IAS को नौकरी से हटाने का अधिकार किसके पास होता है, क्या UPSC ले सकता है फैसला?
Who Can Suspend An IAS: यूपीएससी आईएएस, आईपीएस जैसे पदों के लिए कैंडिडेट्स का चुनाव तो करता है पर क्या उन्हें पद से हटाने का अधिकार भी इनके पास होता है. क्या है व्यवस्था? जानते हैं.
Who Can Terminate An IAS Officer: देश के प्रतिष्ठित पद आईएएस तक पहुंचने के लिए कैंडिडेट्स को बहुत मेहनत करनी पड़ती है. इसका पूरा दारोमदार यूपीएससी यानी यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन के कंधों पर होता है कि वे सही कैंडिडेट्स का चुनाव करें. कई चरण की परीक्षाएं पास होने के बाद चयन होता है और एक बार सर्विस ज्वॉइन कर लेने के बाद इन्हें पद से हटाना आसान नहीं होता.
यूपीएससी नहीं ले सकती फैसला
ये समझ लें कि आईएएस को आईएएस पद तक पहुंचाने का काम यूपीएससी करती है लेकिन उन्हें पद से हटाने या सस्पेंड करने में इनकी कोई भूमिका नहीं होती. इतना ही नहीं एक आईएएस ऑफिसर को उस राज्य की सरकार भी सस्पेंड नहीं कर सकती. फिर ये अधिकार किसके पास होता है, जानें.
हो सकते हैं सस्पेंड
एक आईएएस ऑफिसर को कुछ खास स्थितियों में सस्पेंड किया जा सकता है. जैसे कोई क्राइम करने पर या भारतीय संविधान के अंडर आने वाले किसी नियम का उल्लंघन करने पर. ये अधिकार केवल और केवल देश के राष्ट्रपति के पास होता है. उनके ऑर्डर पर ही किसी आईएएस यानी इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर को पद से हटाया जा सकता है.
इस अनुच्छेद में मिलता है उल्लेख
आईएएस पद से किसी कैंडिडेट को कब और कैसे हटाया जा सकता है इसकी जानकारी अनुच्छेद 311 (2) में मिलती है. इसमें दी जानकारी के मुताबिक अगर किसी ऑफिसर को किसी क्राइम में दोषी ठहराया जाता है तो उसकी रैंक कम की जा सकती है और केस की गंभीरता को देखते हुए उसे नौकरी से भी निकाला जा सकता है. इसमें वर्णित नियमों के मुताबिक संघ में एक सिवल सेवक राष्ट्रपति की इच्छा से काम करता है और केवल उनके आदेश पर ही उसे पद से हटाया जा सकता है. यूपीएससी की इसमें कोई भूमिका नहीं होती.
सस्पेंड कौन कर सकता है
जहां एक IAS को पद से हटाने का अधिकार केवल राष्ट्रपति के पास है, वहीं उसे निलंबित करने का अधिकार राज्य सरकार के पास भी होत है लेकिन इसका इस्तेमाल खास स्थितियों में ही किया जा सकता है. अगर किसी आईएएस को सस्पेंड करते हैं तो इसकी जानकारी कैडर कंट्रोल अथॉरिटी को देनी होती है और 30 दिन से अधिक निलंबन जारी रखने के लिए केंद्र सरकार से परमिशन लेनी होती है.
पूजा खेडकर मामला
फर्जी दस्तावेज लगाकर और दिव्यांग कोटे का इस्तेमाल करके पद पाने के मामले में फंसी पूजा खेडकर को खिलाफ यूपीएससी ने एफआईआर दर्ज की है. लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एडमिनिस्ट्रेशन एकेडमी ने उनका ट्रेनिंग प्रोग्राम रद्द कर दिया है. इस मामले में अंतिम फैसला देश की राष्ट्रपति ही लेंगी.
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