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Shape of Books: आखिर क्यों चौकोर ही होती है किताबें और कॉपियां, जानिए यहां

बचपन में जहां किताबें वो ज्ञान देती हैं जिससे बचपन की पढ़ाई और परीक्षाओं को पास किया जाता है. वहीं, बुढ़ापे की ओर बढ़ते कदम में किताबें हमसफर के तौर पर जानकारी, एक्सपीरियंस और ज्ञान व साथ देती हैं.

Shape of Books: किताबों को इंसान का सबसे अच्छा दोस्त कहा जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि वह कभी नाराज नहीं होती, न ही कभी प्रतिक्रिया देती हैं. उनसे लोगों को सिर्फ अच्छी जानकारियां ही मिलती हैं. किताबें चाहें कला की हों, संगीत की या साहित्य की ही क्यों न हों, किताबों का आदमी के जीवन में बचपन से लेकर बुढ़ापे तक बड़ा महत्व रहता है. किताबें जीवन के हर वक्त में साथ देती हैं. हालांकि ज्यादातर लोग यह नहीं जानते कि किताबें तिकोनी या गोल न होकर चौकोर ही क्यों होती है. आइये हम बताते हैं कि ऐसा क्यों होता है...
 
 
पकड़ने-पढ़ने में होती है सहूलियत
किताबों के चौकोर आकर का होने के पीछे मुख्य रूप से चार प्रमुख कारण हैं. सबसे पहला कारण यह है कि चौकोर किताब को हाथ में पकड़ने और पढ़ने में काफी सहूलियत होती है. ऐसे में चौकोर डिजाइन इस काम को आसान बना देता है.
 
खोलने-बंद करने में होती है सहूलियत
किताबों का आकार चौकोर होने के पीछे एक और वजह यह भी है कि चौकोर आकार की वजह से किताबों को खोलने और बंद करने में काफी आसानी हो जाती है. यदि किसी और आकार में किताबें तैयार की जाएं तो उनको खोलना, पकड़ने या बंद करने में परेशानी हो सकती है.
 
 
रखने में होती है आसानी
किताबों के चौकोर आकार के पीछे एक बड़ा कारण उनके रखने या स्टोरेज की सहूलियत भी है. चौकोर किताब को कहीं भी, कभी भी रखा जाए तो वह आसानी से बैलेंस के साथ टिक जाती है. जबकि किसी और आकार की कई सारी किताबें रखने पर उनके गिरने का खतरा रहता है.
 
कागज की बर्बादी होती है काम
किताबों के चौकोर होने का सबसे प्रमुख कारण है कागज की बर्बादी कम होना. कागज का उत्पादन अमूमन चौकोर आकार में ही होता है. ऐसे में एक किताब को तैयार करने के लिए जब कागज को काटा जाता है तो चौकोर डिजाइन की वजह से किसी भी और आकर से चौकोर आकार की किताब को बनाने के दौरान पेपर कम बर्बाद होता है. यही वजह है की कॉपी किताबों को चौकोर आकार में ही बनाया जाता है.
 

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