Gujarat Elections 2022: गुजरात विधानसभा की द्वारका सीट... क्या बदल जाएगा 32 साल का इतिहास?
Gujarat Dwarka Assembly Seat: गुजरात की द्वारका विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला बेहद ही दिलचस्प होने वाला है. यहां एक तरफ 32 साल से जमे विधायक प्रभु बा मानेक होंगे तो वहीं आप भी इस बार मैदान में है.
Gujarat Assembly Elections 2022: इस बार गुजरात के विधानसभा चुनाव के रण में एक ऐसा उम्मीदवार उतरा हुआ है जिसे पिछले 32 साल से कोई नहीं हरा सका है. वो चाहे निर्दलीय लड़े हों, पार्टियां बदल बदलकर लड़े हों. जीत इसी उम्मीदवार की होती आई है. इनका नाम है प्रभु बा मानेक. द्वारका मंदिर के पुजारी परिवार से ताल्लुक रखने वाले मानेक इस बार भी जीत का दावा ठोक रहे हैं. इस बार आम आदमी पार्टी के मैदान में होने की वजह से मुकाबला जोरदार होने की उम्मीद है.
कृष्ण की नगरी द्वारका के लोगों के दिलों में जो नाम बसा हुआ है, वो है प्रभु बा मानेक. इस नाम पर द्वारका में न तो कोई मतभेद है और न ही कोई सियासी टकराव क्योंकि प्रभु बा मानेक बीते 32 साल से द्वारका सीट पर विधानसभा चुनाव जीतते आए हैं. विश्व के प्रमुख धर्म स्थलों में से एक द्वारका की पहचान सियासी तौर पर भी है. बीते 32 सालों से एक ही शख्स लगातार विधायक चुना जाता रहा है.
बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे मानेक
रौबदार मूछें और लंबी चौड़ी कदकाठी वाले मानेक इस बार बीजेपी के उम्मीदवार हैं. 66 साल के मानेक ने अपनी आधी उम्र बतौर विधायक गुजार दी है. इन्होंने पहली बार साल 1990 में चुनाव लड़ा था और तब से अब तक कोई चुनाव नहीं हारे हैं. वो चाहे निर्दलीय लड़ें या किसी पार्टी के टिकट पर, जीत उन्हीं की होती आई है. द्वारका सीट पर बीजेपी का पिछले 10 साल से कब्जा है और प्रभु बा मानेक का 32 साल से.
‘द्वारका के लोगों के लिए ढाल बनकर खड़े रहते हैं मानेक’
मानेक पहले तीन चुनाव निर्दलीय के तौर पर जीते. फिर कांग्रेस में गए और साल 2012 और साल 2017 का चुनाव बीजेपी की टिकट पर जीता. गुजरात सरकार में वो स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके हैं. द्वारका की पतली संकरी गलियों में मानेक का बचपन गुजरा है. द्वारका के लोगों का कहना है कि प्रभु बा और उनके परिवार का सहयोग हमेशा यहां रहा है. वो द्वारका में एक ढाल बनकर रहते हैं.
दिलचस्प है विधायक बनने की कहानी
प्रभु बा मानेक के विधायक बनने की कहानी बड़ी ही दिलचस्प है. साल 1980 में उन्होंने अपने दोस्तों के कहने पर मस्ती-मस्ती में विधानसभा चुनाव का पर्चा भर दिया. उनके परिवार को ये मंजूर नहीं था. परिवार की तरफ से दवाब डाला गया कि वो अपना पर्चा वापस लें. इस बीच द्वारका विधानसभा के एक गांव के लोग मानेक के परिवारवालों के पास पहुंच गए और फरियाद की कि मानेक को पर्चा वापस नहीं लेने दिया जाए. ऐसे में मानेक के परिवारवालों ने गांववालों की बात मान ली. मानेक ने पर्चा भरा और वो जीत भी गए. तो इस तरह से मानेक पहली बार विधायक बने.
मानेक को मिलने वाली है कड़ी टक्कर
द्वारका विधानसभा सीट पर भले ही मानेका का दबदबा है लेकिन इस बार उन्हें कड़ी टक्कर मिलने वाली है. यहां से इस बार आम आदमी पार्टी भी मैदान में है. आप दिल्ली और पंजाब के पैटर्न पर चुनाव लड़ रही है. द्वारका क्षेत्र में कुछ मतदाता 2 लाख 61 हजार 861 हैं, जिनें से 1 लाख 36 हजार 604 पुरुष और 1 लाख 25 हजार 252 महिलाएं हैं. इसी विधानसभा में 5 ट्रांसजेंडर वोट भी हैं. साल 2017 के चुनाव में मानेक को 73 हजार 471 वोट मिले थे, वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी आहेर मेरामल को 67 हजार 692 वोट मिले थे. द्वारका सीट पर मानेक जीते जरूर लेकिन महज 4 या 5 हजार के वोटों के अंतर से.
इस बार का चुनाव दिलचस्प होने वाला है. द्वारका की जनता का मानना है कि यहां का चुनाव वही जीतता है जिस पर द्वारकाधीश की कृपा हो. अब ऐसे में 8 दिसंबर को ही पता चलेगा, जब इसके नतीजे आएंगे. देखना होगा कि इस बार द्वारकाधीश ने अपनी कृपा किस पर बरसाई है.
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