Wipro Action on Moonlighting: अखिल भारतीय प्रबंधन संघ (एआईएमए) के राष्ट्रीय प्रबंधन सम्मेलन में बोलते हुए विप्रो के चेयरमैन ऋषद प्रेमजी ने एक बड़ा खुलासा किया है. प्रेमजी का कहना है कि उनकी कंपनी ने मूनलाइटिंग के आरोप में 300 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है. उन्होंने कहा कि एक ही समय में उनकी कंपनी और उनकी प्रतिद्वंदी कंपनी के साथ काम करना अनैतिक है. कंपनी ने अपनी अंदरूनी जांच में पता चला कि उनके 300 कर्मचारी मूनलाइटिंग कर रहे थे, जिसके बाद उन 300 लोगों को कंपनी से बाहर निकाल दिया गया.
विप्रो के चैयरमैन ने कहा, "आज ऐसे लोग हैं जो विप्रो के लिए काम कर रहे हैं और सीधे हमारे एक प्रतियोगी के लिए काम कर रहे हैं. हमें पिछले कुछ महीनों में ऐसे 300 लोगों के बारे में पता चला था, जो ऐसा ही कर रहे थे. कंपनी ने अब "एक्ट ऑफ इंटरगिटी वायलेंस" के कारण इन लोगों की सेवा समाप्त कर दी है. प्रेमजी ने हाल ही में कहा था कि नियमित नौकरी के अलावा दूसरी नौकरी करना दोनों कंपनियों के साथ धोखा है.
आईबीएम भी मूनलाइटिंग के विरोध में
इससे पहले, आईबीएम ने साफतौर पर कहा था कि, मूनलाइटिंग पूरी तरह से अनैतिक है और कंपनी अपने यहां इस कल्चर को कतई बर्दास्त नहीं करेगी, आईबीएम इंडिया के प्रबंध निदेशक संदीप पटेल ने कहा कि, "हमारे सभी कर्मचारी जब अपॉंइट होते हैं, तो वे एक समझौते पर हस्ताक्षर करते हैं. जिसके अनुसार वे आईबीएम के लिए पूर्णकालिक काम करने जा रहे हैं. इसलिए मूनलाइटिंग करना उनके लिए नैतिक रूप से सही नहीं है.
क्या है मूनलाइटिंग?
मूनलाइटिंग में कर्मचारी अपनी कंपनी के तय घंटों में काम करने के बाद, बचे हुए समय में किसी दूसरी कंपनी के लिए पार्टटाइम काम करते हैं. स्विगी जैसे कुछ स्टार्टअप ने इस कल्चर को बढ़ावा दिया है, जबकि ज्यादातर कंपनियां इसे धोखाधड़ी बता रही हैं. इन्फोसिस ने भी अपने कर्मचारियों को मूनलाइटिंग से बचने की सलाह दी है. साथ ही चेतावनी देते हुए कहा है कि कर्मचारी मूनलाइटिंग से बचें वर्ना उन्हें नौकरी से निकालने जाने के साथ-साथ उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है.
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