संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिविल सेवा परीक्षा में निबंध का प्रश्न पत्र अभ्यर्थियों के सेलेक्शन में एक निर्णायक भूमिका निभाता है. 250 अंकों के निबंध के प्रश्न पत्र में बेहतर अंक हासिल करने के लिए अभ्यर्थी प्रयासरत रहते हैं. अभ्यर्थियों के लिए चुनौती रहती हैं कि इस प्रश्न पत्र की तैयारी कैसे की जाए. लगातार संघ लोक सेवा आयोग की तरफ से पूछे गए निबंधों में बदलाव देखा गया है. कई निबंधों की प्रकृति ज्यादातर अमूर्त होती है, ऐसे में अभ्यर्थियों में कठिनाई रहती है इन विषयों को किस तरह से समझा जाए और अपनी पकड़ बनाई जाए. दूसरी चुनौती होती है कि कम शब्दों में लेखन कौशल का परिचय देते हुए पूछे गए विषय की अवधारणा को स्पष्ट किया जाए. ये काम गागर में सागर भरने के समान होता है.
इस प्रश्न पत्र की क्या स्ट्रेटजी रहनी चाहिए और किन-किन पहलुओं का ध्यान रख कर अभ्यर्थी अच्छे अंक अर्जित कर सकता है. इस बारे में हिंदी माध्यम से यूपीएससी के दो टॉपर्स- 2014 में 13वीं रैंक हासिल करने वाले निशान्त जैन और 2016 में 33वीं रैंक हासिल करने वाले गंगा सिंह राजपुरोहित ने निबंध के पेपर लिए एक साझा रणनीति एबीपी न्यूज़ से शेयर की है.
निबंध प्रश्न पत्र को ध्यान में रखते हुए निशान्त जैन ने जिन रणनीतियों के बारे में जिक्र किया है, उनमें विषय पर केन्द्रित रहने, विचारों को सुनियोजित रूप से व्यक्त करना, निबंध में सभी पहलुओं को कवर करते हुए कम शब्दों में पूरी बात कहना, आदि शामिल हैं.
विषय पर ही केन्द्रित रहना
निबंध लेखन में बेहतर प्रदर्शन का मंत्र है—विषय की मूल भावना से स्वयं को जोड़े रखना. संपूर्ण निबंध का झुकाव निरंतर विषय की ओर बने रहना चाहिए और परीक्षक को ऐसा बिलकुल भी प्रतीत नहीं होना चाहिए कि विषय से भटकाव हुआ हो. प्रायः निबंध के विषय बहुत सामान्य, पर अमूर्त किस्म के होते हैं. यदि किसी विषय विशेष के सभी पहलुओं (सकारात्मक व नकारात्मक) को कवर करते हुए विचारों को व्यवस्थित ढंग से प्रस्तुत किया जाए तो अच्छे अंक हासिल करना कोई कठिन कार्य नहीं है.
विचारों को सुनियोजित रूप से व्यक्त करना
निबंध न केवल हमारी लेखन शैली का प्रतिबिंब है, बल्कि यह हमारे अब तक के अर्जित ज्ञान, अनुभव और चिन्तन प्रक्रिया का भी निचोड़ प्रस्तुत करता है. अगर हमारे सोचने का ढंग अव्यवस्थित और उलझाऊ होगा तो इसका प्रभाव निबंध पर भी पड़ेगा. बहुत से अभ्यर्थी विचारों की दृष्टि से बहुत समृद्ध और अनुभवी होते हैं, पर निबंध लिखते समय उन विचारों को क्रमबद्ध, सुनियोजित व व्यवस्थित तरीके से अभिव्यक्त नहीं कर पाते. ‘कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा’ की प्रवृत्ति से बचना बेहद जरूरी है. विचारों को सुनियोजित ढंग से व्यक्त करने के लिए एक संक्षिप्त रूपरेखा बना लेना हमेशा बेहतर रहता है. इस रूपरेखा में विषय के विभिन्न संभावित पहलुओं के साथ-साथ कुछ प्रासंगिक उदाहरणों, उक्तियों व पंक्तियों को भी शामिल किया जा सकता है.
संक्षेप में लिखना
कम लिखा जाए, पर प्रभावी लिखा जाए. ध्यान रखने की जरूरत है कि, ‘अति’ हर चीज की बुरी होती है, ‘अति सर्वत्र वर्जयेत्.’ चूंकि तीन घंटे के निर्धारित समय में दो निबंध लिखने होते हैं, अतः निर्धारित शब्द-सीमा का उल्लंघन करने से बचने की जरूरत है. लंबे पैराग्राफ के बदले छोटे पैराग्राफ में लिखना आवश्यक होता है. संक्षेप में लिखना और ‘कम शब्दों में अधिक कहना’ एक कला है और यह निबंध लेखन में ही नहीं, बल्कि अभिव्यक्ति के अन्य तरीकों, यथा—संवाद, भाषण, साक्षात्कार, परिचर्चा और व्याख्यान सभी में काम आती है.
गंगा सिंह राजपुरोहित ने भूमिका और निष्कर्ष लिखने, निबंध लिखने से पहले एक कच्चा ड्राफ्ट बनाने के साथ-साथ भाषा पर पकड़ बनाए रखने के पर जोर दिया है.
निबंध की शुरुआत/ प्रस्तावना
एक बार कच्चा ड्राफ्ट लिखने के उपरान्त सीधे- ही निबंध के परिचय पर विचार करना चाहिए. चूंकि यह निबंध की कुंजी होता है, इसलिए परिचय को बहुत ही सावधानी से लिखना चाहिए. परिचय से तात्पर्य भी यही है कि अभयर्थी अपने पूरे निबंध में क्या लिखने जा रहे हैं, उसका सार ही परिचय में है. परिचय लिखते वक्त ध्यान रखने की जरूरत है कि निबंध का उद्देश्य लेखक के दिमाग में स्पष्ट है तथा निबंध को विषय वस्तु के सभी आयामों को छूते हुए संक्षिप्त में प्रस्तुत करने जा रहा है.
निबंध का समापन अर्थात् निष्कर्ष
निष्कर्ष में सामान्यत: सभी आयामों का सार संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत किया जाता है. टॉपिक का संक्षिप्तीकरण एवं खुद की राय बताते हुए आगे की राह को प्रस्तुत करना सही रहता है. ऐसा कतई न हो कि निबंध का परिचय तथा निष्कर्ष एक समान हो. साथ ही यह जरूर ध्यान रखना चाहिए कि निष्कर्ष सकारात्मक एवं आशावादी हो. जो आयाम भले चाहे निबंध के शीर्षक से विपरीत विचार रखते हों, उन्हें भी कवर करने की जरूरत है तथा एक-दो वाक्यों में भी लिखा जाए ताकि सिक्के के दूसरे पहलू को भी समझा जा सके.
एक कच्चा ड्राफ़्ट बनाना चाहिए
यह कच्चा ड्राफ्ट आपके निबंध की दशा एवं दिशा तय करता है. बेहतर यही है कि अभ्यर्थी अपने लेखन कौशल एवं गति के हिसाब से 10-15 मिनट में कच्चा ड्राफ्ट तैयार कर ले. कच्चा ड्राफ्ट तैयार करते समय खुद से सवाल करें, यथासम्भव सभी आयामों को समावेशित करने का प्रयास ही निबंध को बेहतर बनाएगा. परीक्षार्थी की यही कोशिश होनी चाहिए कि अपने कथनों को उदाहरणों एवं तथ्यों से पुष्ट करे. कोई हाल का उदाहरण पेश करना आपकी जागरूकता एवं समसामयिक घटनाक्रम पर पैनी नजर को दिखाएगा.
भाषा पर बनी रहे पकड़
निबंध की भाषा बहुत ही सहज होनी चाहिए. जिस प्रकार शीतल जल प्यासे के गले में सहजता से उतर जाता है, वैसे ही भाषा पाठक को ‘बहते नीर’ सी लगनी चाहिए. हालांकि, भाषा को स्तरीय बनाने में समय लगता है इसलिए अभ्यर्थी अपने सहज अन्दाज में निबंध लिखें तो ज्यादा ठीक होगा, क्योंकि अगर किसी का अन्दाज साधारण है और वह भाषा को विशिष्ट बनाने के लिए बेतरतीब अलंकारों का इस्तेमाल करता है तो यह निबंध के साथ न्याय नहीं होगा. पाठ्यक्रम में निबंध के विषय में स्पष्ट तौर पर लिखा है कि अभ्यर्थी अपने टॉपिक के इर्द-गिर्द सभी आयामों को टच करते हुए लिखें. यथासम्भव अच्छी लिखावट के साथ-साथ भाषायी व्याकरण का ध्यान रखना जरूरी है. भाषायी माध्यम हिन्दी हो या अंग्रेजी, इसमें शब्दों का चयन और वाक्यों की बनावट अच्छी होनी चाहिए. छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग करते हुए जटिल शब्दों से बचते हुए लिखना बेहतर माना जाता है. ज्यादा अलंकारों/आभूषणों का इस्तेमाल शोभा को कम ही करता है. अगर अलंकारों का संतुलित प्रयोग कर पाएं तो इससे बेहतर कुछ नहीं. उलझाऊ और जटिल वाक्यों से बचते हुए सरल-सीधे-सपाट वाक्यों का इस्तेमाल ही ठीक है. हां, निबंध के टॉपिक के अनुसार आप शब्दावली में परिवर्तन कर सकते हैं.
उल्लेखनीय है कि हिंदी माध्यम से सिविल सेवा की परीक्षा में उच्च स्थान हासिल करने वाले सिविल सेवा अधिकारियों ने अपनी साझा रणनीति को एक किताब की शक्ल दी है. इस किताब में निबंध लेखन की तकनीक और शैली पर विस्तार से प्रकाश डालने के साथ-साथ विभिन्न विषयों पर 101 नमूने के निबंध भी शामिल हैं. ख़ास बात तह है कि ये सभी निबंध हाल के वर्षों में चयनित आई.ए.एस./आई.पी.एस./आई.आर.एस. अधिकारियों द्वारा लिखे गए हैं, जो यूपीएससी की परीक्षा के नवीनतम पैटर्न के अनुरूप हैं. सिविल सेवा परीक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले इन युवा अधिकारियों की निबंध लेखन शैली अभ्यर्थियों के लिए बेहद उपयोगी होगी.
किताब का सम्पादन निशान्त जैन और गंगा सिंह ने किया है और प्रकाशन राजकमल प्रकाशन के उपक्रम ‘अक्षर’ ने किया है. किताब में कुल 400 पेज हैं और क़ीमत है 275 रुपए.
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