West Bengal Panchayat Elections 2023: पश्चिम बंगाल में 8 जुलाई को पंचायत चुनाव के लिए मतदान होने वाला है, वहीं चुनाव के नतीजे उसके दो दिनों बाद 11 जुलाई को सामने आएंगे. लोकसभा से पहले यह चुनाव कई मायनों में अहम माना जा रहा है, सीएम ममता बनर्जी के लिए यह अपने वर्चस्व को बनाए रखने की टेस्ट होगी तो वहीं बीजेपी लोकसभा चुनाव से पहले अपने आप को मजबूत करने की कोशिश करेगी. 


बंगाल में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के तहत ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला पंचायत की सीटों के लिए चुनाव होगा. एक तरफ जहां सभी पार्टियां चुनाव प्रचार में लगे हैं वहीं दूसरी तरफ राज्य में नामांकन से समय से ही काफी हिंसक घटनाएं हो रही है. अब इस माहौल में एबीपी सी-वोटर ने वोट का गणित समझने के लिए एक सर्वे किया, जिसमें कई चीजें निकल कर सामने आई है. सर्वे की मानें तो राज्य में टीएमसी को नुकसान होता दिख रहा है. 


11 हजार लोगों से बात कर निकाला गया आंकड़ा
पश्चिम बंगाल में ग्राम पंचायतों की कुल 62 हजार 404 सीटें, पंचायत समिति की 9 हजार 498 सीटें हैं. इसके अलावा जिला परिषदों में कुल 928 सीटें हैं. कुल मिलाकर पंचायत चुनाव में 72 हजार 830 सीटें हैं. राज्य में पंचायत चुनाव के दौरान हो रही हिंसक घटनाओं को देखते हुए इस बार कई केंद्रीय बलों की तैनाती हुई है. एबीपी सी-वोटर ने राज्य के सभी जिला परिषदों के सभी केंद्रों पर पहुंचकर करीब 11 हजार लोगों से बात कर यह आंकड़ा लाई है. 


यह सर्वेक्षण 15 जून 26 जून के बीच आयोजित किया गया. इस सर्वे में त्रुटि का मार्जिन 5 प्रतिशत प्लस या माइनस है. यहां हम बता दें कि ओपिनियन पोल अंतिम चुनाव नतीजे नही होते हैं. सर्वे के अनुसार बंगाल में सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर होने वाली है. हालांकि ममता बनर्जी की पार्टी को नुकसान होता नजर आ रहा है. 


48 प्रतिशत जिला परिषदों के कामकाज से नाखुश 
सर्वे की मानें तो पश्चिम बंगाल में करीब 48 प्रतिशत से मतदाताओं ने यह दावा किया है कि वो पंचायत के प्रमुखों, जिला परिषदों के कामकाज से नाखुश हैं, वे चाहते हैं कि इस बार के चुनाव में सत्ता परिवर्तन होना चाहिए. वहीं करीब 29 प्रतिशत यह मानते है कि कामकाज ठीक नहीं है लेकिन अभी वो बदलाव नहीं चाहते हैं. करीब 13 फीसदी लोग उनके कामकाज से खुश हैं, तो वहीं 10 प्रतिशत लोगों ने कहा कि कुछ कह नहीं सकते.


कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर लोगों की राय
एबीपी सी-वोटर सर्वे में तृणमूल कांग्रेस के अल्पसंख्यक वोटों में भी संभावित गिरावट देखने को मिला है. बंगाल में 56 प्रतिशत लोगों ने बताया है कि सत्तारूढ़ दल के अल्पसंख्यक वोटों में गिरावट की संभावना अधिक है. वहीं 30 प्रतिशत ने इसके विपरीत जवाब दिया है और करीब 14 प्रतिशत लोगों ने कहा उन्हें इस मामले में जानकारी नहीं है. 


राज्य में कानून-व्यवस्था के मुद्दे की बात करें तो सर्वे से यह पता चलता है कि बंगाल में 30 प्रतिशत वोटरो को लगता है कि भ्रष्टाचार का मुद्दा इस बार के पंचायत चुनावों में सबसे अधिक है. जबकि 19 प्रतिशत लोगों ने बढ़ती बेरोजगारी के पक्ष में अपनी राय दी. वहीं 42 प्रतिशत को लगता है कि कानून और व्यवस्था जैसे मुद्दे सबसे ज्यादा प्रभावित करेगी. 9 प्रतिशत लोगों ने मालूम नहीं में जवाब दिया.


क्या तृणमूल के गढ़ पर हो सकता है हमला?
एबीपी सी-वोटर सर्वे के अनुसार, हुगली में जिला परिषद की कुल 50 सीटें हैं. जहां तृणमूल को 37 से 47 सीटें मिल सकती हैं. बीजेपी के पास 6 से 12 सीटें रह सकती हैं. कांग्रेस और लेफ्ट गठबंधन के खाते में 0-3 सीटें जा सकती हैं. 2018 के पंचायत चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने हुगली जिला परिषद की 50 में से 50 सीटें जीतीं. यहां से बीजेपी, वाम मोर्चा और कांग्रेस को जिला परिषद में शून्य के अंक में सिमट गई थी. क्या इस बार तृणमूल के गढ़ पर होगा हमला?


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