Assembly Election 2023 News: पांच राज्यों में इसी महीने विधानसभा चुनाव होने हैं. हर दल जीत-हार के गणित में लगे हैं. हर प्रत्याशी का फोकस है कि उसे ज्यादा से ज्यादा वोट मिले. कौन जीतेगा और कौन हारेगा इसका फैसला 3 दिसंबर को हो जाएगा. इस दौरान कोई सबसे ज्यादा वोटों से जीत का रिकॉर्ड बनाएगा, तो कोई सबसे कम वोटों से जीत का कीर्तिमान अपने नाम करेगा.


इन सबके बीच हम आपको बताने जा रहे हैं चुनाव से जुड़ा एक ऐसा किस्सा जिसे सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे. यह चुनाव नतीजे से जुड़ा ऐसा किस्सा है जो कभी कभार ही देखने को मिलता है. जी हां, यह वाक्या है मेघालय का जहां टॉस करके यह तय किया गया कि कौन मुख्यमंत्री बनेगा. इसके अलावा विजेता का फैसला भी यहां टॉस से हो चुका है. आइए जानते हैं पूरा मामला.


मेघालय में दो बार सिक्के से तय हुआ विजेता


द हिंदू अखबार में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, मेघालय हमेशा राजनीतिक अस्थिरता का गवाह रहा है. यही बात है कि 1972 से 2017 के बीच में राज्य में 21 मुख्यमंत्री बन गए. यहां एक बार ऐसी स्थिति बनी कि राज्य में टॉस के जरिए सीएम का फैसला किया गया. दरअसल गठबंधन सरकार बनाने की कोशिशों में जुटी दो पार्टियों के बीच सिक्का उछाल कर तय किया गया था कि किसका मुख्यमंत्री पहले बनेगा.


वहीं बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1988 में मेघालय विधानसभा में दो उम्मीदवार रोस्टर संगमा और चेम्बर लाइन मार्क को बराबर वोट मिले थे, लेकिन चुनाव अधिकारी ने टॉस उछाला जो संगमा के पक्ष में गया और उन्हें विजेता घोषित किया गया.


झारखंड भी नहीं रहा 'सिक्के'  से अछूता


झारखंड में सिक्के का गवाह बन चुका है. यह बात है वर्ष 2010 की. तब झारखंड में पंचायत चुनाव हुए थे. यहां के साहेबगंज जिले के बढरवा ब्लॉक में एक पंचायत समिति के सदस्य का चुनाव इसी के जरिये हुआ था. तब नवजीत बीवी और सुगना सुल्ताना को 610-610 वोट मिले थे. चुनाव अधिकारी ने तब टॉस कराके दोनों में से एक को विजयी घोषित किया.


असम निकाय चुनाव भी बना है सिक्के का गवाह


असम में 2018 में हुए पंचायत चुनाव में भी ऐसी ही घटना हुई थी. तब स्वाधीन, हेलखांडी और लालमुख पंचायत चुनाव में टॉप के दो प्रत्याशियों को एक जैसे वोट मिले. इसके बाद तीनों ही पंचायत में टॉस के जरिये विजेता का फैसला हुआ.


मुंबई में लॉटरी से तय हुआ विनर


मुंबई में निकाय चुनाव (बीएमसी) का काफी महत्व है. 2017 में बीएमसी के चुनाव में भी सिक्के की एंट्री हुई और उसने जीत हार का फैसला किया. तब वॉर्ड नंबर 220 में बीजेपी के अतुल शाह और शिवसेना के सुरेंद्र बगलकर को बराबर वोट मिले थे. इसके बाद लॉटरी का इस्तेमाल कर विजेता का फैसला किया गया.


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