IAS Success Story: जिम्मेदारियों से लेकर बैडमिंटन तक सब जगह हिट हैं IAS सुहास एल वाई, इस ब्रांच में की है इंजीनियरिंग
UPSC Success Story: आईएएस सुहास एल वाई यूपी कैडर के अफसर हैं. अपनी शानदार कार्यशैली को लेकर वह अक्सर चर्चा में रहते हैं. साथ ही युवाओं के लिए भी वह एक प्रेरणा हैं.
UPSC Success Story: चाहे प्रदेश में चल रही योजनाओं का फायदा पूरे जिले के लाभार्थियों तक पहुंचाने की बात हो या फिर किन्हीं मुद्दों पर बड़े निणर्य लेने की बात हो वह कहीं भी संकोच नहीं करते हैं. जिस जिले में पोस्टिंग हो जाए उस जिले के लोगों को अपना बना लेते हैं. इतना ही नहीं देश का नाम भी उच्चा करने में भी ये शख्स कहीं पीछे नहीं है. जब-जब पैरालिंपिक का नाम आता है, भारतवासियों को उनसे मेडल की उम्मीद होती है और वो भी देश के लोगों को निराश नहीं करते हैं. हम बात कर रहे हैं तेजतर्रार आईएएस अफसर सुहास एल वाई की.
ओलंपिक खेलों के समापन के बाद अब पैरालिंपिक खेला जा रहा है. भारत के पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी सुहास एलवाई ने फाइनल में जगह बनाई थी. हालांकि उन्हें फाइनल में सफलता नहीं मिली. लेकिन उनके हाथ सिल्वर मेडल लगा है. लगातार दूसरे पैरालिंपिक फाइनल में जगह बनाकर इतिहास रचा. सुहास ना सिर्फ कलेक्टर पद पर रहते हुए अपनी सेवाएं दे रहे हैं, बल्कि इंटरनेशनल लेवल पर भी भारत का परचम लहरा रहे हैं.
यूपीएससी में मिली थी ये रैंक
सुहास एलवाई ने इंजीनियरिंग और पब्लिक पॉलिसी में उच्च शिक्षा प्राप्त की. उन्होंने नौकरी करते हुए यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की और 2007 में सफलता प्राप्त की. उन्हें इस एग्जाम में 382वीं रैंक मिली थी. सुहास एल वाई उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में जिला मजिस्ट्रेट के रूप में कार्य किया और विकास कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया. वह एक शानदार पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ी हैं और वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व भी करते आए हैं. आईएएस सुहास को "सर्वश्रेष्ठ जिलाधिकारी" पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है.
इस विषय में की है पढ़ाई
कर्नाटक के रहने वाले सुहास एलवाई ने सुहास ने 2004 में कर्नाटक के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, सुरथकल से कंप्यूटर इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया. उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई डिस्टिंक्शन के साथ पूरी की. पिता के निधन के बाद उन्होंने सिविल सेवा में जाने का फैसला किया था. उनकी पत्नी भी यूपी कैडर में आईएएस अफसर हैं. सुहास बताते हैं कि उनके माता-पिता ने उन्हें अपने सहपाठियों के साथ खेलने पर जोर दिया और उन्हें इंटर-स्कूल दौड़ में प्रतिस्पर्धा करने दिया. वह कहते हैं उनके अभिभावकों ने कभी महसूस नहीं होने दिया कि उनके अंदर कोई कमी है. आज सुहास का पढ़ाई से लेकर खेल तक सबसे जगह बोलबाला है.
युवाओं के लिए हैं प्रेरणा
सुहास एलवाई की कहानी युवाओं के लिए प्रेरणादायी है. उन्होंने दिखाया है कि कैसे दृढ़ संकल्प और मेहनत से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है. वे उन सभी के लिए एक आदर्श हैं जो सिविल सेवाओं में जाने या फिर खेलों में नाम कमाने का सपना देखते हैं.
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