लोकसभा चुनाव में एनडीए भले ही सरकार बना रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही तीसरी बार प्रधानमंत्री की शपथ लेने जा रहे हैं, लेकिन चुनावी परिणामों को लेकर जनता गुस्साई हुई है. भारतीय जनता पार्टी की कम सीट आने का गुस्सा तो एक तरफ है, लेकिन उससे भी बड़ा मुद्दा यह है कि अयोध्या में भाजपा की हार हुई है. यही कारण है कि जनता का एक बहुत बड़ा वर्ग नाराज है. 


आचार्य प्रशांत ने अयोध्या में भाजपा की हार को लेकर कई बातें कही है. आचार्य प्रशांत ने कहा कि जिनको राम का मतलब ही नहीं पता वह तो राम को चुनावी चीज की तरह ही देखेंगे. उन्होंने कहा कि राम का मतलब सत्य होता है. 


राम के नाम पर राजनीति में लोगों का मजा आता है


आचार्य प्रशांत ने कहा कि लोगों को वास्तविक राम के पास ले जाया गया होता और लोगों ने नहीं माना होता तो कोई मुद्दा भी होता. यहां तो राम के नाम पर अज्ञान और अहंकार का खेल चल रहा है तो इसमें दिल टूटने की क्या बात है. जहां असली राम की बात हो रही है वहां से जनता दूर भागती है. राम की बातें कोई सुनने को तैयार ही नहीं है, लेकिन राम के नाम पर राजनीति के खेल में लोगों को बहुत मजा आता है. भक्त बन जाते हैं लोग. 


राम का अर्थ बताने वाला कोई नहीं


आचार्य प्रशांत ने कहा, जिनके ऊपर चुनावी फितूर चढ़ा है क्या उनको पता है कि ज्ञानियों ने राम के बारे में क्या कहा है. जो लोग राम के नाम पर रो रहे हैं कि जनता ने उनका सम्मान नहीं किया उनसे अगर दो राम की बातें पूछ लें, दो दोहे पूछ लें तो क्या उसका अर्थ बता पाएंगे. अपना रूप रंग हमारे लिए राम हमारे अहंकार का विस्तार है.


4 तरह के राम हैं - आचार्य प्रशांत


उन्होंने कहा कि चार तरह के राम है.आप किस राम की बात कर रहे हैं? एक राम दशरथ का बेटा, एक राम घट-घट में बैठा, एक राम का सकल पसारा, एक राम है सबसे न्यारा. 


उन्होंने कहा, लोग ट्विटर पर चला रहे हैं कि अयोध्यावासी गद्दार हैं. आप असली राम को लेकर तो आइये और फिर देखिए कि कौन राम को नहीं पूछता है. आप असली राम की जगह राम के नाम पर एक खिलौना ले आए और आपने कहा कि इसकी इज्जत करो और इज्जत ना मिले तो आप कहेंगे कि बहुत बुरा हो रहा है.


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