हरियाणा चुनाव: दो मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारकर बीजेपी ने खेला बड़ा दांव
हरियाणा विधानसभा चुनाव: मेवात हरियाणा का मुस्लिम बाहुल इलाका है. लोकसभा चुनाव के दौरान भी बीजेपी इस इलाके में पिछड़ गई थी.
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हरियाणा विधानसभा चुनाव: अल्पसंख्यक समुदाय को साधने के लिए बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में बड़ा दांव खेला है. बीजेपी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बाहुल इलाके मेवात में दो मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. इतना ही नहीं 2014 में एक सिख उम्मीदवार को टिकट देने वाली बीजेपी ने इस बार सिख समुदाय के तीन उम्मीदवारों पर दांव लगाया है.
बीजेपी ने इनेलो से शामिल हुए विधायकों जाकिर हुसैन को नूह और नसीम अहमद को फिरोजपुर झिरका से टिकट दिया है. जाकिर हुसैन और नसीम अहमद 2014 में इनेलो के टिकट पर इन दोनों सीटों से जीत दर्ज करने में कामयाब हुए थे. मोदी लहर के बावजूद नूह और फिरोजपुर झिरका में बीजेपी लोकसभा चुनाव से दौरान बड़े अंतर से पिछड़ी थी.
इनेलो के टूटने के बाद जाकिर हुसैन और नसीम अहमद विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी में शामिल हो गए. वैसे तो बीजेपी की पहचान मुस्लिम उम्मीदवारों पर दांव नहीं लगाने वाली पार्टी के तौर पर रही है, लेकिन मेवात में बीजेपी को ऐसे उम्मीदवार चाहिए थे जिनकी जीत पक्की हो. इसलिए बीजेपी ने दो मुस्लिम नेताओं पर दांव लगाया.
तीन सिख उम्मीदवार भी मैदान में
बीजेपी ने 2014 में सिर्फ एक सिख उम्मीदवार को टिकट दिया था. लेकिन इस बार बीजेपी ने तीन सिख उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. बीजेपी ने स्टार हॉकी खिलाड़ी रहे संदीप सिंह को पिहोवा विधानसभा से टिकट दिया है, जबकि अंसध से पार्टी ने बक्शीश सिंह पर दांव लगाया है. 2014 में बक्शीश सिंह इस सीट से विधायक चुने गए थे. इन दोनों के अलावा बीजेपी ने शिरोमणि अकाली दल से पार्टी में शामिल होने वाले बलकौर सिंह को कालांवली से ही मैदान में उतारा है.
एक तीर से दो निशाने
अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं को टिकट देकर बीजेपी ने एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश की है. पहला तो बीजेपी इस कदम के जरिए 'सबका साथ सबका विकास' नारे को भुना रही है, जबकि दूसरा जिताऊ उम्मीदवारों पर दांव लगाकर बीजेपी अपने 'मिशन 75' को हासिल करने में कोई कमी नहीं रहने देना चाहती.''
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