत की और यूपीएससी एग्जाम में सफलता पाई. उन्होंने अपने जूनून के चलते जो उनके सामने आभाव थे उन्हें कड़ी टक्कर दी.


ये कहानी है 2011 यूपीएससी परीक्षा में 226 वीं रैंक पाने वाले मोहम्मद अली शिहाब की. शिहाब का बचपन बेहद ही ज्यादा संघर्ष में बीता. उनका जन्म केरल के एक गांव में हुआ था. जब वह काफी छोटे तब वह अपने पिता के साथ बांस की टोकरियों की दुकान पर कार्य करते थे. लेकिन एक ऐसा आया कि उनके पिता का हाथ उनके सिर से उठ गया. साल 1991 में शिहाब के पिता का बीमारी की वजह से निधन हो गया था. जिसके बाद गरीबी में जी रहे परिवार के सामने और मुश्किलें आ गईं. शिहाब के अलावा उनके चार और अन्य भाई-बहन थे. मां ने गरीबी की वजह से सभी को अनाथालय भेज दिया.


दे चुके हैं कई परीक्षा


शिहाब ने 10 साल अनाथालय में बिताए, जहां वह अपनी बुद्धिमानी के लिए जाना जाता था. हालांकि अनाथालय एक औपचारिक स्कूल नहीं है, फिर भी शिहाब के लिए यह उस जीवन से बेहतर था जहां उसके परिवार को अपने पिता की मृत्यु के बाद जीविकोपार्जन के लिए मजदूरी करनी पड़ती थी.शिहाब तमाम परीक्षाओं में शामिल हो चुके हैं. जिनमें वनविभाग, जेल वार्डन और रेलवे टिकट परीक्षक जैसे पदों के एग्जाम शामिल हैं. शिहाब ने 25 साल की उम्र से सिविल सेवा की तैयारी शुरू की थी. असफलताओं का सामना करने के बाद भी, उन्होंने हार नहीं मानी और तीसरे प्रयास में आईएएस अधिकारी बनने का सपना पूरा किया.


कमजोर थी अंग्रेजी


मोहम्मद अली शिहाब ने 2011 में यूपीएससी परीक्षा में 226 वीं रैंक हासिल की थी. उनकी अंग्रेजी कमजोर थी, इसलिए उन्हें इंटरव्यू में ट्रांसलेटर की मदद लेनी पड़ी. उन्होंने 300 में से 201 अंक हासिल किए. शिहाब अपनी सफलता का श्रेय अपने अनुशासन को देते हैं. उन्होंने कड़ी मेहनत, निरंतर प्रयासों और अनुशासन के बल पर सभी चुनौतियों का सामना किया और सफलता हासिल की.


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