मुंबई: शिव सेना में 60 साल पुरानी परंपरा टूट गयी है. आदित्य ठाकरे, ठाकरे परिवार के पहले ऐसे सदस्य हैं जो चुनाव लड़ने जा रहे हैं. आदित्य, मध्य मुंबई की वरली विधानसभा सीट से चुंनाव लड़ेंगे. आदित्य ठाकरे, शिव सेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के बेटे और पार्टी के संस्थापक बाल ठाकरे के पोते हैं जो इस विधानसभा चुनाव में एक परंपरा खत्म करने जा रहे हैं. परंपरा ये कि ठाकरे परिवार का कोई सदस्य कभी किसी तरह का चुनाव नही लड़ता. आदित्य ठाकरे आगामी विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. उन्हें जिताने के लिए शिव सेना ने वरली सीट पर महीनों पहले से तैयारियां शुरू कर दी थीं.


शिव सेना के दिवंगत प्रमुख बाल ठाकरे ने अपने जीवन में कुछ प्रतिज्ञाएं की थीं. एक कि वे कभी अपनी आत्मकथा नही लिखेंगे, दूसरी कि वी कभी कोई चुनाव नही लड़ेंगे और तीसरी कि सरकार में कभी कोई पद नहीं लेंगे. ये उनका तरीका था सरकार से बाहर रहकर सरकार पर नियंत्रण रखना.


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यही वजह थी कि जब 1999 में महाराष्ट्र में पहली बार शिव सेना बीजेपी का गठबंधन सत्ता में आया तो बाल ठाकरे खुद मुख्यमंत्री नहीं बने. उन्होंने तब मनोहर जोशी को मुख्यमंत्री बनाया और कहा कि सरकार का रिमोट कंट्रोल मेरे हाथ में रहेगा. इनकी यही नीति बेटे उद्धव ठाकरे ने भी अपनाई और कभी चुनाव नही लड़ा. बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे अपनी अलग पार्टी MNS बनाकर भी चाचा की नीति पर कायम रहे और खुद कभी चुनाव नही लड़ा. लेकिन ठाकरे परिवार की तीसरी पीढ़ी के आदित्य ने 60 साल पुरानी ये परंपरा तोड़ दी है. माना जा रहा है कि इसके पीछे नई पीढ़ी के शिव सेना नेताओं का दबाव था.



29 साल के आदित्य ठाकरे का सियासी करियर अबसे 9 साल पहले शुरू हुआ था. साल 2010 की सालाना दशहरा रैली में आदित्य के दादा बाल ठाकरे ने उनके हाथ में तलवार थमाते हुए शिव सेना में उनकी औपचारिक एंट्री करवाई थी. उसके बाद उन्हें पार्टी की युवा इकाई युवा सेना का प्रमुख बना दिया गया. जल्द ही पार्टी से जुड़े अहम मामलों में आदित्य को शामिल किया जाने लगा. 2014 के विधानसभा चुंनाव के लिए बीजेपी से गठबंधन की चर्चा की जिम्मेदारी आदित्य पर थी.


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माना जाता है कि उस वक्त गठबंधन इसलिए नही हो पाया था क्योंकि आदित्य कुल 288 में से 150 सीटें शिव सेना के लिए मांग रहे थे. उधर आदित्य के चुंनाव लड़ने पर कांग्रेस का कहना है कि वो उनके सामने मजबूत उम्मीदवार उतरेगी जो कि ये बताएगा कि बीएमसी में 20 साल तक सत्ता में रहने के बावजूद शिव सेना ने मुम्बई को कैसे बदहाल किया.



(फाइल-फोटो)

जिस शिव सेना ने 2014 में 150 सीटें न मिलने पर बीजेपी से गठबंधन तोड़ दिया था वो इस बार बैकफुट जिस लिए नज़र आ रही है उसका एक कारण आदित्य ठाकरे भी हैं. सूत्र बताते हैं कि सत्ता मिलने पर आदित्य ठाकरे को महाराष्ट्र का उप मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. सीएम देवेंद्र फडणवीस खुलकर कह चुके हैं कि अगर आदित्य उपमुख्यमंत्री बनते हैं तो वो उनका स्वागत करेंगे.


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जिस वरली सीट से आदित्य ठाकरे चुनाव लड़ने जा रहे हैं वो शिव सेना के लिए एक सुरक्षित सीट मानी जाती है. अगर यहां से राज ठाकरे की पार्टी MNS कोई तगड़ा उम्मीदवार उतारती है तो मराठीभाषी वोट बंटने के कारण आदित्य को जीत के लिए मशक्कत करनी पड़ सकती है.