डिग्री देते समय क्यों पहनाया जाता है ब्लैक गाउन और ब्लैक कैप? ये है इसके पीछे की वजह
Graduation Day Dress: ग्रेजुएशन डे वाले दिन छात्रों को ब्लैक कलर का रोब और कैप क्यों पहननी होती है, इसके पीछे क्या वजह है और इसमें क्या बदलाव आ रहे हैं? जानते हैं ऐसे ही सवालों के जवाब.

Why Robe Is Worn On Graduation Day: आपने नोटिस किया होगा कि जिस दिन छात्रों को डिग्री दी जाती है उस दिन वे काले रंग के गाउन या रोब पहने होते हैं और काली टोपी भी लगाए होते हैं. ये ड्रेस देखकर ही कोई भी समझ जाता है कि इन स्टूडेंट्स को डिग्री दी जा रही है. पर क्या कभी आपके मन में ये सवाल आता है कि इस ड्रेस को क्यों पहना जाता है और ये सिलसिला कब से चल रहा है. ये कल्चर बहुत पुराना है और सालों से स्टूडेंट्स को ग्रेजुएशन डे पर ऐसे ही कपड़ों में शामिल होना होता है.
कब से चल रहा है ये सिलसिला
इसकी सही-सही जानकारी देना तो मुश्किल है पर ये सिलसिला 12वीं और 13वीं सदी में यूरोपियन यूनिवर्सिटीज के बनने के बाद से चल रहा है. उस समय गाउन और हुड काले या भूरे रंग के होते थे और इन्हें पहनकर छात्र अपनी धार्मिक स्थिति को दिखाते थे. ये गाउन और कैप उन्हें वहां पढ़ने वाले बाकी छात्रों से अलग करता था.
पश्चिमी देशों की नकल!
ऐसा भी माना जाता है कि इस सेरेमनी की शुरुआत पश्चिमी देशों में हुई और बाकी देशों ने इनकी नकल करते हुए ऐसा ही चलन शुरू कर दिया. ऐसी मान्यता है कि ब्लैक गाउन को पश्चिमी एशिया और उत्तरी अफ्रीका के इस्लामिक स्कॉलर पहनते थे.
मकदिसी द्वारा साल 1981 में लिखी गई किताब ‘द राइज ऑफ कॉलेजेज: इंस्टीट्यूशंस ऑफ लर्निंग इन इस्लाम एंड द वेस्ट’ के मुताबिक, इजिप्ट में स्थित मदरसा-अल-अजहर की स्थापना 10वीं शताब्दी में हुई थी. यहीं से ब्लैक गाउन की शुरुआत भी हुई थी.
ठंड से बचाने को पहनते थे टोपी
मैसचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के मुताबिक सबस पहले ब्लैक गाउन का इस्तेमाल स्कॉलर्स के मुंडे हुए सिरों को गर्म रखने के लिए किया जाता था. इसीलिए उन्हें ब्लैक गाउन भी पहनाया जाता था ताकि वे गर्म रह सकें. इंस्टीट्यूट के मुताबिक धार्मिक पहनावे की शुरुआत 12 वीं से 13वीं शताब्दी के बीच हुई थी और बाद में ये धर्मिक से बदलकर शैक्षिक रूप में इस्तेमाल होने लगा.
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