मायावती और ममता बनर्जी में PM पद के लिए पहली पसंद कौन है? अखिलेश यादव ने दिया दिलचस्प जवाब
कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में एसपी-बीएसपी गठबंधन में नहीं शामिल किये जाने को लेकर अखिलेश यादव ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के प्रति ' सम्मान' है.
कोलकाता: पश्चिम बंगाल की राजधानी में पिछले दिनों लगे विपक्षी दलों के जमावड़े के बाद यह सवाल और अधिक जोर-शोर से पूछा जाने लगा है कि आखिर आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों का चेहरा कौन होगा? विपक्षी पार्टियां चुनाव बाद फैसले की बात कर इस सवाल को टालती रही है. वहीं बीजेपी प्रमुखता से इस सवाल को उठा रही है. इस बीच समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री उम्मीदवारी पर बयान दिया है.
अखिलेश यादव से जब पूछा गया कि प्रधानमंत्री पद के लिए बीएसपी प्रमुख मायावती और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की ममता बनर्जी में से उनकी पहली पसंद कौन है? तो उन्होंने कहा कि कोशिश एक नये प्रधानमंत्री के चुनाव की होनी चाहिए और कुछ मुद्दों पर चुनावों के बाद भी चर्चा हो सकती है.
चुनावों के बाद कांग्रेस के साथ काम करने की संभावना पर अखिलेश ने कहा कि पार्टी के साथ उनके संबंध अच्छे हैं और वह 'खुश' होंगे अगर अगला प्रधानमंत्री उनके गृह राज्य उत्तर प्रदेश से हो.
चुनाव के बाद समाजवादी पार्टी क्या कांग्रेस के साथ काम करने के लिए तैयार होगी यह पूछने पर अखिलेश ने कहा, “हम अभी इसका जवाब नहीं दे सकते. हम चुनाव के बाद इसका जवाब देंगे. लेकिन मैं इतना कह सकता हूं कि देश एक नया प्रधानमंत्री चाहता है और चुनावों के बाद उसे यह मिलेगा.”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस समय विपक्षी दलों में प्रधानमंत्री पद के चेहरे के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, मायावती और ममता बनर्जी दावेदार हैं. 19 जनवरी को जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विपक्षी दलों के रैली का आयोजन किया तो इस रैली में मायावती और राहुल गांधी नहीं गए. हालांकि कांग्रेस और बीएसपी के प्रतिनिधि जरूर मौजूद थे.
अखिलेश ने और क्या कुछ कहा? कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में एसपी-बीएसपी गठबंधन में नहीं शामिल किये जाने को लेकर अखिलेश यादव ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के प्रति ' सम्मान' है. इसके बावजूद सबसे पुरानी पार्टी को उत्तर प्रदेश में चुनावी गठबंधन से इसलिए बाहर रखा ताकि 'चुनावी अंकगणित' को सही रखते हुए बीजेपी को मात दी जा सके.
अखिलेश ने 19 जनवरी को विपक्ष की रैली के दौरान पीटीआई से खास बातचीत की. उन्होंने कहा, “अगर आप उत्तर प्रदेश में सीटों की संख्या देखें तो आप पाएंगे कि बीजेपी सरकार के पास बहुमत नहीं है. बीजेपी सामाजिक इंजीनियरिंग की बात करती रहती है. इसलिए मैंने भी अपना चुनावी अंकगणित ठीक करने का फैसला किया और गठबंधन के जरिये यह किया.”
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान बहुत सारे विकास कार्य करने के बावजूद वह 2017 का विधानसभा चुनाव हार गए क्योंकि उनका चुनावी अंकगणित ठीक नहीं था. उन्होंने कहा, “इसलिए मैंने बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल को साथ लेकर और कांग्रेस के लिए दो सीटें छोड़कर अंकगणित ठीक कर लिया.”
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए हाथ मिलाया था लेकिन वे बीजेपी से हार गए थे. उन्होंने सवाल किया, “उत्तर प्रदेश का अंकगणित ठीक करने और बीजेपी को हराने के लिए यह (एसपी-बीएसपी गठबंधन) हुआ है. क्या दूसरों को संतुष्ट करने के लिए हम सीटें (भाजपा से) हार जाएं.”
चुनाव पूर्व एसपी-बीएसपी के गठबंधन से बाहर रही कांग्रेस ने घोषणा की है कि वह आगामी लोकसभा चुनावों में राज्य की सभी 80 सीटों पर अकेले लड़ेगी. कांग्रेस को विपक्षी गठबंधन से बाहर रखने से राजनीतिक दृष्टि से अहम राज्य में विपक्ष की संभावनाएं कमजोर होंगी, यह पूछने पर अखिलेश ने कहा, “सीटों के इस समझौते के साथ हमने विपक्षी एकता को और मजबूत किया है. हमने कांग्रेस के लिए दो सीटें रखी हैं. कांग्रेस के साथ हमारे संबंध हमेशा से अच्छे रहे हैं. संबंधों का मुद्दा अलग है. अहम मुद्दा बीजेपी को हराना है और मैंने अंकगणित की दिशा में काम किया है.”