पश्चिमी यूपी में 26 फीसदी मुस्लिम आबादी, 21 सीटों पर 30 फीसदी से ज्यादा, जानें कैसे सपा-कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकते हैं ओवैसी
AIMIM के प्रवक्ता मोहम्मद फरहान ने कहा कि जिस तरह श्रीकृष्ण ने पांडवों के लिए पांच गांव मांगे थे. वैसे ही हम सपा और कांग्रेस से दलित, पिछड़ों और मुसलमानों के लिए पांच सीट मांग रहे हैं.
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असदुद्दीन ओवैसी ने उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की टेंशन बढ़ा दी है. AIMIM के प्रवक्ता मोहम्मद फरहान ने कहा है कि 5 सीट हमको लड़ने के लिए दे दो नहीं तो हम 25 सीट पर चुनाव लड़ेंगे. सिर्फ इतना ही नहीं पार्टी ने दावा किया है कि अगर उन्हें 5 सीट नहीं मिलीं तो बड़ा खेला हो जाएगा. इसके बाद सबके मन में सवाल उठने लगे हैं कि क्या पश्चिमी यूपी की मुस्लिम बहुल सीट से ओवैसी ताल ठोक सकते हैं. क्या हैदराबाद के साथ ओवैसी यूपी की मुरादाबाद या संभल सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.
ओवैसी की पार्टी AIMIM के प्रवक्ता मोहम्मद फरहान के इस बयान के बाद ये सवाल सियासी गलियारों में गूंज रहे हैं. AIMIM के प्रवक्ता मोहम्मद फरहान ने गुरुवार (29 फरवरी) को कहा, जिस तरीके तरह पांडवों के लिए वासुदेव श्रीकृष्ण जी ने पांच गांव मांगे थे. उस तरीके से माननीय बैरिस्टर ओवैसी साहब उत्तर प्रदेश के दलित, बैकवर्ड और मुसलमानों के लिए सिर्फ 5 सीट मांग रहे हैं. वह (अखिलेश यादव) अगर पांच सीट देते हैं तो बहुत अच्छा. अगर नहीं देते हैं तो फिर ये जान लीजिए कि यहां ऐसा खेला होगा कि इंडिया अलायंस घुटनों के बल आ जाएगा.
वेस्टर्न यूपी में 26 फीसद मुस्लिम आबादी
ओवैसी भले ही विपक्ष में हों, लेकिन विपक्षी पार्टियां उन पर अक्सर बीजेपी की बी टीम का आरोप लगाकर दूरी बनाए रखती हैं. ऐसा ही तल्ख तेवर ओवैसी के भी रहते हैं, लेकिन बदली परिस्थितियों में ओवैसी खुद के लिए यूपी में सियासी उपज की उम्मीद देख रहे हैं क्योंकि उत्तर प्रदेश में मुस्लिम आबादी 19 फीसद से ज्यादा है, लेकिन पश्चिमी यूपी में ये बढ़कर 26 फीसद हो जाती है. यूपी में 30 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी वाली लोकसभा की 21 सीट हैं. 2019 लोकसभा चुनाव में मुसलमानों ने SP-BSP के गठबंधन में 73 फीसद, कांग्रेस को 18 फीसद वोट दिए थे.
2017-2022 में भी ओवैसी यूपी में उतार चुके हैं प्रत्याशी
इस बार बीएसपी अलग है और सपा-कांग्रेस एक साथ. ओवैसी जानते हैं कि अखिलेश यादव नहीं चाहते कि मुस्लिम वोट बिखरे इसलिए अखिलेश पर दबाव की रणनीति है. दूसरी तरफ ओवैसी 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में भी अपने प्रत्याशी उतार मुसलमानों तक पहुंचने की कोशिश कर चुके हैं. अगर ओवैसी या उनकी पार्टी यूपी के सियासी अखाड़े में अपने दम पर उतरती है तो जो भी नुकसान होगा वो एसपी-कांग्रेस गठबंधन का ही होगा.
AIMIM के बयान पर क्या बोली सपा
समाजवादी पार्टी ने ओवैसी की तरफ से आई गेंद कांग्रेस के पाले में फेंक खुद को अलग कर दिया. सपा के प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने कहा, 'अखिलेश जी ने पहले ही कहा था कि ओवैसी जी की पार्टी को गठबंधन की बात कांग्रेस से करनी चाहिए. ओवैसी जी की पार्टी हैदराबाद की पार्टी है. उत्तर प्रदेश के बाहर किसी भी दल को इंडिया गठबंधन में शामिल करना है, नहीं शामिल करना है. ये फैसला कांग्रेस का है.'
भारतीय जनता पार्टी (BJP) की तरफ से भी इस पर प्रतिक्रिया आई है. बीजेपी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा, 'ये सारी जद्दोजहद मुस्लिम वोटों के लिए है कि कैसे मुसलमान वोटों को अपने पाले में लाया जा सके इसलिए ओवैसी जी कितना भी प्रयास करें कि मुस्लिमों में कोई डिविजीन लाया जाए, मुस्लिमों का वर्गीकरण कराया जाए या उनका ध्रुवीकरण कराया जाए. यह किसी प्रकार के प्रयास सफल नहीं होंगे. वोट विकास के नाम पर पड़ेगा और विकास के नाम पर वोट बीजेपी को मिलेगा.'
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