(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
महाराष्ट्र में BJP की प्रचंड जीत में इन दो नेताओं ने निभाया अहम रोल, मध्यप्रदेश में भी कर चुके कमाल
Maharashtra Election 2024: भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा चुनाव के बाद से ही महाराष्ट्र में डेरा डाल रखा था. टिकट बंटवारे से लेकर पार्टी की रणनीति बनाने तक दोनों नेताओं ने अहम भूमिका निभाई.
भाजपा के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव की जोड़ी ने मध्यप्रदेश के बाद महाराष्ट्र में भी पार्टी की जीत सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाई.
पिछले साल यादव-वैष्णव की जोड़ी को मध्यप्रदेश में BJP के चुनावी अभियान का नेतृत्व करने का जिम्मा सौंपा गया था. पार्टी ने राज्य की 230 विधानसभा सीटों में से 163 पर जीत दर्ज कर अपनी सत्ता बरकरार रखी.
महाराष्ट्र में भाजपा के चुनावी अभियान की कमान भी यादव और वैष्णव को थमाई गई थी. लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद विधानसभा चुनावों में मतदाताओं का रुख भाजपा के पक्ष में करने के लिए दोनों केंद्रीय मंत्रियों ने राज्य में कई महीनों तक डेरा डाले रखा.
मतगणना के रुझान सामने आने और इनसे महायुति (भाजपा, शिवसेना और राकांपा का गठबंधन) की प्रचंड जीत के संकेत मिलने के बाद महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने यादव को बधाई दी.
महाराष्ट्र में भाजपा ने 132 सीटें जीतीं, जो विधानसभा चुनावों में उसका अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है. हालांकि, अप्रैल-मई में संपन्न लोकसभा चुनावों में उसे महज 9 सीटों से संतोष करना पड़ा था, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में उसने 23 सीट जीतीं थी.
लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के कुछ दिनों बाद जून में यादव और वैष्णव को महाराष्ट्र चुनाव के लिए क्रमश: प्रभारी और सह-प्रभारी नियुक्त किया गया था.
दोनों नेता हरकत में आ गए और पार्टी के भीतर असंतुष्ट वर्गों तथा विभिन्न छोटे जाति समूहों से संपर्क किया, क्योंकि भाजपा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे के नेतृत्व में मराठा आरक्षण आंदोलन से उत्पन्न चुनौती से जूझ रही थी.
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री यादव 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के दौरान भी भाजपा के प्रभारी थे, जब पार्टी ने 105 सीटें जीती थीं, जबकि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली अविभाजित शिवसेना के खाते में 56 सीटें गई थीं.
हालांकि, शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद को लेकर मतभेद के बाद भाजपा से गठबंधन तोड़ दिया था और कांग्रेस और अविभाजित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के सहयोग से सरकार बनाई थी.