माता-पिता की मृत्यु किसी के भी जीवन का सबसे बड़ा झटका होता है. दुखों का ऐसा ही पहाड़ जब मासूम अंशिका जैन पर टूटा, तो उनका सहारा बने दादी और चाचा. दरअसल, अंशिका को अधिकारी बनते देखना दादी का सपना था, जिसे पूरा करने के लिए अंशिका ने वह सब कुछ करने का फैसला किया, जो वह कर सकती थीं. यूपीएससी में अंशिका जैन.की सफलता असाधारण इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प वाली कहानी ही है. आइए जानते हैं, उन्होंने कैसे कठिन राह पर चलकर मुकाम हासिल किया है.


दादी का सपना था, अंशिका बनें सिविल सेवक


दिल्ली की रहने वाली, अंशिका ने पांच साल की उम्र में ही अपने माता-पिता दोनों को खो दिया था. अंशिका अपनी दादी की उन कहानियों को सुनती हुई बड़ी हुईं, जिसमें शिक्षा के महत्व और समाज के लिए उपयोगी साबित होने की बातें होती थीं. एक शिक्षिका होने के नाते उन्होंने अपनी पोती में अच्छी शिक्षा की लौ जगाई. साथ ही, बताई अंशिका को एक दिन सिविल सेवक बनते देखने का सपना.


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यहां से की पढ़ाई

दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज से बी.कॉम करने वाली अंशिका ने एम.कॉम के साथ-साथ ही यूपीएससी की तैयारी शुरू की. ग्रेजुएशन लेवल की पढ़ाई के तुरंत बाद उन्हें देश की सबसे बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों में से एक में अच्छी नौकरी मिल गई, लेकिन उन्होंने इसे छोड़ दिया और सीएसई की तैयारी के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया.


अंशिका कहती हैं- दादी नहीं चाहती थीं मै उस सपने को छोड़ दूं


अंशिका ने 2019 में अपनी दादी को खो दिया. तब वह यूपीएससी सीएसई की तैयारी कर रही थी. यह उनके जीवन के सबसे कठिन समय में से एक था. उन्हें इस बात का गहरा दुख है कि दादी उनके सपने को पूरा होते हुए नहीं देख सकीं. उन्होंने एक बार फिर से अपनी तैयारी शुरू कर दी. उन्होंने कहा कि कभी नहीं चाहती थी कि मैं उस सपने को छोड़ दूं. मुझे खुशी है कि आखिरकार मैंने उनका सपना पूरा कर दिखाया.



अंशिका शुरुआती दौर में अपनी तैयारी को लेकर बहुत साफ नहीं थीं. उनके चाचा, चचेरे भाई-बहनों और दोस्तों ने पूरे समय उनका मार्गदर्शन किया और हर कदम पर उनकी मदद की. आखिरकार उन्होंने अपनी रणनीति बदली और परीक्षा के तीनों राउंड में जितना संभव हो सके, उतने मॉक की प्रैक्टिस की.ऑप्शनल सब्जेक्ट के तौर पर उन्होंने कॉमर्स और अकाउंटेंसी को चुना, क्योंकि मुझे इन विषयों में सामान्य रुचि थी. साथ ही इनको लेकर बेसिक आइडिया भी था.


इंटरव्यू में भी छोड़ी थी छाप


अंशिका छोटी उम्र से ही ग्रैटिटूड जर्नलिज्म कर रही हैं. इंटरव्यू राउंड में पैनलिस्ट इस शब्द से काफी प्रभावित हुए और उनसे इसके बारे में विस्तार से पूछा. उनसे अपनी पत्रिका में की गई अंतिम लेख के बारे में भी पूछा गया. अंशिका की कड़ी मेहनत और समर्पण रंग लाया, क्योंकि उन्होंने अपने पांचवें प्रयास में यूपीएससी सीएसई 2022 में 306वीं रैंक हासिल की. इससे उन्हें इंडियन पुलिस सर्विस यानी आईपीएस मिली. वर्तमान में अंशिका अब उन क्षेत्रों में काम कर रही हैं, जहां ध्यान देने और विकास की आवश्यकता है.



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