नई दिल्लीः बीजू जनता दल के बडे नेता बैजयंत पांडा बीजेपी में शामिल हो गए हैं. ओडिशा में बीजेपी के नेता गदगद हैं. लेकिन, क्या पांडा पार्टी की तकदीर बदल पायेंगे. सवाल ये भी है कि उनके कारण बीजेपी को कितना फ़ायदा होगा? बैजयंत पांडा को ओडिशा में लोग जय पांडा के नाम से जानते हैं. बीजेपी में उनकी एंट्री गेम चेंजर तो नहीं हो सकती लेकिन पार्टी के पक्ष में एक माहौल तो बन सकता है.


पांडा के बीजेडी छोड़ने पर अब तक नवीन पटनायक या उनकी पार्टी के किसी नेता का बयान नहीं आया है. कभी पटनायक के सबसे क़रीबी साथी रहे पांडा को पिछले साल 24 जनवरी को पार्टी से निलंबित कर दिया गया था. चार महीनों बाद उन्होंने ख़ुद पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया था.


पांडा ने कहा कि नौ महीनों तक दोस्तों और लोगों से सलाह करने के बाद बीजेपी में शामिल होने का फ़ैसला किया है. कभी नवीन बाबू को दुनिया का सबसे अच्छा नेता बताने वाले पांडा अब पीएम नरेन्द्र मोदी का गुणगान कर रहे हैं.


जय पांडा के बीजेडी छोड़ने पर पार्टी को कोई नुक़सान होता नहीं दीख रहा है. नवीन पटनायक पार्टी के अध्यक्ष हैं और पिछले 19 सालों से ओडिशा के मुख्यमंत्री भी. उनकी लोकप्रियता अब भी बनी हुई है. जय पांडा दो बार केन्द्रपाड़ा से लोक सभा के सांसद रहे हैं. वह एक बार राज्य सभा के एमपी भी रह चुके हैं.


ओडिशा के बड़े कारोबारी जय पांडा की पत्नी जागी मंगत राज्य के सबसे बड़े ओडिया न्यूज़ चैनल की मालकिन हैं. इस लिहाज़ से बीजेपी को फ़ायदा हो सकता है. क्योंकि अधिकतर ओडिया अख़बार और न्यूज़ चैनलों के मालिक बीजेडी के साथ हैं. कलिंग टीवी के चेयरमैन अच्युत सामंत बीजेडी के राज्य सभा सांसद हैं. धरित्री अख़बार के मालिक तथागत सतपथी भी बीजेडी के सांसद हैं.


क्या जय पांडा की बदौलत बीजेपी का कुछ भला हो सकता है? इसकी संभावना कम ही है. ओडिशा में लोकसभा की 21 सीटें हैं. पिछले चुनाव में बीजेडी को 20 जगहों पर जीत मिली थी. जबकि बीजेपी को सिर्फ़ सुंदरगढ की सीट से ही संतोष करना पड़ा था. यहां के सांसद जोएल ओराम मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होते हैं.


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इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट की पढ़ाई कर चुके जय पांडा की छवि एक ज़मीनी नेता की नहीं रही है. केन्द्रपाड़ा से दो बार सांसद रहने के कारण राज्य के तटीय इलाक़ों में उनकी अच्छी पकड़ है. बीजेडी के पास इस तरह का कोई नेता नहीं था. दो बडे नेताओं दिलीप राय और विजय महापात्र के इसी साल पार्टी छोड़ने से माहौल गड़बड़ हो गया था. जय पांडा भी कहां जाते?


राज्य में कांग्रेस की हालत बहुत ख़राब है और नवीन पटनायक की दुश्मनी से बचने के लिए बीजेपी के अलावा कोई ठिकाना नहीं बचा था. इतना ज़रूर है कि जय पांडा के बहाने बीजेपी अब बीजेडी पर हमले कर सकती है. कुछ सालों पहले तक पांडा और उनका परिवार नवीन पटनायक के सबसे क़रीब था. इसीलिए अगर पांडा अब पटनायक पर आरोप लगायेंगे तो बीजेपी को बीजेडी पर हमले का मौका मिल सकता है.


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