नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के लिए देश में तो रैलियां हो ही रही हैं, मुकाबला विदेश तक पहुंच गया है. विदेशों में भी कांग्रेस और बीजेपी यानी दोनों प्रमुख पार्टियां अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुट गई हैं. शनिवार को लंदन में दोनों पार्टियों के समर्थक कार रैली का आयोजन कर रहे हैं. जाहिर है दोनों पार्टियां अपनी कार रैली को सफल बनाने में लग गई हैं.


कांग्रेस का संगठन इंडियन ओवरसीज कांग्रेस यूके वहां के समयानुसार सुबह 9 बजे से कार रैली निकालेगी. ये रैली वहां के पार्लियामेंट चौक स्थित गांधी प्रतिमा से शुरू हो कर साउथहॉल, लेसिस्टायर, बर्मिंघम जैसे इलाकों से हो कर गुजरेगी. इस कार रैली के आयोजन के लिए भारत से लंदन गए ओवरसीज कांग्रेस के सचिव वीरेंद्र वशिष्ठ ने बताया कि लन्दन की कार रैली के साथ ही लोकसभा चुनाव के लिए अप्रवासी भारतीयों के बीच समर्थन जुटाने का अभियान तेज किया जा रहा है. आने वाले दिनों में कई और शहरों में इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.


उन्होंने कहा कि ओवरसीज कांग्रेस की कोशिश है कि करीब 5,000 NRI चुनाव प्रचार करने के लिए अपने देश आएं. यहां प्रचार भी करें और अपना वोट भी डालें. वशिष्ट ने कहा कि हमारे भविष्य के लिए हमारा वोट सबसे अहम होता हैं. हम अपने NRI साथियों से अपील कर रहे हैं कि देश में लोकतंत्र को बचाने और मजबूत करने के लिए इकट्ठे हों.


आपको बता दें कि NRI समुदाय के बीच प्रचार के मामले में कांग्रेस अब तक बहुत सक्रिय नहीं रही है. लेकिन इस बार तस्वीर बदली हुई है. पिछले दो सालों में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अमेरिका से लेकर दुबई तक का दौरा कर, वहां रह रहे भारतीयों को संबोधित किया है. लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी के घोषणपत्र के मद्देनजर फरवरी में ओवरसीज कांग्रेस ने दुबई में कार्यक्रम आयोजित कर NRI समुदाय से सुझाव भी मांगे थे. ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा हैं. दुनिया के कई देशों में ओवरसीज कांग्रेस का संगठन सक्रिय है.


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वहीं दूसरी तरफ ओवरसीज बीजेपी भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन में जम कर प्रचार कर रही है. उन्होंने भी शनिवार को लंदन में कार रैली का आयोजन किया है जो लंदन के वक्त के मुताबिक दोपहर 12 बजे शुरू होगा. इसमें यूरोपियन रेसिंग चैंपियन अद्वैत देवधर भी हिस्सा लेंगे. जानकारी के मुताबिक इससे पहले 'ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी' बाइक रैली, नमो-टी जैसे कार्यक्रम आयोजित कर चुकी है. वैसे भी अप्रवासियों के बीच बीजेपी की मजबूत पकड़ मानी जाती है.


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जाहिर है राजनीतिक दलों को लगता है कि विदेशों में बसे भारतीयों के समर्थन से देश में उनके सगे संबंधियों का वोट मिलने में आसानी तो होगी ही संबंधित इलाकों में भी सकारात्मक माहौल बनेगा. वैसे भी दुनिया अब ग्लोबल हो चुकी है. सोशल मीडिया के जरिए लोग दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक चौबीसों घन्टे जुड़े रहते हैं. लिहाजा पार्टियां प्रचार की परिधि में कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते फिर चाहे बात देश की हो या विदेश की.