BJP Election strategy: आखिर बीजेपी चुनावों से पहले अपने सीएम कैंडिडेट क्यों बदल देती है इसका जवाब मिल गया है. अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलेगा कि चुनावों से पहले जिन राज्यों में बीजेपी ने अपने सीएम फेस बदल दिए थे उनमें ज्यादातर में उसको जीत मिली थी. इस बात के पीछे बीते सालों में हुए चुनाव के तथ्य भी हैं कि पार्टी ने जहां पर अपना सीएम बदला उन ज्यादातर जगहों पर उसको जीत मिल गई.
आंकड़े कहते हैं कि जिन राज्यों में बीजेपी ने पिछले पांच सालों में सीएम फेस नहीं बदला उन राज्यों में उसको बहुमत नहीं मिला है. राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और हरियाणा ऐसे राज्य हैं जहां बीजेपी ने सीएम फेस नहीं बदला और इन राज्यों में बीजेपी अपने दम पर बहुमत हासिल करने में नाकाम रही.
'इन राज्यों में नहीं बदला था सीएम तो हुई थी करारी हार'
उदाहरण के तौर पर 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने तत्कालीन सीएम वसुंधरा राजे के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था जिसमें उसकी हार हो गई थी. इसी तरह 2018 में ही छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव में जब रमन सिंह सीएम थे तब हुए चुनाव में रमन सिंह को हार का सामना करना पड़ा था. यहां भी बीजेपी चुनाव हार गई थी.
इसके अलावा राज्य में 2005 से लेकर 2018 तक सीएम रहे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की भी राज्य में करारी हार हुई थी. विशेषज्ञों का कहना था कि भले ही शिवराज की राज्य में पकड़ थी लेकिन 2018 विधानसभा चुनाव में परिस्थितियां बदली हुईं थी लिहाजा बीजेपी को राज्य में बहुमत नहीं मिल सका. ऐसा ही हाल बीजेपी के साथ 2019 में महाराष्ट्र चुनाव में हुआ था जहां पर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी तो बनी थी लेकिन उसको स्पष्ट बहुमत नहीं मिल सका.
जिन राज्यों में बदला सीएम फेस वहां क्या हुआ?
वहीं अगर बीजेपी की बात करें तो हम पाएंगे कि बीजेपी ने गुजरात से लेकर उत्तराखंड तक जिन राज्यों में भी सीएम बदला उन दोनों ही जगहों पर उसने जीत हासिल की. उदाहरण के तौर पर गुजरात में 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी ने आनंदीबेन पटेल की जगह विजय रूपाणी को सीएम बनाया था.
जिस वजह से बीजेपी ने राज्य में चुनाव जीत लिया था और उसके बाद 2022 में हुए चुनाव में रूपाणी की जगह भूपेंद्र पटेल राज्य के सीएम बने थे. इसी तरह बीजेपी ने उत्तराखंड में भी चुनाव से पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाकर पुष्कर सिंह धामी को राज्य की सत्ता सौंपी थी.
हालांकि देश की इलेक्टोरल राजनीति को समझने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी राज्य में चुनाव जिताने वाले और हराने वाले कई फैक्टर होते हैं. इन फैक्टर में कई ऐसी होती हैं जिससे कई राज्यों में सत्ता बनती और बिगड़ती है. तो वहीं वोटिंग के दौरान इस बात का भी बहुत महत्व होता है कि आखिर चुनाव जीतने के बाद कौन सा चेहरा सरकार का नेतृत्व करेगा.