APAAR: क्या है ‘वन नेशन, वन स्टूडेंट आईडी’, छात्रों के लिए ये क्यों है जरूरी?
Apaar Card: ‘एक देश, एक छात्र आईडी’ के लक्ष्य के साथ स्टूडेंट्स के लिए अपार कार्ड बनाए जाएंगे. यूनियन एजुकेशन मिनिस्ट्री की इस बारे में क्या योजना है, ये कैसे काम करेगा? जानते हैं डिटेल में.
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What is Apaar Card: आधार कार्ड के बाद अब स्टूडेंट्स के लिए अपार कार्ड बनाए जाने की तैयारी हो रही है. ये कार्ड केवल स्टूडेंट्स के लिए होंगे और इनके बनने के बाद वे इससे ताउम्र कई तरह के फायदे उठा सकेंगे. इसकी थीम वन नेशन, वन स्टूडेंट आईडी है यानी एक देश में एक ही तरह की आईडी जो स्टूडेंट्स के लिए होगी. यूनियन एजुकेशन मिनिस्ट्री ने इस बाबात राज्यों को संदेश भेज दिया है. इसके अंतर्गत स्कूलों द्वारा, माता-पिता की सहमति से स्टूडेंट्स का इनरोलमेंट किया जाएगा. आगे बढ़ने से पहले इसका फुल फॉर्म जान लेते हैं.
क्या है अपार?
इसका फुल फॉर्म है ऑटोमोटेड परमानेंट एकेडमिक एकाउंट रजिस्ट्री जिसे शॉर्ट में अपार के नाम से जाना जाएगा. इसे एजुकेशन इकोसिस्टम रजिस्ट्री या ‘एडुलॉकर’ भी कह सकते हैं. इस प्रक्रिया को भी एनईपी यानी नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 के तहत ही अपनाया जाएगा.
कुछ समय पहले एनईटीएफ ( नेशनल एजुकेशनल टेक्नोलॉजी फोरम) के हेड ने एक ऐसे सिस्टम के बनने की बात कही थी जिसमें पूरा एजुकेशन सिस्टम समाहित हो. यानी टीचर्स, स्टूडेंट्स, कॉलेज और स्कूल सभी कुछ. इसी का फल अपार कार्ड कहा जा सकता है.
कैसे करेगा काम
अपार कार्ड हर स्टूडेंट के लिए उसका यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर होगा. ये प्री प्राइमरी से लेकर हायर एजुकेशन तक इस्तेमाल किया जा सकेगा. इसके माध्यम से स्टूडेंट से रिलेटेड सारा डेटा एक ही जगह पर मिल जाएगा जिसे अपार कार्ड नंबर से कभी भी एक्सेस किया जा सकेगा. स्टूडेंट का रिजल्ट, कॉलेज, स्कूल, अचीवमेंट्स सभी कुछ एक जगह पर मिलेंगे. मोटे तौर पर कहें तो ये स्टूडेंट की एकेडमिक जर्नी का पूरा रिकॉर्ड होगा.
ओलंपियाड से लेकर कोई खास ट्रेनिंग या कुछ भी अगर स्टूडेंट ने किया है तो ये सब डेटा इसके माध्यम से पता किया जा सकेगा. इसकी मदद से स्टूडेंट को स्कूल बदलना हो या कॉलेज सब आसानी से किया जा सकेगा और ये देश के हर हिस्से में काम करेगा.
स्कूलों को उठानी होगी जिम्मेदारी
अपार कार्ड में इनरोलमेंट की जिम्मेदारी स्कूलों को उठानी होगी. वे माता-पिता के कंसेंट से उनके बच्चे का अपार कार्ड बनाएंगे और पैरेंट्स जब भी चाहें अपनी सहमति वापस लेकर इसमें से बच्चे का डेटा हटवा सकते हैं. हालांकि सरकार ने ये आश्वासन दिया है कि ये डेटा कहीं गलत जगह इस्तेमाल नहीं होगा. पर डेटा सेफ्टी को लेकर लोग इसके ऊपर सवाल भी उठा रहे हैं.
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