नई दिल्ली: बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. पहली लिस्ट में पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का टिकट गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र से काट दिया गया है. वहां से पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को टिकट दिया गया है. पहली लिस्ट में आडवाणी को टिकट नहीं दिए जाने के बाद मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि पार्टी बुजुर्गों का सम्मान नहीं करती है.


पार्टी को शून्य से शिखर तक ले गई अटल-आडवाणी की जोड़ी


लालकृष्ण आडवाणी ने पार्टी की स्थापना में अहम भूमिका निभाई थी. साल 1984 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी मात्र दो सीटें जीतने में कामयाब हुई थी. इसके बाद पार्टी को अटल-आडवाणी की जोड़ी ने मजबूती दी और 1996 में पार्टी गठबंधन की मदद से पहली बार 13 दिनों के लिए सत्ता में आई. फिर 1998 में 13 महीनों के लिए और 1999 में गठबंधन दलों के साथ मिलकर बीजेपी पहली बार पांच साल के लिए सत्ता में आ गई.


1980 बनी बीजेपी मात्र 19 साल में सत्ता के शिखर तक पहुंच गई और 19 साल के सफर में अपने साथी गठबंधन दलों के साथ मिलकर 5 साल के लिए सत्ता में आ गई. पार्टी में उस समय अटल बिहारी वाजपेयी और आडवाणी की जोड़ी का वर्चस्व था. लालकृष्ण आडवाणी तीन बार पार्टी के अध्यक्ष रह चुके हैं. पार्टी की स्थापना के बाद अटल बिहारी वाजपेयी अध्यक्ष बने थे और इसके बाद आडवाणी ने मोर्चा संभाला था.


साल 2004 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा और पार्टी केंद्र की सत्ता से बाहर हो गई. इसके बाद कांग्रेस पार्टी 10 साल तक सत्ता में रही.


मोदी के नेतृत्व में मिली सबसे बड़ी बहुमत


2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को ऐतिहासिक जीत मिली और इतिहास में पहली बार बीजेपी को अकेले पूर्ण बहुमत मिला. लेकिन नरेंद्र मोदी को पार्टी के भीतर लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने में कई अहम मोड़ सामने आए.


साल 2013 में राजनाथ सिंह बीजेपी के पार्टी अध्यक्ष थे, इसी दौरान गोवा में पार्टी कार्यकारिणी की बैठक बुलाई गई. इसमें ही उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष और पार्टी की तरफ से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया गया था. नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाए जाने से लालकृष्ण आडवाणी सहज नहीं थे और उसी दौरान उन्होंने अपना इस्तीफा भी पार्टी को दे दिया था. हालांकि, उन्हें पार्टी के सीनियर नेताओं ने मना लिया और आडवाणी ने इसके बाद अपना इस्तीफा वापस ले लिया.


2014 के लोकसभा चुनाव के बाद जब नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने तब से सरकार और पार्टी पर उनका वर्चस्व कायम है. उन्होंने अपने भरोसेमंद अमित शाह को पार्टी का अध्यक्ष बनाया. इस दौरान आडवाणी सरकार से तो गायब थे ही , धीरे -धीरे वो संगठन से भी अलग-थलग पड़ गए. बाद में बीजेपी ने कुछ वरिष्ठ नेताओं के लिए मार्गदर्शक मंडल का गठन किया और जिसमें आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी का नाम शामिल है.


इसके बाद 2017 में राष्ट्रपति चुनाव  होना था. यहां भी उम्मीद लगाई जा रही थी कि लालकृष्ण आडवाणी को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जा सकता है, लेकिन यह भी नहीं हुआ. पार्टी ने उस समय बिहार के राज्यपाल रहे रामनाथ कोविंद को अपना उम्मीदवार बनाया. विपक्ष की तरफ से मीरा कुमार उम्मीदवार थीं. इसमें रामनाथ कोविंद की जीत हुई और वह देश के राष्ट्रपति बने.


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