Bjp Mp Kangana Ranaut : कंगना रनौत की सांसदी जाएगी या नहीं, जान लें क्या कहता है संविधान, ये हैं नियम
Bjp Mp Kangana Ranaut : अगर किसी प्रत्याशी का नामांकन बिना वजह निरस्त किया गया है तो जीतने वाले का चुनाव रद्द हो सकता है. हाई कोर्ट से आया है कंगना को नोटिस
Bjp Mp Kangana Ranaut : बीजेपी सांसद कंगना रनौत की सांसदी जा सकती है, क्योंकि उनके चुनाव को लेकर हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका डाली गई है. कंगना मंडी जिले से सांसद हैं. अब कोर्ट ने उन्हें नोटिस भेजा है, जिसका जवाब कंगना को 21 अगस्त तक देना है. याचिका डालने वाले निर्दलीय उम्मीदवार राम नेगी ने कोर्ट में दलील दी है कि तय मानदंड पूरे होने के बावजूद उनका नामांकन खारिज कर दिया गया था. ऐसे में कंगना का चुनाव रद्द किया जाना चाहिए. अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सच में कंगना की सांसदी जा सकती है. किसी भी नेता की सांसदी जाने के क्या नियम हैं, जान लेते हैं.
अगर ऐसा हुआ तो जा सकती है सांसदी
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 100 के मुताबिक, किसी चुनाव को रद्द किया जा सकता है. इसके खण्ड C के अनुसार, चुनाव में अगर किसी का नॉमिनेशन गलत तरीके से रद्द किया गया है तो चुनाव को भी रद्द किया जा सकता है. कंगना की सांसदी तभी रद्द हो सकती है, जब राम नेगी अपने दावे को कोर्ट में साबित कर पाएंगे.
जानें किस स्थिति में हटाया जा सकता है सांसद
वहीं, लोकसभा स्पीकर को भी सांसद के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है. संसद की संचालन प्रक्रिया नियम के नंबर 373 में कहा गया है कि यदि लोकसभा स्पीकर को सदन में किसी सांसद का व्यवहार आपत्तिजनक लगता है तो स्पीकर सांसद को एक दिन के लिए सदन से निकाल सकते हैं. दोषी सांसद को पूरे दिन सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने नहीं दिया जाएगा. वहीं, नियम नंबर 374-A में प्रावधान है कि यदि लोकसभा स्पीकर को किसी सदस्य का व्यवहार आपत्तिजनक महसूस होता है तो उसे पूरे संसद सत्र से सस्पेंड किया जा सकता है. लोकसभा स्पीकर चाहे तो किसी सांसद को जेल भी भेज सकता है.
इनमें से कोई भी गलती की तो सांसद होगा सस्पेंड
संविधान के अनुच्छेद 101 और 102 में किसी सांसद को अयोग्य घोषित करने का भी प्रावधान है. संसद ने संविधान के अनुच्छेद 102 (E) के तहत दलबदल अधिनियम और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम बनाया है, जिनके तहत किसी सांसद को सदन से बाहर करने का करने का प्रावधान किया गया है. सांसद खुद इस्तीफा देकर सदन से बाहर भी हो सकता है. संविधान के अनुच्छेद 101 और 102 में सांसद को अयोग्य घोषित करने और सदन से बाहर करने का प्रावधान किया गया है. हालांकि, इसमें कुछ शर्तें हैं. अगर कोई सांसद भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन किसी ऐसे लाभ के पद पर है, जिसकी कानून इजाजत नहीं देता है तो उसे अयोग्य घोषित किया जा सकता है. अगर कोई सांसद दिमागी रूप से विकृत है, किसी न्यायालय ने ऐसी घोषणा की है तो उस सांसद को अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा. अगर कोई सांसद दिवालिया हो गया है तो भी उसकी सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित किया जा सकता है. अगर किसी सांसद ने किसी दूसरे देश की नागरिकता हासिल कर ली है तो भी उसे हटाया जा सकता है. वहीं, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 और 8A के तहत किसी सांसद को अयोग्य घोषित करने का प्रावधान है. इनके तहत कई अपराध और अधिनियम का जिक्र किया गया है, जिनमें दोषी पाए जाने और सजा मिलने पर अयोग्य घोषित किया जा सकता है.
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