विधानसभा चुनाव 2019: देश पिछले कई महीनों से आर्थिक मंदी से जूझ रहा है. इससे निपटने के लिए सरकार की तरफ से कई घोषणाएं की जा चुकी हैं लेकिन अर्थव्यवस्था में कोई खास सुधार नहीं आया. इसके बाद अर्थव्यवस्था को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पति और बुद्धिजीवी परकला प्रभाकर ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार की आलोचना की. उन्होंने मोदी सरकार को पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह की तरफ से अपनाए गए आर्थिक मॉडल को 'गले लगाने' की सलाह दी है. लेकिन सबसे हैरानी की बात ये है कि महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों में ये मुद्दा ही नहीं है.
महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार अभियान 19 अक्टूबर को समाप्त हो जाएगा, लेकिन आर्थिक मंदी या बड़े पैमाने पर नौकरी के नुकसान की संभावना की कोई चर्चा ही नहीं है. दोनों ही राज्यों में सबसे अधिक चर्चा बस मोदी सरकार के जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को खत्म करने की है. विपक्षी पार्टियां अभी तक एक भी बड़ा मुद्दा नहीं ला पाई हैं. सभी सत्ताधारी बीजेपी के मुद्दों का जवाब देने में उलझी हैं.
अनुच्छेद 370 पर कांग्रेस पार्टी खुद दो हिस्सों में बंटी हुई दिखी है. पार्टी के कुछ नेता इसका समर्थन कर रहे हैं तो वहीं कुछ नेताओं ने इसे लोकतंत्र की भावना के खिलाफ बताया. हरियाणा के दिग्गज नेता भूपेंद्र हुड्डा, दीपेंद्र हुड्डा, महाराष्ट्र के मिलिंद देवड़ा से लेकर सीनियर कांग्रेसी जनार्दन द्विवेदी तक कई नेताओं ने अनुच्छेद 370 को हटाने का समर्थन किया. वहीं पार्टी के सीनियर नेता और हरियाणा के प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया.
महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता मिलिंद देवड़ा ने इसका समर्थन करते हुए कहा था कि ''दुर्भाग्य से आर्टिकल 370 के मसले को लिबरल और कट्टर की बहस में उलझाया जा रहा है. पार्टियों को अपने वैचारिक मतभेदों को किनारे कर भारत की संप्रभुता, कश्मीर शांति, युवाओं को रोजगार और कश्मीरी पंडितों के लिए न्याय के लिहाज से सोचना चाहिए.''
विधानसभा चुनाव के लिए गठित कांग्रेस की समन्वय समिति के सदस्य और वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी अनुच्छेद 370 पर सरकार के कदम का समर्थन किया था. सिंधिया ने कहा था कि ''जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को लेकर उठाए गए कदम और भारत देश में उनके पूर्ण रूप से एकीकरण का मैं समर्थन करता हूं. ये फैसला राष्ट्र हित मे लिया गया है और मैं इसका समर्थन करता हूं.''
बीजेपी के राष्ट्रीय नेता राष्ट्रवाद की बात करते हैं
बीजेपी महाराष्ट्र और हरियाणा में सत्तारूढ़ पार्टी है और दोनों राज्यों में सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही है. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत राज्य में बाहर से आए स्टार प्रचारकों के चुनाव अभियानों में एक अलग पैटर्न है. सभी राष्ट्रीय नेता प्रचार के दौरान राष्ट्रवाद की बात करते हैं.
बीजेपी के सभी राष्ट्रीय नेताओं ने महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के प्रचार में अनुच्छेद 370 के मुद्दे को उठाया है. हालांकि, यह मुद्दा इन दोनों राज्यों के लोगों की भलाई से सीधे संबंधित नहीं है. कृषि, बंद कारखाने और बेरोजगारी जैसे मुद्दे महाराष्ट्र और हरियाणा दोनों में गायब हैं. जबकि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने इन्हीं मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया था और बड़े फेरबदल के तहत तीनों राज्यों में सरकार बनाई थी.
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों में इस बात को प्रमुखता दी है कि पार्टी अनुच्छेद 370 और जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे के मुद्दे को उठाएगी. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी इसी राह पर प्रचार कर रहे हैं. बीजेपी नेता इस बात पर जोर दे रहे हैं कि कांग्रेस ने अपने फायदे के लिए अनुच्छेद 370 को 70 सालों तक बरकरार रखा.
जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र में अपनी पहली चुनावी रैली को संबोधित किया, तो उन्होंने एक कदम आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस सहित विपक्षी दलों को अनुच्छेद 370 पर सफाई देने के लिए कहा. पीएम मोदी ने यह जानना चाहा कि क्या विपक्षी दल अनुच्छेद 370 को वापस लाएंगे, यदि वे केंद्र में सत्ता में आते हैं. उन्होंने हरियाणा में एक चुनावी रैली में सोमवार को अपनी चुनौती दोहराई.
कश्मीर में अनुच्छेद 370 और राष्ट्रवाद के साथ बीजेपी को उम्मीद है कि वो महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनावों के लिए सकारात्मक कहानी का निर्माण करेगी. हरियाणा का भारतीय सेना में रेशियो काफी अधिक है और महाराष्ट्र का भी सेना में महत्वपूर्ण योगदान है. इसी वजह से कश्मीर के आसपास केंद्रित चुनाव अभियान इन दोनों राज्यों में एक भावनात्मक अपील करता है. बीजेपी का लक्ष्य कश्मीर मुद्दे और सेना की सर्जिकल स्ट्राइक का लाभ उठाना है. इसीलिए फ्रांस में राफेल लड़ाकू विमानों की डिलीवरी लेने के बाद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने हरियाणा में अपनी चुनावी रैली से पाकिस्तान को चेतावनी दी.
विपक्ष सीधे पीएम मोदी को निशाना बना रहा है
दूसरी ओर, विपक्ष बीजेपी द्वारा चलाए जा रहे कैंपेन के ट्रैप में फंस रहा है. विपक्ष महाराष्ट्र और हरियाणा में शासन, अर्थव्यवस्था और कानून व्यवस्था की स्थिति पर नहीं बल्कि अनुच्छेद 370 और राफेल सौदे के मुद्दों पर बीजेपी की आलोचना कर रहा है. कांग्रेस के नेतृत्व वाला विपक्ष तो सीधे पीएम मोदी को निशाना बना रहा है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राफेल सौदे में पीएम मोदी के खिलाफ अपने आरोप को फिर से दोहराया है. राहुल गांधी ने अपने 'चौकीदार चोर है' वाले नारे को नए सिरे से उभारा है, यह देखने के बावजूद कि लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी के लिए यह नारा काम नहीं आया.
हालांकि, राहुल गांधी ने यह बताने की कोशिश की कि विधानसभा चुनाव के प्रचार में अनुच्छेद 370 और कश्मीर का हवाला देकर बीजेपी महाराष्ट्र और हरियाणा में लोगों का ध्यान वास्तविक मुद्दों से हटाने की कोशिश कर रही है. लेकिन वह भी लोगों के मुद्दों पर एक मजबूत आवाज देने में विफल रहे हैं. राहुल गांधी ने इन आरोपों पर बयानबाजी की कि मोदी सरकार पूंजीपतियों की पक्षधर है और अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया है. लेकिन अपनी पार्टी के प्रति लोगों का भरोसा जगाने के लिए कोई रोडमैप पेश नहीं कर पाए हैं.
हरियाणा में ये हैं प्रमुख लोकल मुद्दे
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो और हरियाणा पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक 2012 से 2014 के बीच यानी सीएम मनोहर लाल खट्टर की सरकार से पहले सांप्रदायिक, औद्योगिक और राजनीतिक हिंसक झड़प के मामले 4928 थे. इन दो सालों में अपहरण के 7203 मामले दर्ज किये गये. इन दो सालों में 2813 रेप की घटनाएं हुईं. 2015 से 2017 के बीच यानी सीएम मनोहर लाल खट्टर की सरकार के दौरान सांप्रदायिक, औद्योगिक और राजनीतिक हिंसक झड़प के मामले 7139 हुए, अर्थात इन दो सालों में हिंसक झड़पों की संख्या बढ़ गई. इन दो सालों में अपहरण के 12060 मामले दर्ज किये गये. इन दो सालों में 3577 रेप की घटनाएं हुईं. अर्थात इन दो सालों में रेप और अपहरण जैसी घटनाएं भी बढ़ गईं. इसका मतलब ये है कि हरियाणा में बढ़ता हुआ अपराध एक बड़ा मुद्दा है. हरियाणा में जाट आरक्षण और किसान भी प्रमुख मुद्दा है.
ये हैं महाराष्ट्र के प्रमुख लोकल मुद्दे
महाराष्ट्र की बात करें तो वहां सबसे बड़ी समस्या बाढ़ और सूखे की है. बारिश के दिनों में देश की आर्थिक राजधानी मुंबई समेत महाराष्ट्र के कई इलाके पानी में डूब जाते हैं. तो वहीं गर्मियां आते ही मराठवाड़ा और विदर्भ जैसे इलाकों में सूखा बड़ा मुद्दा हो जाता है. किसानों का सुसाइड भी महाराष्ट्र के लिए एक प्रमुख लोकल मुद्दा है. भीमा-कोरेगांव मामला और मराठा आंदोलन जैसे मुद्दे भी महाराष्ट्र में हावी हैं.
भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर के लिए खराब अनुमानों का दौर जारी
अंतर्राष्ट्रीय संगठन लगातार भारत की धीमी आर्थिक वृद्धि दर की आशंका जता रहे हैं. भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर के लिए खराब अनुमानों का दौर जारी है. वर्ल्ड बैंक के बाद अब अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (आईएमएफ) ने भारत की विकास दर का अनुमान घटा दिया है.
नौकिरियों का जाना नौकरीपेशा वर्ग के लिए एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है और आर्थिक मंदी हर गुजरते दिन के साथ अधिक स्पष्ट हो रही है लेकिन विपक्ष के लोगों में ऐसी कोई राजनीतिक भूख नहीं दिख रही है कि वो महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव में मतदान करने जा रहे लोगों के सामने इसे मुद्दा बना सकें.
यह भी पढ़ें-
महाराष्ट्र: राणे पर BJP-शिवसेना में दरार, फडणवीस बोले- नितेश राणे शिवसेना उम्मीदवार को हराएंगे