Why Train Wheels Are Made Of Metal: परिवहन के अलग-अलग साधन (Modern Transportation Vehicles) के चक्कों पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि मेटल की पटरी पर चलने वाली ट्रेन या मेट्रो के चक्के हमारी कार और बाइक के चक्कों से अलग होती हैं. क्या स्पीड की वजह से ऐसा है या कारण कुछ और है?


ट्रेन के चक्के मेटल के क्यों होते हैं?


ट्रेन को तेज गति से ज्यादा दूरी तय करनी होती है, वह भी भारी वजन के साथ. सड़क की तरह रेल की पटरी पर ना तो गड्ढे होते हैं न ही वे उबड़-खाबड़ होते हैं. साथ ही वे जगह-जगह ब्रेक भी नहीं लगाते क्योंकि वे काफी हाई मोमेंटम में दौड़ते हैं. चूंकी उन्हें लंबे-लंबे अंतराल और दूरी पर ब्रेक लेना होता है इसलिए उन्हें ज्यादा फ्रिक्शन की जरूरत नहीं पड़ती. इसलिए मेटल के चक्कों का इस्तेमाल किया जाता है ताकि ना तो ज्यादा फ्रिक्शन पैदा हो और ना ही स्पीड प्रभावित हो.


सड़क पर चलने वाले वाहन के चक्के रबर के क्यों होते हैं?



  • फ्रिक्शन: रोड पर चलने वाले वाहन (Intermediate Public Transport) जैसे कार, बस, ट्रक, बाइक आदि को चलते वक्त ज्यादा फ्रिक्शन झेलना पड़ता है. ऐसा सड़क निर्माण में इस्तेमाल सामग्रियों की वजह से भी होता है. फ्रिक्शन की वजह से इन वाहनों के चक्के खराब न हों इसलिए इन्हें रबर का बनाया जाता है. साथ ही इन्हें मजबूत बनाने के लिए कार्बन ब्लैक (Carbon Black) नामक केमिकल पाउडर भी मिलाया जाता है. इस केमिकल की वजह से वाहन से निकलने वाली गर्मी और चक्के-रोड के घिसने से होने वाले फ्रिक्शन के बावजूद चक्के सही-सलामत रहते हैं और किसी भी तरह की दुर्घटना नहीं होती.



  • स्पीड: वाहनों की स्पीड अलग-अलग होती है. किस वाहन में कैसा चक्का लगेगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह वाहन अधिकतम कितनी स्पीड पकड़ सकता है और अधिकतम स्पीड में कितनी दूरी तय कर सकता है.



  • क्षेत्र: कौन सा वाहन किस क्षेत्र (Terrain) में चलाया जाएगा इस बात को प्रभावित करता है कि उसमें चक्के कैसे होने चाहिए. इसलिए सामान्य सड़क पर चलने वाले वाहन के रबर टायर से ज्यादा चौड़े पहाड़ों पर चलने वाले वाहन के चक्के होते हैं.


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