दिल्ली चुनाव: दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 8 फरवरी को मतदान होना है. 11 फरवरी को आने वाले नतीजों के साथ ही आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस के राज्य में भविष्य की तस्वीर साफ हो जाएगी. चुनाव के दौरान वैसे तो सीधी टक्कर आप-बीजेपी के बीच है, लेकिन कांग्रेस भी अपनी खोई जमीन को वापस हासिल करने की कोशिशों में लगी है. दिल्ली चुनाव के दौरान सबसे ज्यादा हॉट सीट नई दिल्ली है, जहां से सीएम केजरीवाल किस्मत आजमा रहे हैं. इस सीट पर अरविंद केजरीवाल को चुनौती देने के लिए बीजेपी ने अपने युवा चेहरे सुनील यादव को उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस की तरफ से रोमेश सभरवाल केजरीवाल को चुनौती दे रहे हैं. इन तीनों मुख्य पार्टियों के अलावा 85 और उम्मीदवार नई दिल्ली सीट पर किस्मत आजमा रहे हैं.
2008 में अस्तित्व में आई नई दिल्ली सीट
नई दिल्ली विधानसभा सीट नई दिल्ली लोकसभा सीट का हिस्सा है. नई दिल्ली विधानसभा सीट 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिश के बाद अस्तित्व में आई. नई दिल्ली विधानसभा सीट के अस्तित्व में आने के बाद दिल्ली की तात्कालिक सीएम शीला दीक्षित ने यहां से किस्मत आजमाई थी और वह पहली बार वो इस सीट से विधायक चुनी गई.
2008 में शीला दीक्षित के खिलाफ 24 उम्मीदवारों ने पर्चा दाखिल किया था. शीला दीक्षित 52 फीसदी वोट लेने में कामयाब रही, जबकि दूसरे नंबर पर बीजेपी उम्मीदवार विजय जोली को करीब 34 फीसदी वोट मिले. बाकी सभी 23 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी.
2013 में केजरीवाल ने उलटफेर
2012 में आम आदमी पार्टी के बनने के दौरान ही केजरीवाल ने एलान कर दिया था कि वह दिल्ली की सबसे मुश्किल सीट से चुनाव लडेंगे. 2013 में अपना पहला चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी ने केजरीवाल को अपना चेहरा बनाया. केजरीवाल ने नई दिल्ली सीट पर 15 साल दिल्ली की सीएम रहीं शीला दीक्षित को चुनौती देने का एलान किया.
केजरीवाल अपने पहले ही चुनाव में बड़ा उलटफेर करने में कामयाब रहे. केजरीवाल ने 2013 में 53 फीसदी वोट के साथ विजेता बने. शीला दीक्षित को 22 फीसदी वोट मिले और उन्हें करीब 26 हजार वोट से हार का सामना करना पड़ा. बीजेपी के विजेंद्र गुप्ता 21 फीसदी वोट के साथ तीसरे नंबर पर रहे.
2015 में बढ़ा केजरीवाल की जीत का अंतर
2015 में केजरीवाल ने 64 फीसदी वोट हासिल करके दूसरी बार नई दिल्ली सीट से जीत दर्ज की. 2015 में केजरीवाल को चुनौती देने के लिए बीजेपी ने नुपूर शर्मा को उम्मीदवार बनाया था, जबकि कांग्रेस ने दिल्ली की पूर्व मंत्री किरण वालिया को टिकट दिया. नुपूर शर्मा 29 फीसदी वोट के साथ दूसरे नंबर पर रही, जबकि किरण वालिया सिर्फ 5 फीसदी वोट ही हासिल कर पाई और उनकी जमानत भी नहीं बची.
2020 में केजरीवाल के सामने नहीं बड़ा चेहरा
2013 और 2015 के मुकाबले इस बार नई दिल्ली विधानसभा सीट पर केजरीवाल के सामने कोई बड़ा चेहरा नहीं है. केजरीवाल के राजनीतिक कद को देखते हुए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही बड़ा चेहरा पेश करने में कामयाब नहीं हो पाई. बीजेपी के सुनील यादव राज्य की यूथ बीजेपी इकाई के अध्यक्ष हैं, जबकि रोमेश सभरवाल पूर्व में एनएसयूआई के अध्यक्ष रहे हैं.