बीजेपी ने किया कांडा से किनारा करने का फैसला, सरकार में नहीं मिलेगी हिस्सेदारी- सूत्र
हरियाणा में बीजेपी को सरकार बनाने के लिए छह विधायकों की दरकार है. गोपाल कांडा ने कहा है कई निर्दलीय विधायक उसके संपर्क में हैं और वह बीजेपी का समर्थन करेंगे.
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नई दिल्ली: हरियाणा में जो विधायक बीजेपी के समर्थन में आए हैं, उनमें सबसे चौंकाने वाला नाम गोपाल कांडा का है. कई आरोपों से घिरे कांडा अपना आरएसएस से पुराना नाता बता भी रहे हैं. इस बीच एक बड़ी खबर समाने आई है, बीजेपी ने गोपाल कांड़ा से किनारा कर लिया है. सूत्रों के मुताबिक कांडा को बीजेपी सरकार में मंत्री पद नहीं मिलेगा.
बीजेपी में मौजूद उच्च सूत्रों ने बताया कि गोपाल कांड़ा को समर्थन अगर देना है तो वो राज्यपाल के पास जाकर चिट्ठी देंगे, उनके समर्तन की चिट्ठी बीजेपी के पास नहीं आने वाली है. ऐसी सूरत में वो किसे समर्थन देते हैं और किसे नहीं देते हैं उससे बीजेपी का कोई लेना देना नहीं है. जानकारी के मुताबिक गोपाल कांडा की सरकार में हिस्सेदारी नहीं होने वाली है.
पार्टी सूत्रों ने यह भी कहा कि वो कांडा किसके साथ कड़े होते हैं या नहीं होते हैं उनका अपना मसला होगा, इससे पार्टी को कुछ लेना देना नहीं है. पार्टी ऐसे दागदार चेहरों को अपने साथ चिपका कर नहीं रखना चाहती है. नैतिकता के मापदंडों बचाए रखने की जिम्मेदारी बीजेपी की भी है. इसीलएिए पार्टी ने उच्चतम स्तर पर फैसला लिया है कि गोपाल कांडा को सरकार में हिस्सेदारी नहीं दी जाएगी.
कांडा पर बीजेपी के अंदर ही उठे सवाल बीजेपी के गोपाल कांडा के समर्थन के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं. खुद पार्टी की नेता भारती ने इस पर सवाल उठा दिए हैं. उमा भारती ने ट्वीट किया, '' अगर गोपाल कांडा वही व्यक्ति है जिसकी वजह से एक लड़की ने आत्महत्या की थी और उसकी मां ने भी न्याय नहीं मिलने पर आत्महत्या कर ली थी, मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है और ये व्यक्ति जमानत पर बाहर है.''
उन्होंने लिखा, ''गोपाल कांडा बेकसूर है या अपराधी, ये तो कानून साक्ष्यों के आधार पर तय करेगा. लेकिन उसका चुनाव जीतना उसे अपराधों से बरी नहीं करता. चुनाव जीतने के बहुत सारे फैक्टर होते हैं. बीजेपी से अनुरोध करूंगी कि हम अपने नैतिक अधिष्ठान को न भूलें.''
कांडा के कारण विरोधियों के निशाने पर आई बीजेपी कांडा के समर्थन को लेकर उमा भारती का ये ट्वीट बीजपी को असहज करने वाला है. विरोधी पहले ही कह रहे हैं कि सत्ता के लिए बीजेपी को कांडा के दाग अच्छे लगने लगे हैं. आम आदमी पार्टी ने गीतिका शर्मा खुदकुशी मामले का जिक्र करते हुए बीजेपी पर हमला बोला.
गोपाल कांडा की कहानी जानिए? हरियाणा की राजनीति में गोपाल कांडा की ऊंचाई तक पहुंचने की कहानी कम फिल्मी नहीं है. एक वक्त था जब गोपाल कांडा सिरसा में रेडियो रिपेयर की दुकान चलाते थे. उसके बाद उन्होंने जूते-चप्पल की दुकान खोली. दुकान चल पड़ी फिर जूते की फैक्ट्री खोल ली और फिर जूते की नाप लेते-लेते राजनीति की सीढ़ियां चढ़ते गए.
कांडा का नाता एक के बाद एक अलग-अलग पार्टी के नेताओं से जुड़ता चला गया और उनकी हैसियत भी बढ़ती चली गई. साल 2009 में भी हरियाणा की राजनीति में आज जैसे हालात बने थे. कांग्रेस बहुमत से दूर चालीस सीट पर रह गई थी. उस वक्त गोपाल कांडा निर्दलीय चुनाव जीते थे और कांग्रेस की सरकार को समर्थन की कीमत गृह राज्य मंत्री की कुर्सी लेकर वसूली थी.
क्या है गीतिका शर्मा सुसाइड केस गोपाल कांडा तब विवादों में फंस गए थे जब उनकी बंद हो चुकी एयरलाइन कंपनी एमडीएलआर में काम करने वाली गीतिका नाम की एयरहोस्टेस ने अगस्त 2012 में खुदकुशी कर ली थी. उन्होंने अपने सुसाइड नोट में गोपाल गोयल कांडा को जिम्मेदार ठहाराया था. यह मामला अभी भी कोर्ट में है. गीतिका शर्मा की मां अनुराधा शर्मा ने भी बेटी की खुदकुशी के कई महीनों बाद आत्महत्या कर ली थी.
गीतिका शर्मा आत्महत्या मामले में पुलिस ने 6 अक्टूबर 2012 को चार्जशीट दाखिल की थी. इसके मुताबिक, कांडा ने मनमानी और दुर्भावनापूर्ण हरकतें करके गीतिका को मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया था, उसे धमकाया, ब्लैकमेल किया, जिससे तंग आकर गितिका आत्महत्या जैसा कदम उठाने को मजबूर हो गई. कांडा को जेल जाना पड़ा था और खुदकुशी के लिए उकसाने का केस उनपर अब भी चल रहा है.
गोपाल कांडा पर और क्या-क्या मामले हैं? चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामे के मुताबिक. गोपाल कांडा के खिलाफ एक चेक बाउंस का केस, चिटिंग यानी चार सौ बीसी का केस, साजिश का केस, टैक्स चोरी का मामला, आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला, आपराधिक साजिश रचने का मामला और सबूतों से छेड़छाड़ के मामले में केस दर्ज हैं.
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