लखनऊ: अगले लोकसभा चुनाव के लिए योगी आदित्यनाथ ने अपना होमवर्क शुरू कर दिया है. बीजेपी की जमीन तैयार करने के लिए वे हर दिन सांसदों और विधायकों के साथ बैठक कर रहे हैं. इन नेताओं से मिले फीडबैक पर ही योगी चुनावी रणनीति और मुद्दे तय करेंगे. सीएम योगी इसी बहाने सांसदों और विधायकों के झगड़े भी निपटाते हैं. 27 जनवरी से शुरू हुई मीटिंग का ये सिलसिला अब 6 फरवरी को ख़त्म हो जाएगा.


बता दें कि पिछले महीने यूपी के सीतापुर में बीजेपी के नेता आपस में ही भिड़ गए थे. धौरहरा की सांसद रेखा वर्मा ने अपनी ही पार्टी के एमएलए शशांक त्रिवेदी को मारने के लिए चप्पल निकाल लिया था. झगड़ा तो कंबल बांटने को लेकर हुआ लेकिन बीजेपी नेताओं की आपसी कलह की तस्वीरें जनता के सामने आ गईं. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए ये खतरे की घंटी थी. उन्होंने बिना देरी किए नेताओं से संवाद शुरू कर दिया है.


अगला लोकसभा चुनाव इसी साल हो या फिर अगले साल की शुरुआत में हो सकता है. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपनी तैयारी शुरू कर दी हैं. वे अपने घर पर हों या फिर अपने ऑफिस में, शाम होते ही वे बीजेपी के सांसदों और विधायकों के साथ बैठ जाते हैं. विकास के काम से लेकर राजनीति पर चर्चा होती है.


पार्टी और सरकार के बीच बेहतर ताल मेल पर भी सीएम योगी फीडबैक लेते हैं. एमपी और एमएलए बारी-बारी से अपनी परेशानी योगी आदित्यनाथ के सामने रखते हैं. उत्तर प्रदेश में बीजेपी के कई ऐसे सांसद हैं जिनकी अपने इलाके के विधायकों से कभी नहीं बनी. ऐसे नेता लखनऊ से लेकर दिल्ली तक एक दूसरे के खिलाफ शिकायतें करते रहते हैं. इन सबको एक साथ बिठा कर योगी सुलह भी करवाते हैं.


यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने 27 जनवरी से अपना होमवर्क शुरू किया था. उस दिन उन्होंने मुरादाबाद, सहारनपुर, बदायूं समेत छह लोकसभा क्षेत्रों के सांसदों और विधायकों की मीटिंग बुलाई थी. 4 फरवरी को इटावा, घोसी, गौतमबुद्धनगर, हाथरस, फतेहपुर सीकरी,  बरेली, धौरहरा, हरदोई, उन्नाव, सलेमपुर, डुमरियागंज और गोंडा के एमपी और एमएलए को बुलाया गया था. वहीं 5 फरवरी को मुज़फ़्फरनर, शामली, बागपत, फैज़ाबाद, मेरठ, अलीगढ, नगीना, अकबरपुर, बाराबंकी, बहराईच, श्रावस्ती और मिर्ज़ापुर लोक सभा क्षेत्र की बैठक बुलाई गयी है. 6 फरवरी को योगी ने अपने ऑफिस में 11 सांसदों और उनके इलाकों के विधायकों को बुलाया है.


सीएम योगी के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार बताते हैं, ‘’इन बैठकों से मिले फीडबैक पर आगे काम होगा. सालभर में जो काम हो सकते हैं, उन पर मुख्यमंत्री जी का ख़ास जोर है." जिन लोकसभा सीटों पर बीजेपी पिछली बार नहीं जीत पाई थी,  योगी आदित्यनाथ उनका ख़ास ख़याल रख रहे हैं.


कन्नौज से डिम्पल यादव सांसद हैं लेकिन अब यहां से समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुनाव लड़ने का फैसला किया है. कन्नौज के  5 में से 4 विधायक बीजेपी के हैं. सीएम योगी ने इन्हें अपने इलाकों में खूब काम कराने को कहा है. पिछले लोकसभा चुनाव में कन्नौज में समाजवादी पार्टी और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला हुआ था. पार्टी के नेता उदयवीर सिंह की माने तो, "जनता को सब पता है, अखिलेश जी ने उनके लिए क्या किया,  ये उन्हें बताने की जरुरत नहीं है."


रायबरेली से सोनिया गांधी और अमेठी से राहुल गांधी सांसद है. पिछली बार केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था. खबर है कि सीएम योगी ने अमेठी और रायबरेली के विधायकों के लिए खजाना खोल दिया है. बीजेपी की तैयारी राहुल गांधी को अमेठी में घेरने की है. ऐसे हालात में कांग्रेस क्या करेगी? इस सवाल पर हंसते हुए पार्टी प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा, "रायबरेली और अमेठी से एक-एक कर मोदी सरकार प्रोजेक्ट वापस ले रही है और योगी जी अगर ये सब वापस लौटा देते हैं तो बड़ी अच्छी बात है."


अगला लोकसभा चुनाव एक तरह से योगी सरकार के लिए भी किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है. सार्वजनिक मंचों से खुद योगी ये भी ऐसा कहते रहे हैं. यूपी में लोक सभा की 80 सीटें हैं. पिछली बार बीजेपी ने 71 और उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल ने 2 सीटें जीती थी. समाजवादी पार्टी के हिस्से में 5 और कांग्रेस को 2 सीटों पर संतोष करना पड़ा था. वहीं बीएसपी तो अपना खाता तक नहीं खोल पायी थी.


मिशन 2019 के लिए बीजेपी की चुनौती अपने पिछले प्रदर्शन को दुहराने की है. कर्नाटक और त्रिपुरा के चुनाव में योगी आदित्यनाथ बीजेपी के स्टार प्रचारक बनाये गए हैं. गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भी उन्होंने धुआंधार प्रचार किया था. यूपी के चुनावी नतीजों से पीएम नरेंद्र मोदी के साथ-साथ योगी का भी राजनीतिक भविष्य तय होगा.