आईएएस निशान्त जैन का नाम पढ़ने-लिखने वालों और यूपीएससी जैसे प्रतिष्ठित परीक्षा की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों के लिए नया नहीं है. मेरठ जैसे छोटे शहर के पुराने शहरी इलाके के मोहल्ले से उठ कर ग्रुप सी और ग्रुप बी की नौकरियां करने के बाद देश की सबसे प्रतिष्ठित सरकारी नौकरी सिविल सेवा में हिंदी माध्यम से पहला स्थान और पूरे भारत में 13वां स्थान प्राप्त करने वाले निशान्त जैन ने सिविल सेवा परिक्षाओं की चुनौतियों का सामना किया और एक मिसाल बने.
अपने जीवन के संघर्षों की इस विकास यात्रा के बारे में स्वयं निशान्त जैन ने एबीपी न्यूज़ से अपना अनुभव साझा किया है:-
एबीपी न्यूज़: जब से आप हिंदी के टॉपर बन कर उभरे हैं, हिंदी माध्यम से यूपीएससी की तैयारी करने वाला हर अभ्यर्थी अपने आप में एक निशान्त जैन को ढूंढ़ता है. कितना आसान या मुश्किल है निशान्त जैन होना?
निशान्त जैन: बात ‘निशान्त जैन’ बनने की नहीं है, बात है सिविल सेवा परीक्षा अच्छे स्कोर के साथ उत्तीर्ण करने की. रही बात अच्छा स्कोर लाने की या टॉपर बनने की, तो इसके लिए तीन-चार चीज़ें ज़रूरी हैं: पहला विस्तृत लेकिन सटीक अध्ययन, दूसरा बेहतर लेखन कौशल, तीसरा संतुलित दृष्टिकोण और सोच का व्यापक दायरा और चौथा परिदृश्य को समग्र रूप में देखना. इस आयामों को अपना कर अभ्यर्थी तैयारी करे तो उसे सफलता जरूर मिलेगी.
एबीपी न्यूज़: हिंदी माध्यम से यूपीएससी की तैयारी करनेवालों के मन में हमेशा इस बाद का हौव्वा रहता है कि अंग्रेजी माध्याम के अभ्यर्थियों की तुलना में उन्हें कम तरजीह दी जाती हैं. आप हिंदी माध्यम से यूपीएससी परीक्षा के टॉपर्स में शुमार रहे हैं, इस बारे में आप क्या सोचते हैं?
निशान्त जैन: न तो अंग्रेज़ी हौव्वा है और न ही अंग्रेज़ी मीडियम! पर अंग्रेज़ी का कार्यसाधक ज्ञान ज़रूरी है. अंग्रेज़ी का क्वालिफ़ाइंग पेपर पास करने के लिए और सामान्य अध्ययन की तैयारी में काम आने वाली कुछ बेहतरीन वेबसाइटें देखनी आवश्यक होती हैं. हिंदी माध्यम के अभ्यर्थी हिंदी पर ज़बरदस्त और अंग्रेज़ी पर सामान्य पकड़ बनाएं.
एबीपी न्यूज़: चूंकि, आपने नौकरी करते हुए यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की है और टॉपर्स मेंं अपना नाम दर्ज कराया, ऐसे लोग जो नौकरी करते हुए यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करना चाहते हैं, वे हमेशा 'वन स्टॉप सॉल्यूशन' के बारे में सोचते हैं, जैसे कम संसाधन में ज्यादा का प्रॉडक्टिविटी हासिल हो. उनके बारे में आप क्या कहना चाहते हैं?
निशान्त जैन: मेरे ख़याल में, 'वन स्टॉप सॉल्यूशन' जैसी कोई चीज़ यूपीएससी में नहीं होती. नौकरी के साथ-साथ तैयारी करने वाले बहुत सारे अभ्यर्थी हर साल सफलता हासिल करते हैं. इसके लिए ‘टाइम मैनेजमेंट’ ज़रूरी है.
एबीपी न्यूज़: वैकल्पिक विषय के तौर किसी भी विषय के चुवान में अक्सर अभ्यर्थी परेशानियां झेलते हैं, किन पहलुओं पर वैकल्पिक विषय का चुनाव करना चाहिए?
निशान्त जैन: वैकल्पिक विषय चुनते वक़्त तीन-चार चीज़ें देखें- पहला किस विषय में आप ज़्यादा सहज हैं और आपकी रूचि भी उसमें है. दूसरा आपके माध्यम में वह विषय कितना लोकप्रिय है और क्या हाल के वर्षों में अभ्यर्थी उस विषय में सफल हो रहे हैं. तीसरा उस विषय में औसतन कितना स्कोर मिल रहा है. और चौथा उस विषय पर क्या स्टडी मैटेरियल और मार्गदर्शन उपलब्ध है.
एबीपी न्यूज़: आपकी सफलता के बाद 'हिंदी साहित्य' को वैकल्पिक विषय के तौर पर लेने की संख्या में इजाफा हुआ है. हिंदी साहित्य को वैकल्पिक विषय बनाने में क्या सुविधाएं और चुनौतियां होंगी, किसी ऐसे विद्यार्थी, जो हिंदी बस एक विषय के तौर पर स्कूल में पढ़ा हो, के लिए यह विषय कैसा साबित होगा?
निशान्त जैन: हिंदी साहित्य एक लोकप्रिय वैकल्पिक विषय है. अगर किसी अभ्यर्थी को ठीक से हिंदी पढ़ना और सही हिंदी लिखना आता है, तो वह इस विषय को चुनने के बारे में सोच सकता है. पर भाषा और साहित्य में थोड़ी रूचि होना भी ज़रूरी है.
एबीपी न्यूज़: देश की सबसे प्रतिष्ठित सरकारी नौकरी के तौर पर जानें जाने वाली सिविल सेवा में आने के लिए एक अभ्यर्थी के तौर विद्यार्थी को कैसा होना चाहिए?
निशान्त जैन: विद्यार्थी को आस-पास की घटनाओं और माहौल के प्रति सजग, संवेदनशील और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होना चाहिए. निरंतरता और सकारात्मकता किसी भी युवा अभ्यर्थी की पहचान हैं. दूसरों की बातों को भी समझना और उनसे सीखने की प्रवृत्ति बहुत काम आती है. परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है.
एबीपी न्यूज़: आपकी अब तक चार किताबेंं आ चुकी हैं, 'मुझे बनना है यूपीएसी टॉपर' बेस्ट सेलर है. इस किताब का अंग्रेजी संस्करण भी अब आ गया है. बतौर लेखक आपकी आगे की राह क्या होगी. क्या आईएएस निशांत जैन की कलम से लिखा कोई फिक्शन भी पढ़ने को मिलेगा?
निशान्त जैन: सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी पर केंद्रित ‘मुझे बनना है यूपीएससी टॉपर’ मेरी पहली किताब है, जो मेरे दायित्वबोध का कुछ हद तक निर्वहन करती है. मैं चाहता था कि ग्रामीण इलाक़ों के अभ्यर्थी भ्रम से बचें और सही दिशा में आगे बढ़ें. यह किताब अब अंग्रेज़ी और मराठी में भी उपलब्ध है. दूसरी किताब ‘राजभाषा के रूप में हिंदी’ मेरे एमफ़िल के शोध कार्य पर आधारित है, जो नेशनल बुक ट्रस्ट, भारत सरकार से प्रकाशित है. एक बाल कविता संकलन ‘शादी बंदर मामा की’ के नाम से आया है. फ़िक्शन लिखने का फ़िलहाल कोई इरादा नहीं है.
एबीपी न्यूज़: अक्सर बाल साहित्य को लेकर लेखक के लिए चुनौती होती है कि उसकी लेखनी में बच्चों के मन की तरह कोमलता हो. 'शादी बंदर मामा की' के लेखन के दौरान क्या-क्या चुनौतियां थीं?
निशान्त जैन: जब बच्चों के लिए लिखें या उनसे बातें करें, तो बच्चा बनना ज़रूरी है. ‘शादी बंदर मामा की’ में मेरी जो बाल कविताएं छपी हैं, वे सब मैंने अपने बचपन से किशोरावस्था के बीच लिखी थीं.
एबीपी न्यूज़: एक इंटरव्यू में आपने कहा था कि सफलता के बाद इंसान को रुकना नहीं चाहिए. 'जिंदगी एक सतत संघर्ष है.' आईएएस बनने के बाद आने वाले दिनों को लेकर आपकी क्या रणनीति रहने वाली है?
निशान्त जैन: जीवन एक सतत संघर्ष है. आईएएस बनने के बाद अपने पद के दायित्वों का निष्ठापूर्वक निर्वहन ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण है. नौकरी की ज़िम्मेदारियों और चुनौतियों के बीच पारिवारिक और सामाजिक जीवन में तालमेल बैठाना ज़रूरी है.
एबीपी न्यूज़: आप एक सामन्य परिवार से इस प्रतिष्ठित नौकरी में जाते है. आपकी सफलता ने इतना शोर मचाया कि लोग उस निशान्त जैन को भी जानने लगे हैं जो ग्रूप सी की नौकरी करते थे. इन चंद सलों में जिंदगी कितनी बदली है?
निशान्त जैन: एक अच्छी नौकरी मिलने से सम्मान तो मिलता ही है. भारत की सिविल सेवाओं के प्रति आम लोगों में गहरा विश्वास है. ज़िंदगी में व्यस्तता भी बढ़ी है और चुनौतियाँ भी. ख़ुद को मोटिवेट रखते हुए ‘योग: कर्मसु कौशलम’ के मंत्र के अनुरूप कर्मरत रहना ही ध्येय है.
निशान्त कहते हैं, ''मेरा युवा अभ्यर्थियों से कहना है कि वे संविधान के मूल कर्तव्यों में निहित भावना के अनुरूप जिस भी क्षेत्र में काम करें, उत्कृष्टता और बेहतरी के लिए हमेशा प्रयास करते रहें क्योंकि सुधार की गुंजाइश हमेशा रहती है.''
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