अप्रेंटिसशिप को हिंदी में प्रशिक्षु कहा जाता है. आसान भाषा में समझा जाए तो अप्रेंटिसशिप (Apprenticeship) एक प्रकार का ट्रेनिंग कार्यकाल होता है जिसमें अभ्यर्थी को औद्योगिक कार्य के लिए ट्रेन किया जाता है. रेलवे से लेकर कई कंपनियां अप्रेंटिसशिप के लिए वैकेंसी निकालती है. इस कार्यकाल के दौरान व्यक्ति एक सामान्य वर्कर की तरह कार्य करता है. इस प्रोग्राम का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें अभ्यर्थी को उद्योग के बारे में सैद्धांतिक ज्ञान के बजाय व्यवहारिक ज्ञान मिलता है जिसकी मदद से उसके कार्य कौशल में निखार आता है. अप्रेंटिसशिप के दौरान अभ्यर्थी को किसी भी प्रकार की क्लास के माध्यम से नहीं पढ़ाया जाता बल्कि उसे इंडस्ट्री के प्लांट में जाकर एक सामान्य वर्कर की तरह कार्य करना होता है.
अप्रेंटिसशिप के लिए ट्रेनिंग 3 माह से लेकर 4 वर्ष तक हो सकती है. हालांकि अधिकतम अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग 6 माह से लेकर 1 वर्ष के लिए होती है. ट्रेनिंग के दौरान अभ्यर्थी को कुछ स्टाइपेंड दिया जाता है.
अप्रेंटिसशिप के लिए योग्यता
यह पात्रता अलग-अलग कंपनियों के अनुसार होता है. जैसे रेलवे की ओर से जब अप्रेंटिसशिप प्रोग्राम ट्रेड अप्रेंटिसशिप के वैकेंसी निकाली जाती है तो इसके लिए भौतिक विज्ञान रसायन विज्ञान और गणित विषय के साथ साथ 12वीं और ITI के संबंधित ट्रेड की मांग होती है.
अप्रेंटिसशिप के दौरान वेतन
अप्रेंटिसशिप के दौरान न्यूनतम वेतन सभी प्रोग्रामों में तकनीकी और शैक्षिक योग्यताओं के आधार पर अलग अलग होता है. भारत के अप्रेंटिसशिप नियमों के अनुसार प्रोग्राम में पहले वर्ष के मुकाबले 10 प्रतीशत और तीसरे वर्ष में 15 प्रतीशत बढ़ोतरी की जा सकती है. अलग अलग योग्यताओं के अनुसार अभ्यर्थियों को मिलते हैं ये वेतन यहां देखें.
- स्कूल पास आउट (कक्षा 5 से 9 ) 5000 प्रति माह
- स्कूल पास आउट (कक्षा 10) 6000 प्रति माह
- स्कूल पास आउट (कक्षा 12) 7000 प्रति माह
- राष्ट्रीय या राज्य प्रमाणपत्र धारक 7000 प्रति माह
- किसी भी स्ट्रीम या सैंडविच कोर्स में तकनीशियन अपरेंटिस या डिप्लोमा धारक (डिग्री संस्थानों के छात्र)- 8000 प्रति माह
- किसी भी स्ट्रीम में ग्रेजुएट अप्रेंटिस या डिग्री अप्रेंटिसशिप या डिग्री धारक-8000 प्रति माह
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