दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020: नफरत से भरे बयान देने के चलते बीजेपी के सांसद प्रवेश वर्मा और अनुराग ठाकुर का नाम पार्टी के स्टार प्रचारकों की लिस्ट से हट गया है. अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के बयानों पर एक्शन लेते हुए चुनाव आयोग ने दोनों सांसदों का नाम स्टार प्रचारकों की लिस्ट से हटाने का आदेश जारी किया था. हालांकि चुनाव आयोग की इस कार्रवाई के बावजूद बीजेपी के चुनाव कैंपेन पर कोई खास असर नहीं पड़ने वाला है. इतना ही नहीं स्टार प्रचारकों की लिस्ट से नाम हट जाने के बाद भी अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा बीजेपी उम्मीदवारों के लिए प्रचार कर सकते हैं.


स्टार प्रचारक का मतलब क्या है?


स्टार प्रचारक वैसे तो चुनाव का अहम हिस्सा होते हैं. फिर भी स्टार प्रचारकों की कोई तय परिभाषा नहीं है. हालांकि भारतीय चुनाव आयोग ने स्टार प्रचारकों के लिए कुछ नियम बनाए हुए है. इसके अलावा ऐसा भी कहा जा सकता है कि स्टार प्रचारक वो शख्स होता है जिसे पार्टी किसी विशेष चुनाव क्षेत्र में प्रचार करने की जिम्मेदारी देती है. स्टार प्रचारक बनने के लिए किसी पार्टी का सदस्य होना भी जरूरी नहीं है.


जिस भी राज्य में चुनाव हो रहा है वहां की मान्यता प्राप्त पार्टी को चुनाव के दौरान 40 स्टार प्रचारक चुनने का अधिकार मिलता है. पिछले चुनाव में कुल पोलिंग का 6 फीसदी या उससे अधिक वोट पाने वाली पार्टी क्षेत्रिय दल के तौर पर मान्यता पा लेती है. राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए यह परिभाषा अलग है. अगर कोई पार्टी पहली बार चुनाव लड़ रही है या फिर उसे पिछले चुनाव में 6 फीसदी से कम वोट मिले थे तो उसे 20 स्टार प्रचारक चुनने का अधिकार ही मिलता है.


कैंडिडेट से अलग होता है स्टार प्रचारक का खर्च


दिल्ली विधानसभा चुनाव में नॉमिनेशन दाखिल करने के बाद एक कैंडिडेट अपने प्रचार में अधिकतम 28 लाख रुपये खर्च कर सकता है. लेकिन अगर कोई स्टार प्रचारक किसी कैंडिडेट के लिए प्रचार करने पहुंचा है तो उसके खर्च की गिनती उम्मीदवार नहीं बल्कि पार्टी के खर्च में होगी. उदाहरण के लिए स्टार प्रचारक की यात्रा का खर्च या किसी अन्य परिवहन के साधन पर किया गया खर्च उम्मीदवार के खाते में नहीं जोड़ा जाएगा.


बता दें कि उम्मीदवारों को आचार संहिता के दौरान अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल होने वाले सभी परिवहन के साधनों के खर्च का ब्यौरा चुनाव आयोग को देना होता है. उम्मीदवार का यह खर्च प्रचार के लिए तय की गई सीमा के अंतर्गत ही आता है.


अगर स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री या पूर्व प्रधानमंत्री है तो उनकी सुरक्षा में तैनात सुरक्षा कर्मियों या बुलैट प्रूफ गांडियों का खर्च सरकार ही वहन करती है. अगर प्रधानमंत्री या पूर्व प्रधानमंत्री के साथ कोई और व्यक्ति भी प्रचार करने के लिए पहुंचता है तो उसकी सुरक्षा का 50 फीसदी खर्च उम्मीदवार को देना पड़ता है.


प्रचार अभियान में हिस्सा ले सकते हैं दोनों सांसद


स्टार प्रचारक की परिभाषा से साफ है कि चुनाव आयोग की कार्रवाई का प्रवेश वर्मा, अनुराग ठाकुर और बीजेपी के प्रचार अभियान पर कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला है. बेहद आपत्तिजनक और नफरत से भरे बयान देने के बावजूद अब भी प्रवेश वर्मा और अनुराग ठाकुर बीजेपी उम्मीदवारों के लिए प्रचार कर सकते हैं. हालांकि अब अगर प्रवेश वर्मा और अनुराग ठाकुर जिस भी कैंडिडेट के लिए प्रचार करेंगे तो उम्मीदवार के चुनाव खर्च में इनके परिवहन और प्रचार के दौरान आने वाले खर्च को जोड़ा जाएगा.


दिल्ली चुनाव: अमित शाह बोले- 'केजरीवाल ने कहा था शरजील को पकड़ो तो हमने पकड़ लिया'