नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के लिए आपस में हाथ मिलाने के बाद मायावती और अखिलेश यादव ने आगे की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है. जानकारी के बाद गटबंधन के बाद अब दोनों नेता एक साथ 18 रैलियां कर सकते हैं. वहीं गठबंधन के ऐलान के बाद से ही सियासी बयानबाजी जारी है. एक ओर जहां बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा कि इस गठबंधन से मोदी और अमित शाह की नींद उड़ जाएगी. वहीं पलटवार करते हुए खुद प्रधानमंत्री मोदी ने गठबंधन को 'ठगबंधन' करार दिया.
गठबंधन पर क्या बोले मायावती-अखिलेश?
अखिलेश यादव के साथ साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में मायावती ने कहा कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस से बीजेपी के गुरू चेले यानी मोदी और अमित शाह की नींद उड़ जाएगी. अलगा लोकसभा चुनाव लड़ने पर मायावती ने कहा कि यह जल्द ही पता चल जाएगा. वहीं अखिलेश यादव ने अपने कार्यकर्ताओं को नसीहत देते हुए कहा कि अब से मायावती का अपमान मेरा अपमान होगा.
प्रधानमंत्री ने गठबंधन को बताया ठगबंधन
मायावती-अखिलेश के गठबंधन पर हमला बोलते पीएम मोदी ने इसे ठगबंधन का नाम दिया. दिल्ली के रामलीला मैदान में बीजेपी की राष्ट्रीय परिषद में प्रधानमंत्री ने कहा, ''राजनीति विचारों पर की जाती है. गठबंधन विजन पर बनते हैं. लेकिन ये पहला मौका है जब ये सभी राजनीतिक दल सिर्फ एक व्यक्ति को हराने के लिए एकजुट हो रहे हैं. गठबंधन 'मजबूर' सरकार बनाने के लिए एकजुट हो रहा है.''
गठबंधन पर बोले- ये उनका फैसला, हम पूरी ताकत से लड़ेंगे
यूपी में एसपी, बीएसपी गठबंधन पर राहुल गांधी ने कहा कि कहा दोनों पार्टियों को साथ आने का अधिकार है, कांग्रेस के नतीजे चौंकाने वाले होंगे. दुबी में प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने कहा, ''ये उनका (मायावती और अखिलेश यादव) का राजनीतिक फैसला है, उन्होंने ये फैसला सोच समझकर लिया होगा. यूपी में कांग्रेस दम लगाकर चुनाव लड़ेगी. प्रेस कॉन्फ्रेंस में दोनों नेताओं ने कांग्रेस के खिलाफ भी बोला है, लेकिन कोई बात नहीं. कांग्रेस की अपनी विचारधारा है, वह यूपी में अपनी विचारधारा फैलाएगी.''
माया-अखिलेश के गठबंधन का सीट शेयरिंग फॉर्मूला
सूबे की 80 सीटों में से समाजवादी पार्टी 38 और बीएसपी 38 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इस गठबंधन ने कांग्रेस को भले ही जगह नहीं दी हो लेकिन अमेठी और रायबरली की दो सीटें जरूर छोड़ी है. अमेठी से राहुल गांधी और रायबरेली से सोनिया गांधी सांसद हैं. एसपी-बीएसपी गठबंधन ने अन्य छोटे दलों के लिए दो सीटें छोड़ी है. छोटे दलों में पीस पार्टी, निषाद पार्टी या आरएलडी हो सकती है.