Why Foreign students Number Dips In India: जहां एक ओर हमारे देश से विदेश पढ़ने जाने वाले कैंडिडेट्स की संख्या में साल दर साल बढ़ोत्तरी हो रही है, वहीं विदेश से इंडिया आकर पढ़ने वाले छात्रों की संख्या कम हुई है. इसमें कोई दोराय नहीं की भारत की सभ्यता, संस्कृति और मान्यताएं आज भी वैश्विक स्तर पर अलग ठाठ रखती हैं पर ये ठाठ पढ़ाई के मामले में नहीं दिखता. ऐसा नहीं है कि देश में अच्छे इंस्टीट्यूट नहीं हैं फिर भी यहां विदेशी पढ़ाई के लिए क्यों नहीं आना चाहते. जानने की कोशिश करते हैं.


घटी है संख्या


आगे बढ़ने से पहले जान लेते हैं की आंकड़े क्या कहते हैं. ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन की रिपोर्ट कहती है कि साल 2020-21 में इंडिया आने वाले स्टूडेंट्स की संख्या 2019-20 की तुलना में 2.6 परसेंट कम हुई. 49 हजार के करीब छात्र अगले साल 48 हजार ही रह गए. एक रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि अब कम देशों के स्टूडेंट बाहर से आते हैं.


गुणवत्ता नहीं है


दूसरे देशों के स्तर के साथ तुलना करें तो यहां रहन-सहन से लेकर स्टेट ऑफ फैसिलिटी, सुविधाएं, रिसर्च आदि का लेवल वो नहीं है जो विदेशियों को आकर्षित कर सके. ऐसा नहीं है कि देश में उच्च गुणवत्ता वाले संस्थान नहीं हैं पर इनकी संख्या सीमित है. आईआईटी, आईआईएम, एम्स जैसे संस्थानों को हटा दें (जहां प्रवेश मिलना भी बहुत मुश्किल है) तो देश में कम ही ऐसे संस्थान हैं जो अपनी गुणवत्ता से विदेशी छात्रों को आकर्षित कर सकें.


प्लेसमेंट नहीं है


जब किसी भी देश में विदेशी छात्र पढ़ने जाते हैं तो वहां पढ़ाई पूरी होने के बाद कंपनियां उन्हें हाथों-हाथ लेती हैं और बढ़िया प्लेसमेंट भी मिलता है. ये कैंडिडेट की च्वॉइस होती है कि वह विदेश में काम करना चाहता या नहीं या कुछ दिन काम करना चाहता है. जबकि हमारे देश में विदेशी छात्र कुछ सालों के एक्सपीरियंस के लिए भी जॉब से वंचित रह जाते हैं. पढ़ाई के बाद प्लेसमेंट न मिलना भी एक समस्या है जिसके कारण विदेशी यहां नहीं आना चाहते.


दूसरे बेहतर ऑप्शन हैं


इंडिया के कोर में समाहित कुछ विशेष चीजों को हटा दिया जाए जैसे योग, वेद, पुराणों का अध्य्यन, संस्कृति का अध्य्यन तो बाकी फील्ड में दूसरे देशों में ज्यादा अच्छी सुविधाए हैं. उन्हें किसी और विषय की पढ़ाई करनी है (जो इंडिया की विशेषता में शामिल नहीं है) तो वे यूएस, यूके, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों का रुख करना पसंद करते हैं नाकि इंडिया का.


यहां के स्टूडेंट आते हैं


भारत में उन विदेशी जगहों से स्टूडेंट आते हैं, जिनके यहां की सुविधाएं इंडिया से निम्न स्तर की हैं. जैसे अफ्रीकी देश, अरब देश, एशियाई देश जैसे नेपाल, भूटना, बांग्लादेश वगैरह. साल 2016 में सरकार ने ‘स्टडी इन इंडिया’ नाम का प्रोग्राम चलाकर भी छात्रों को आकर्षित करने की कोशिश की थी पर खास सफलता नहीं मिली. पढ़ाई के मामले में विदेशी स्टूडेंट्स की पहली पसंद यूएस है. यहां हर साल बड़ी संख्या में दूसरे देशों के स्टूडेंट्स पढ़ने जाते हैं. 


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