कहते हैं माता पिता से बड़ा गुरु होता है. घर के बाद बच्चा जो सीखता है वो अपने शिक्षक यानि टीचर से सीखता है. एक स्टूडेंट पर उनके टीचर के नैतिक जीवन का बहुत प्रभाव रहता है. अगर अच्छा टीचर आपको मिल जाए तो आपकी लाइफ बन सकती है. आजकल शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ा बदलाव हुआ है. इंटरनेट की दुनिया के बाद स्टूडेंट्स के पास ज्ञान की भरमार है ऐसे में एक अच्छा टीचर ही आपको सही गलत के बारे में बता सकता है. हमारे देश में टीचिंग को बहुत रेस्पेक्टफुल प्रोफेशन माना जाता है और टीचर का स्‍थान हमेशा से ऊंचा रहा है. यही वजह है कि भारत में ज्यादातर युवा टीचर बनना चाहते हैं.


टीचिंग में करियर
आजकल टीचिंग लाइन में ढेरों ढेरों ऑप्शन्स मौजूद हैं. देश के दूर-दराज इलाकों में भी अब स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटीज खुल रही हैं देश में न जाने कितने सरकारी और प्राइवेट कॉलेज हैं. जाहिर है इस फील्ड में नौकरियों की भरमार है. सरकारी स्कूलों में जॉब के बाद अच्छा पैसा मिलता है और जिंदगी भर का आराम भी रहता है. इसके अलावा प्राइवेट स्कूलों में अच्छे टीचर्स की डिमांड रहती है. एजुकेशनल सब्जेक्ट के अलावा योग्‍य, फिटनेस, स्पोर्ट्स जैसे फील्ड में प्रोफेशनल टीचर्स की मांग भी बढ़ती जा रही है.


टीचर बनने के लिए कोर्स


टीचिंग लाइन में जाने के लिए इंटरमीडिएट, ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन लेवल के कई कोर्स मौजूद हैं, जिनमें प्रमुख हैं


1. बीएड (बैचलर ऑफ एजुकेशन): टीचिंग में आने के लिए बीएड काफी लोकप्रिय है. पहले बीएड का कोर्स एक साल का था, जिसे 2015 से बढ़ाकर दो साल का कर दिया गया है. बीएड करने के लिए एंट्रेंस एग्जाम देना होता है. एग्जाम देने के लिए ग्रेजुएट होना जरूरी है. कई प्राइवेट कॉलेज एंट्रेंस टेस्ट के बिना भी सीधे एडमिशन तो देते हैं हर साल बीएड कोर्स के लिए एंट्रेंस टेस्ट होता है राज्यों के अलावा इग्नू, काशी विद्यापीठ, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, दिल्ली यूनिवर्सिटी भी बीएड कराती हैं. बीएड करने के बाद आप प्राइमरी, अपर प्राइमरी और हाई स्कूल में पढ़ाने के लिए एलिजिबल हो जाते हैं.

2. बीटीसी (बेसिक ट्रेनिंग सर्टिफिकेट): बीटीसी केवल उत्तर प्रदेश के उम्‍मीदवारों के लिए है और इसमें केवल राज्‍य के ही स्‍टूडेंट हिस्‍सा ले सकते हैं. बीटीसी दो साल का कोर्स है. इसके लिए भी एंट्रेंस एग्जाम देना होता है. जिसके बाद जिला स्तर पर काउंसलिंग कराई जाती है. बीटीसी करने के लिए आपको ग्रेजुएट होना जरूरी है. साथ ही आपकी उम्र 18-30 साल होनी चाहिए. बीटीसी करने के बाद आप प्राइमरी और अपर प्राइमरी लेवल के टीचर बन सकते हैं.


3. एनटीटी (नर्सरी टीचर ट्रेनिंग): एनटीटी बड़े शहरों में ज्यादा पॉपुलर है. ये दो साल का  कोर्स है. एनटीटी में एडमिशन 12वीं के मार्क्स के आधार पर और कई जगह एंट्रेंस एग्जाम के बाद दिया जाता है. एनटीटी करने के बाद आप प्राइमरी टीचर बनने के लिए एलिजिबिल होते हैं.

4. बीपीएड (बैचलर इन फिजिकल एजुकेशन): आजकल फिजिकल एजुकेशन में जॉब के काफी ऑप्शन हैं. प्राइवेट और सरकारी स्कूल में ज्यादातर फिजिकल टीचर्स की जगह खाली हैं. इसके लिए आप दो तरह के कोर्स कर सकते हैं. एक जिन स्टूडेंट्स ने ग्रेजुएट में फिजिकल एजुकेशन एक सब्‍जेक्‍ट के तौर पर पढ़ा है वो एक साल वाला बीपीएड कोर्स कर सकते हैं. जिन्होंने 12वीं में फिजिकल एजुकेशन पढ़ी हो वो तीन साल का बैचलर कोर्स कर सकते हैं. इसके एंट्रेंस टेस्ट में फिजिकल फिटनेस टेस्ट के साथ-साथ लिखित परीक्षा भी होती है. एंट्रेंस टेस्‍ट में पास होने के बाद इंटरव्‍यू भी क्‍वालिफाई करना जरूरी है.

5. जेबीटी (जूनियर टीचर ट्रेनिंग):  जेबीटी के लिए आपको 12वीं पास होना चाहिए. इस कोर्स में एडमिशन कहीं मेरिट के तो कहीं एंट्रेंस के आधार पर होता है. इस कोर्स को करने के बाद आप प्राइमरी टीचर बनने के लिए योग्य हैं.


कहां से करें कोर्स:
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, (इग्नू) नई दिल्ली
इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन, नई दिल्ली
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू), वाराणसी
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू), अलीगढ़
एमिटी यूनिवर्सिटी

टीचर बनने के लिए जरूरी एग्जाम


टीचर बनने के लिए सिर्फ कोर्स करना ही काफी नहीं है कुछ एग्‍जाम भी क्‍वालिफाई करने होते हैं

टीजीटी और पीजीटी: यह टेस्ट स्टेट लेवल पर कराया जाता है मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और दिल्ली में यह एग्जाम फेमस है. टीजीटी के लिए ग्रेजुएट और बीएड होना जरूरी है और पीजीटी के लिए पोस्ट ग्रेजुएट और बीएड डिग्री होना जरूरी है. टीजीटी पास टीचर 6 से लेकर 10 तक के बच्चों को पढ़ाते हैं पीजीटी पास करने के बाद टीचर सेकेंडरी और सीनियर सेकेंडरी स्टूडेंट्स को पढ़ाते हैं.

2. टीईटी (टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट): देश के कई राज्यों में इस एग्जाम को बीएड और डीएड करने वाले स्टूडेंट्स के लिए कराया जाता है. इस एग्जाम में वे स्टूडेंट भी हिस्सा ले सकते हैं जिनके बीएड का रिजल्ट नहीं आया है. इस एग्जाम को पास करने के बाद राज्य सरकार कुछ निश्चित सालों के लिए एक सर्टिफिकेट देती है. ये समय 5-7 साल का होता है. इस दौरान उम्‍मीदवार टीचर भर्ती के लिए आवेदन कर सकता है.


3. सीटीईटी (सेंट्रल टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट): केंद्रीय विद्यालय, दिल्ली के स्कूल, तिब्बती स्कूल और नवोदय विद्यालयों में टीचर बनने के लिए इस एग्जाम को पास करना होता है. ये एग्जाम सीबीएसई की ओर से आयोजित किया जाता है. जिसमें ग्रेजुएट पास और बीएड डिग्री वाले स्टूडेंट ही हिस्सा ले सकते हैं. इस एग्जाम को पास करने के लिए उन्हें 60 % मार्क्स लाना जरूरी है. एग्जाम पास करने वाले उम्मीदवार को 7 साल तक मान्य रहने वाला सर्टिफिकेट दिया जाता है.


4. यूजीसी नेट: कॉलेज में लेक्चरर की नौकरी करने के लिए नेट का एग्जाम निकालना जरूरी है. नेट का पेपर एक साल में 2 बार दिसंबर और जून में होता है. नेट एग्‍जाम में तीन पेपर होते हैं. उम्मीदवार इंग्लिश और हिंदी किसी भी मीडियम से परीक्षा दे सकते हैं.

शुरुआती सैलरी: टीचर की सैलरी में कई बदलाव होने के बाद अब शुरुआत में ही अच्छी सैलरी मिलने लगी है. सरकारी नौकरी में प्राइमरी टीचर को करीब 40 हजार सैलरी मिलती है. जो बाद में बढ़ती रहती है. वहीं लेक्चरर और प्रोफेसर की सैलरी तो काफी अच्छी होती है. प्राइवेट स्कूल में अगर आप प्राइमरी के टीचर बनते हैं तो आपको शुरुआत में 15 से 20 हजार सैलरी मिल सकती है. टॉप प्राइवेट कॉलेज में सैलरी 40 से 50 हजार भी हो सकती है.


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