ABP CVoter Survey: विधानसभा चुनावों के एलान के साथ ही उत्तर प्रदेश में सियासी हलचल काफी तेज़ हो गई है. दलबदल का दौर भी बदस्तूर जारी है. हाल ही में तीन मंत्री समेत कई विधायक बीजेपी को छोड़ समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. अब आज मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गई. उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और सूबे के दोनों डिप्टी सीएम समेत कई बड़े नेताओं की मौजूदगी में बीजेपी ज्वाइन की.


ऐसे में जब अपर्णा ने बीजेपी का दामन थाम लिया है तो ये सवाल बड़ा है कि पार्टी में उनके आने से क्या बीजेपी को फायदा मिलेगा? एबीपी न्यूज़ लगातार चुनावी राज्यों में सियासी हलचल की खबर रख रहा है. एबीपी सी वोटर के साथ सर्वे भी कर रहा है और लोगों की राय अलग अलग सवालों और मुद्दों पर जानने की कोशिश कर रहा है.


ऐसे में अपर्णा यादव को लेकर भी एबीपी ने सी वोटर के सर्वे में लोगों से सवाल किया. सर्वे में लोगों से सीधा सवाल हुआ कि अपर्णा यादव के आने से क्या बीजेपी को फायदा मिलेगा? इस पर 46 फीसदी लोगों ने कहा कि हां उनके बीजेपी में जाने से पार्टी को फायदा होगा, जबकि 39 फीसदी लोगों ने कहा कि नहीं कोई फायदा नहीं होगा. 15 फीसदी लोगों ने कहा कि पता नहीं.


अपर्णा यादव के आने से क्या बीजेपी को फायदा मिलेगा?


हां-46%
नहीं-39%
पता नहीं-15%


अखिलेश यादव क्या बोले?


अपर्णा यादव के बीजेपी में जाने पर अखिलेश यादव ने कहा कि सबसे पहले तो मैं उन्हें बधाई देता हूं. नेता जी (मुलायम सिंह यादव) ने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की. उन्होंने कहा, ''अपर्णा जी के बीजेपी में जाने की हमें सबसे ज्यादा खुशी है, क्योंकि समाजवादी विचारधारा का विस्तार हो रहा है. मुझे उम्मीद है कि हमारी विचारधारा वहां भी पहुंचकर संविधान और लोकतंत्र को बचाने का काम करेगी.'' 


रविवार को असीम अरुण ने थामा बीजेपी दामन


कानपुर के पूर्व पुलिस कमिश्नर असीम अरुण रविवार को बीजेपी में शामिल हुए. असीम UP ATS के IG रह चुके हैं. उन्होंने हाल ही में पुलिस कमिश्नर पद से VRS लिया था. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और स्वंतत्र देव सिंह ने असीम अरुण को बीजेपी की सदस्यता दिलाई. इस मौके पर असीम अरुण ने कहा कि मैं पूरा प्रयास करूंगा कि परिकल्पना के अनुसार मुझे जो अवसर दिया गया है, मैं उसके अनुरूप कार्य करूं. मैं आपको बता सकता हूं कि पुलिस अधिकारियों के लिए BJP की सरकार के दौरान सबसे ज़्यादा स्वतंत्र माहौल रहा. किसी अधिकारी के पास कभी सिफारिश नहीं आई.


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