नौकरी चाहने वाले नहीं जॉब देने वाले बनें युवा- राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद
लखनऊ में बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि जॉब सीकर नहीं जॉब क्रिएटर बनें.
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि भारत 2047 में अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएगा तो वह भेदभाव से मुक्त और एक विकसित राष्ट्र होगा.
इसके साथ ही राष्ट्रपति ने युवाओं से नौकरी चाहने वाले नहीं बल्कि नौकरी देने वाले बनने को कहा. कार्यक्रम में प्रदेश की राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हुए थे. इस दौरान राष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय परिसर में सावित्रीबाई फुले महिला छात्रावास का शिलान्यास किया.
2047 तक भारत विकसित देश होगा
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि, “उन्होंने कहा, "आज देश की आधी आबादी 25 साल से कम उम्र की है... जब 2047 में हम आजादी की शताब्दी मनाएंगे तो आप युवा देश का नेतृत्व कर रहे होंगे." उन्होंने कहा, "मुझे उम्मीद है कि 2047 तक भारत आपकी (वर्तमान) पीढ़ी के प्रयासों से भेदभाव मुक्त और विकसित देश होगा. भविष्य के भारत में, हमें अपने व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में न्याय, समानता और भाईचारे को आत्मसात करना होगा." उन्होंने युवाओं से भारत को "समतामूलक" (समतावादी) और मजबूत बनाने के लिए "पूर्ण संकल्प" के साथ काम शुरू करने को कहा.
बाबासाहेब अंबेडकर का हवाला देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि अगर कोई शिक्षित व्यक्ति समाज के कल्याण के लिए आगे नहीं आता है तो शिक्षा का कोई मतलब नहीं है.अब "हमारी बेटियां हमारे बेटों की तुलना में देश को अधिक प्रसिद्धि दे रही हैं."
नई शिक्षा नीति देश को एक शिक्षा महाशक्ति बनाएगी
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) -2020 के बारे में बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि, "नई शिक्षा नीति देश को एक शिक्षा महाशक्ति बनाने के उद्देश्य से बनाई गई है. नई शिक्षा नीति 21वीं सदी की आवश्यकताओं और मांगों के अनुरूप है. विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उत्कृष्टता हासिल करने का हमारा उद्देश्य शिक्षकों और छात्रों के प्रयासों से ही पूरा होगा.
उन्होंने ये भी कहा कि “शिक्षा सामाजिक विकास और उत्थान का सबसे अच्छा साधन है. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की जानी चाहिए. ”
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