नई दिल्ली: देश में आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हैं. अगला लोकसभा चुनाव 2019 में होगा या 2018 में, ये सवाल सियासी गलियारे में खूब सुर्खियां बटोर रहा है. एक फरवरी को लोकसभा में देश का पूर्ण बजट पेश किया गया. विशेषज्ञों की मानें तो इस बार के बजट ने मिडिल क्लास को झटका दिया है तो वहीं देश की गरीब आबादी पर सरकार ने खास ध्यान दिया है. कहा तो ये भी जा रहा है कि इस बजट के बूते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक तीर से तीन निशाने साधे हैं.
पहला निशाना- देश की 40 फीसदी आबादी
बजट में 'आयुष्मान भारत' योजना को लेकर मोदी सरकार अपना पीठ थपथपा रही है और इसकी खूब चर्चा भी है. दरअसल यही वो तीर है जिसके जरिए मोदी सरकार ने तीन निशाने साधे हैं. पहला निशाना देश की 40 फीसदी आबादी है. यह योजना देश के 50 करोड़ गरीब लोगों के लिए लाई गई है. इसके जरिए मोदी सरकार सीधे 40 फीसदी आबादी को अपने पाले में खींचने की कोशिश की है.
दूसरा निशाना पीएम मोदी की वैश्विक छवि
प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद पीएम मोदी ने देश के भीतर जहां अपने विरोधियों को चारों खाने चित किया, वहीं दुनिया के मंच पर भी अपनी छवि एक दमदार नेता के रूप में स्थापित की है. 'आयुष्मान योजना' को भी इसी की एक कड़ी मानी जा रही है. अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 2010 में तो करीब ढाई करोड़ अमेरिकी परिवारों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू की थी लेकिन मोदी सरकार ने उससे आगे बढ़कर जिस 'आयुष्मान भारत' योजना का एलान किया है उसका लक्ष्य 10 करोड़ परिवारों यानी देश की करीब 40 फीसदी आबादी को फायदा पहुंचाना हैं. इसके लिए तैयारिया पहले ही शुरु हो चुकी हैं. ये योजना अगले लोकसभा चुनाव का टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकती है. इस योजना को दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना कहा जा रहा है.
तीसरा निशाना- विपक्ष के गरीब विरोधी सरकार के प्रचार का खात्मा
विपक्ष लगातार मोदी सरकार पर ये आरोप लगाती रही है कि ये उद्योगपतियों के लिए काम करने वाली सरकार है. लेकिन मोदी सरकार ने इस योजना की घोषणा देश के 50 करोड़ गरीब परिवारों को ध्यान में रख कर की है. इसके जरिए मोदी सरकार अपने उपर हमलावर विपक्ष के आरोपों से उबरने की ठोस कोशिश की है.