Anti-incumbency in Himachal: 1985 से 2017 तक, हिमाचल में सत्ता बदलती रही है जनता! क्या इस बार बदलेगा रिवाज
1998 में, हिमाचल कांग्रेस और बीजेपी ने समान संख्या में सीटें (68 में से प्रत्येक में 31 सीटें) जीतीं, लेकिन बीजेपी पार्टी हिमाचल विकास कांग्रेस के साथ गठबंधन करके सरकार बनाने में सफल रही
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Himachal Pradesh Election 2022: हिमाचल प्रदेश की 68 विधानसभा सीटों पर कल यानी शनिवार को मतदान होंगे. विधानसभा चुनाव की बात करें तो राज्य में मौजूदा सरकार को बाहर कर हर बार नई सरकार लाने का लंबा राजनीतिक इतिहास रहा है. उत्तरी राज्य के हर विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर रही है.
1985 में विधानसभा चुनावों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 68 सीटों में से 58 सीटें जीती थी. भारतीय जनता पार्टी ने 7 सीटें जीतीं थी. कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह को हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया. भारत के परिसीमन आयोग की सिफारिश से निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या 68 निर्धारित की गई थी.
1990 के विधानसभा चुनाव में, यू-टर्न लेते हुए जनता ने सत्ता बदल दी. बीजेपी ने 46 सीटें जीतकर लोकप्रिय जनादेश जीता, जबकि कांग्रेस ने 9 सीटों पर जीत हासिल की. शांता कुमार को बीजेपी ने सीएम बनाया.
1993 के चुनावों में जनता ने फिर सरकार बदल दी. कांग्रेस ने 52 सीटें जीतीं और वीरभद्र सिंह को दूसरे कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया. बीजेपी ने 8 सीटों पर जीत हासिल की.
इसी तरह, 2003 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 68 में से 43 सीटें जीतीं, जबकि बीजेपी ने 16 सीटें जीतीं. वीरभद्र सिंह को हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में फिर से नियुक्त किया गया.
2007 में, बीजेपी ने 41 सीटों के साथ फिर से सरकार बनाई और प्रेम कुमार धूमल को फिर से सीएम के रूप में नियुक्त किया गया. उस साल कांग्रेस ने 23 सीटें जीती थीं.
2012 में, कांग्रेस ने 36 सीटों के साथ-साथ फिर सरकार में वापसी की. वीरभद्र सिंह को CM बनाया गया. 2017 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 68 में से 44 सीटें जीती थीं जबकि कांग्रेस को 21 सीटें मिली थीं.
1998 में क्या हुआ था?
1998 में, हिमाचल कांग्रेस और बीजेपी ने समान संख्या में सीटें (68 में से प्रत्येक में 31 सीटें) जीतीं, लेकिन बीजेपी पार्टी हिमाचल विकास कांग्रेस के साथ गठबंधन करके सरकार बनाने में सफल रही, और प्रेम कुमार धूमल को नियुक्त किया गया.
क्या हिमाचल का सत्ता विरोधी रुझान इस साल के विधानसभा चुनाव की भविष्यवाणी कर सकता है?
इस बार कांग्रेस जहां सत्ता विरोधी लहर पर सवार है, वहीं राज्य में जायराम ठाकुर के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार लगातार दूसरे कार्यकाल पर नजर गड़ाए हुए है. बीजेपी दावा कर रही है कि इस बार हिमाचल की जनता रिवाज बदलेगी और फिर सत्ता में बीजेपी लौटेगी. अब देखना होगा आठ दिसंबर को आने वाले नतीजे में कि क्या राज्य में बीजेपी सत्ता में लौटती है या सत्ता विरोधी रुझान के कारण उसे हार का सामना करना पड़ता है.
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