अयोध्या में राम मंदिर कब तक होगा तैयार? चंपत राय ने abp न्यूज से बातचीत में दिया जवाब, राजनीति को लेकर कही बड़ी बात
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने बताया कि किस तरह से राम मंदिर की तैयारियों को आगे बढ़ाया जा रहा है. चंपत राय ने ये भी बताया कि मंदिर कब तक तैयार होगा.
अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने का काम जोरों पर है. इस बीच श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने एबीपी से बातचीत में कई अहम खुलासे किए. उन्होंने बताया कि किस तरह से तैयारियों को आगे बढ़ाया जा रहा है. चंपत राय ने ये भी बताया कि मंदिर कब तक तैयार होगा. चंपत राय के मुताबिक दिसंबर 2023 तक मंदिर के गर्भगृह में भगवान अपने आसन पर आ जाएंगे. उन्होंने कहा कि मंदिर तो आज भी सब के लिए खुला है. एक अस्थायी लकड़ी के मंदिर में भगवान विराजमान हैं. इसके पहले वो तंबुओं में थे. दर्शन खुले हैं, मंदिर खुला है. भगवान दिसंबर 2023 तक अपने स्थायी घर में आ जाएंगे.
बीजेपी भी यही कह रही है, क्या ये चुनावी राजनीति है? इस सवाल के जवाब में चंपत राय ने कहा कि मूर्खों के लिए चुनावी राजनीति हो सकती है. जो अयोध्या के लोग हैं, उनके लिए एक असलियत है. एक तथ्य है कि पहले भगवान कपड़े के तम्बू में थे, अब लड़की के मॉडल में है. कल को अपने स्थायी घर में आ जाएंगे, महल में आएंगे. बड़े- बड़े सेठ लोग भी यही करते हैं. राजा महाराजा भी यही करते हैं. वो तो राजा महाराजाओं के भी राजा हैं. इसलिए कुछ नया नहीं है.
बीजेपी ने एक नारा दिया 'जो राम को लाए थे, हम उनको लाएंगे', कैसे देखते हैं इन नारों को? इस पर चंपत राय ने कहा कि ये नारा बीजेपी ने दिया है कि जनता ने दिया है? बीजेपी ने तो उसको उठा लिया. चंपत राय के मुताबिक ये नारा जनता ने दिया है. उन्होंने कहा कि 30 साल के इतिहास की तो यही सच्चाई है. बीजेपी के अनेकों मुख्यमंत्री, विधायक, सांसद आज से 30 साल पहले उनकी उम्र क्या रही होगी? वो सब अपने-अपने गांव, इलाके में राम जन्मभूमि मुक्ति के लड़ाकू योद्धा थे. हम भी जानते हैं उनको. वो भी इस सच्चाई को जानते हैं. वो आज सब जो भाजपा में है तो ये बोल रहें हैं. उन्हें बोलने का अधिकार है, चूंकि उन्होंने इसके लिए लड़ाई लड़ी थी.
ये आंदोलन सफलता के आयाम पर पहुंच चुका है या बहुत कुछ बाकी है? इस पर चंपत राय ने कहा कि ये आंदोलन हिंदुस्तान को दुनिया में शिखर पर ले जाने का आंदोलन है. मंदिर उसका एक चरण है. भारत माता की जय, ये सारा हिंदुस्तान बोलता है. इसका अर्थ है सारे संसार में भारत माता की जय जयकार होनी चाहिए. चंपत राय बोले कि अगर भारत गरीब रहा तो जय-जयकार नही होगी. भारत बिना पढ़े-लिखे लोगों का देश रहा तो जय जयकार नही होगी. सारे क्षेत्रों में जब भारत सर्वोच्च शिखर पर होगा तो भारत माता की जय साकार होगी. हमारा सारा प्रयास भारत माता की जय शब्द को साकार करने का प्रयास है.
उत्तर प्रदेश को अखंड भारत में कहां देखते हैं? यहां जीत-हार, किसकी हो रही है? उत्तर प्रदेश अखंड भारत के अंदर जहां है, वहां है. चुनाव में जीत हार किसकी हो रही है ये तो कोई वो बताएगा जो ज्योतिष करता हो. मैं तो जानता नही. मंदिर के बारे में तीन बातें जो इसे ज्यादा भव्य बना देंगी? इस पर चंपत राय ने कहा कि इस मंदिर की 21वी शताब्दी में बनायी गयी नींव अपने में अनोखी है. स्वतंत्र भारत में ऐसी नींव नही बनी है अब तक. दुनिया का तो कहना ठीक नही है, हिंदुस्तान का श्रेष्ठ दिमाग इसमें सामूहिक रूप से काम कर रहा है. ये इसकी दूसरी अच्छी बात यही है. इतना विशाल संरचना पत्थरों का बन रहा है, जिसमें लोहे की सुद्रधीकरण नही है. ये इसकी तीसरी बात हुई. अभी मंदिर बना ही नही है और करोड़ों लोगों का इसके साथ जुड़ाव हो गया है. कम से कम 11 करोड़ लोगों ने 10 रुपया इस मंदिर को देकर भगवान की झोली भर दी है. अभी तो मंदिर बनना शुरू ही हुआ है और दुनिया का. भारत का इसके प्रति जो लगाव झुकाव प्रकट हुआ है, वो अपने में असाधारण है.
ज़मीन विवाद, दान पर हो रहे विवाद पर चंपत राय ने कहा कि खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे ये एक कहावत है. वो यहां लागू होती है. जब आदमी अपने मन के अनुकूल काम नही पाता है तो वो उल्टी सीधी बातें करता है. बस और कुछ नही है. राजनीति के लोग क्या कह रहें हैं, मैं कभी इस पर तनिक भी विचार ही नही करता. वो बात करने के लिए आज़ाद हैं.
जब आप राम मंदिर प्रांगण में आते हैं, आप की भावना क्या होती है? इस सवाल के जवाब में चंपत राय ने कहा कि जैसी भावना वहां रहती है, वैसी भावना यहां रहती है. बदलती है क्या भावना भी कभी? प्रांगण में आकर भोजन करते समय, सोते समय, ट्रेन में यात्रा करते समय राम जन्मभूमि के प्रति भावना एक जैसी रहती है. इस सबसे बड़ी उपलब्धि को कैसे गिनते हैं आप? इस पर चंपत राय ने कहा कि जीवन में कोई उपलब्धि नही है. जीवन में काहे की उपलब्धि होगी? मेरा एक छटाक वजन बढ़ा नहीं, काहे की उपलब्धि है?
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