रिटर्न टू इनोसेंस किताब से आप सीख सकते हैं असली ज़िंदगी जीना
इस प्रोग्राम में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी, अभिनेता मकरंद देशपांडे और ब्रिटिश उच्चायुक्त अलेक्जेंडर एलिस भी मौजूद थे.
कहते हैं कि किताब इंसान की सबसे अच्छी दोस्त होती हैं. इसलिए ज़िंदगी में किताबों का होना बहुत जरूरी है. हम कितने भी डिजिटली मजबूत हो जाएं, लेकिन जब तक किताबों का साथ हमें नहीं मिलता हमारी जड़ें मजबूत नहीं होंगी. आज हम एक ऐसी ही किताब के बारे में बात करेंगे जो आपको ज़िंदगी सही मायनों में जीना सिखाती है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं, नीला माधब पांडा की नई किताब 'रिटर्न टू इनोसंस' के बारे में.
कब लॉन्च हुई ये बुक?
इस किताब को नई दिल्ली में ब्रिटिश उच्चायुक्त के निवास स्थान पर लॉन्च किया गया. इस प्रोग्राम में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी, अभिनेता मकरंद देशपांडे और ब्रिटिश उच्चायुक्त अलेक्जेंडर एलिस भी मौजूद थे. इन सभी की मौजूदगी में नीला माधब पांडा ने अपनी इस किताब को लॉन्च किया और इस दौरान उन्होंने बताया कि कैसे ये किताब लोगों के जीने के तरीके को बदल सकती है. यह किताब नीला माधब पांडा के जीवन को भी दर्शाती है. इसमें उन्होंने 1970 के दशक में ओडिशा के दशराजपुर में उनके पिता की ग्रामीण दुनिया से लेकर नई सदी में नई दिल्ली में उनके बेटे के शहरी और डिजिटल परिदृश्य तक के अपने सफर को दर्शाया है.
कौन हैं नीला माधब पांडा
नीला माधब पांडा एक ऐसी शख़्सियत हैं, जिन्हें लोग उनके नाम से भले ना जानते हों, लेकिन उनके काम से जरूर जानते हैं. आप सब ने आई एम कलाम फिल्म जरूर देखी होगी. ये फिल्म इन्होंने ही डायरेक्ट की थी. इस तरह की कई फिल्में नीला ने बनाई हैं जिन्हें खूब सराहा गया. अगर आप नीला माधब पांडा की ये बुक पढ़ना चाहते हैं तो इसे आप ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से खरीद सकते हैं.
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