ABP Cvoter Karnataka Exit Poll: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाने वाले सभी 224 उम्मीदवारों का फैसला बुधवार (10 मई) को मतदान के साथ ही ईवीएम में कैद हो गया. 13 मई को मतगणना होगी. मतदान के बाद एबीपी न्यूज सी-वोटर ने एग्जिट पोल दिखाया, जिसमें कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई.
पोल के आंकड़ों के मुताबिक, 224 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस को 100-112, बीजेपी को 83-95, जेडीएस को 21-29 और अन्य को 2-6 सीटें मिल सकती हैं. इस एग्जिट पोल के नतीजों में ओल्ड मैसूर रीजन में बीजेपी की हार होती हुई दिख रही है, वहीं जेडीएस का गढ़ माने जाने वाले इस इलाके में कांग्रेस को सबसे ज्यादा सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है. लिंगायत समाज के असर वाले इलाकों में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा दिख रहा है. आइए जानते हैं एबीपी-सी-वोटर एग्जिट पोल के दिमाग हिलाने वाले 5 आंकड़े.
ओल्ड मैसूर रीजन में बीजेपी की हार!
कर्नाटक के ओल्ड मैसूर रीजन में विधानसभा की 55 सीटें हैं. इस रीजन में सात जिले- चामराज नगर, हासन, मांड्या, मैसूर, कोलार, तुमकुर और चिक्कबल्लपुर आते हैं. यहां चुनावी मिजाज कांग्रेस बनाम जेडीएस का रहता है. इलाके को जेडीएस का गढ़ माना जाता है. इलाके में वोक्कालिगा समुदाय का प्रभाव ज्यादा है.
दूसरे नंबर पर अनुसूचित जाति और कोरबा समुदाय का असर है. पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा वोक्कालिगा और सिद्धारमैया कोरबा समुदाय से आते हैं. सिद्धारमैया रीजन रीजन के 63 फीसदी AHINDA समाज (ओबीसी, मुस्लिम और अनुसूचित जाति) को साधने की कोशिश करते आ रहे हैं. इसमें 33 फीसदी ओबीसी, 13 फीसदी मुस्लिम, 17 फीसदी अनुसूचित जाति के लोग हैं.
हालांकि, अब तक देखा गया है कि जेडीएस की इलाके में खासी पकड़ रहती है लेकिन एबीपी न्यूज-सीवोटर एग्जिट पोल के आंकड़े बताते हैं कि इस रीजन की 55 सीटों में से सबसे ज्यादा 28 से 32 सीटें कांग्रेस को मिल सकती हैं. दूसरे नंबर पर जेडीएस को 19 से 23 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है.
वहीं, बीजेपी को शून्य से 4 सीटें मिल सकती हैं जबकि अन्य के खाते में शून्य से 3 सीटें जा सकती हैं. अगर यह अनुमान रिजल्ट में तब्दील होता है तो जेडीएस के इस गढ़ में कांग्रेस का झंडा बुलंद माना जाएगा.
लिंगायत के गढ़ में कांग्रेस को बढ़त
सेंट्रल कर्नाटक रीजन की 35 विधानसभा सीटों पर लिंगायत मतदाताओं का असर सबसे ज्यादा माना जाता है लेकिन यहां AHINDA समाज के भी काफी वोट हैं. इस रीजन को बीजेपी का गढ़ माना जाता है. इसी इलाके से बीएस येदियुरप्पा राजनीति करते आए हैं. 2018 में इस रीजन की 35 में से 24 सीटें बीजेपी को मिली थीं, वहीं कांग्रेस को केवल 11 सीटें मिली थीं.
इस बार एबीपी न्यूज-सी-वोटर एग्जिट पोल के आंकड़े चौंका रहे हैं. एग्जिट पोल में इस रीजन में सबसे ज्यादा 18 से 22 सीटें कांग्रेस को जाती हुई दिख रही हैं. वहीं, बीजेपी को 12 से 16 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है. जेडीएस के खाते में शून्य से 2 सीटें और अन्य को शून्य से 1 सीट मिलने का भी अनुमान एग्जिट पोल के आंकड़ों में जताया गया है.
बीजेपी के गढ़ में कांग्रेस की सेंधमारी!
35 सीटों वाले सेंट्रल कर्नाटक रीजन को बीजेपी का गढ़ माना जाता है. पिछले विधानसभा चुनाव में इस रीजन में कांग्रेस के मुकाबले बीजेपी को 13 सीटें ज्यादा मिली थीं. पिछले चुनाव में यहां बीजेपी को 24 और कांग्रेस को 11 सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार वोट प्रतिशत हो या सीटों का आंकड़ा, एक्जिट पोल का अनुमान बता रहा है कि कांग्रेस ने बीजेपी के इस गढ़ में सेंधमारी कर दी है.
एबीपी न्यूज-सी-वोटर एग्जिट पोल के आंकड़ों में यहां सबसे ज्यादा वोट शेयर 44 फीसदी कांग्रेस को मिलता दिख रहा है. बीजेपी को 39 फीसदी वोट शेयर, जेडीएस को 10 फीसदी वोट शेयर और अन्य को 7 फीसदी वोट शेयर मिल सकता है.
वहीं, एग्जिट पोल के आंकड़ों में सीटों के मामले में यहां बीजेपी को 12-16 सीटें, कांग्रेस को 18-22 सीटें, जेडीएस को 0-2 सीटें और अन्य को 0-1 सीट मिल सकती है. इस एग्जिट पोल के नतीजों की पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजों से तुलना करें तो जहां बीजेपी की सीटें कम आती दिख रही हैं तो वहीं कांग्रेस को बढ़त मिलती नजर आ रही है.
जानकार मानते हैं कि लिंगायत के असर वाले इलाके में कांग्रेस ने बीजेपी के वोटबैंक में यहां सेंधमारी कर दी है. जानकार मानते हैं कि सीएम चेहरे के रूप में बीएस येदियुरप्पा को हटाए जाने के बाद इस रीजन में बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ सकता है क्योंकि पूर्व सीएम की लिंगायत समाज में खासी पकड़ है.
शहरी क्षेत्र वाले ग्रेटर बेंगलुरु रीजन में बीजेपी मजबूत
2018 में ग्रेटर बेंगलुरु रीजन की 32 सीटों में से कांग्रेस को 17 और बीजेपी को 11 सीटें मिली थीं. इस बार के एबीपी न्यूज-सीवोटर एग्जिट पोल के आंकड़ों में बीजेपी इस रीजन में बाजी मारती हुई दिख रही है.
एग्जिट पोल के अनुमान के मुताबिक, इस रीजन में बीजेपी को 15 से 19 सीटें, कांग्रेस को 11 से 15 सीटें, जेडीएस को 1 से 4 सीटें और अन्य को शून्य से 3 सीटें मिल सकती हैं. जानकारों के मुताबिक ग्रेटर बेंगलुरु रीजन शहरी क्षेत्र हैं, जहां फिलहाल बीजेपी की पकड़ मजबूत मानी जाती है. यहां बजरंग दल का मुद्दा बीजेपी को फायदा पहुंचा सकता है.
दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा सीटों वाले रीजन में कांग्रेस-बीजेपी में टक्कर!
ओल्ड मैसूर रीजन के बाद सबसे ज्यादा विधानसभा सीटें मुंबई-कर्नाटक रीजन में हैं. यहां विधानसभा की 50 सीटें हैं. मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और बीजेपी का प्रभाव इस रीजन में माना जाता है. इस रीजन में भी लिंगायत वोटर काफी अहम हैं.
इस बार बीजेपी के लिए समस्या यह है कि जगदीश शेट्टार हो या लक्ष्मण सावदी जैसे लिंगायत नेता पाला बदलकर कांग्रेस के खेमे चले गए हैं. जिसके चलते कांग्रेस को लाभ मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है. हालांकि, एबीपी न्यूज-सीवोटर एग्जिट पोल के आंकड़ों में इस रीजन में कांग्रेस और बीजेपी में टक्कर नजर आ रही है.
पोल के आंकड़ों में इस रीजन में बीजेपी को 43 फीसदी, कांग्रेस को 44 फीसदी, जेडीएस को 6 फीसदी और अन्य को 7 फीसदी वोट शेयर इस रीजन से मिल सकता है. वहीं, सीटों के मामले में बीजेपी को 24-28 सीटें, कांग्रेस को 22-26 सीटें, जेडीएस को 0-1 सीट और अन्य को 0-1 सीट मिल सकती है.
गौरतलब है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में इस रीजन की 50 सीटों में से बीजेपी ने 30 सीटें और कांग्रेस ने 17 सीटें जीती थीं. इस लिहाज से बीजेपी को जहां नुकसान और कांग्रेस को फायदा होता दिख रहा है. वहीं, एग्जिट पोल के आंकड़ों में लड़ाई कांटे की नजर आ रही है.
ओल्ड मैसूर रीजन की 55 सीटें और मुंबई-कर्नाटक रीजन की 50 सीटें चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं. दोनों रीजन की मिलाकर 105 सीटें होती हैं. जो पार्टी इन दो रीजन में सबसे ज्यादा सीटें जीतेगी, उसकी सरकार बनने का रास्ता आसान हो जाएगा. हालांकि, पूरी तस्वीर 13 मई को मतगणना के साथ साफ होगी.
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