मुंबई: महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिलने के बाद भी सरकार गठन पर सस्पेंस बरकरार है. दरअसल, शिवसेना मुख्यमंत्री पद की मांग कर रही है और बीजेपी इसके लिए राजी नहीं है. यही नहीं शिवसेना बीजेपी के धुर-विरोधियों में गिने जाने वाले शरद पवार की भी लगातार तारीफ कर रही है. आज ही शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा कि इस बार शरद पवार ने बीजेपी का अश्व रोका. साथ ही कहा कि महाराष्ट्र की सत्ता का ‘रिमोट कंट्रोल’ उद्धव ठाकरे के हाथ में आ गया है.


सामना के कार्यकारी संपादक और शिवसेना सांसद संजय राउत ने लिखा, ''कांग्रेस और राष्ट्रवादी इन दो प्रमुख पार्टियों ने मिलकर ही 100 की सीमा पार कर ली. इसका पूरा श्रेय अकेले शरद पवार को जाता है. बीते कुछ दिनों में शरद पवार के जुझारूपन के संबंध में काफी कुछ प्रकाशित हुआ. वर्ष 2014में भारतीय जनता पार्टी के अश्व को रोकने का काम उद्धव ठाकरे ने किया था. वर्ष 2019 में ये काम शरद पवार ने किया. ये महाराष्ट्र की विशेषता है.''


शिवसेना ने चुनाव नतीजों के अगले दिन 25 अक्टूबर को भी शरद पवार की तारीफ की थी. दरअसल, महाराष्ट्र में इस सवाल पर भी चर्चा है कि क्या एनसीपी सरकार बनाने के लिए शिवसेना का साथ देगी और कांग्रेस इस सरकार को बाहर से समर्थन देकर बहुमत तक पहुंचाएगी? हालांकि शरद पवार पहले ही शिवसेना को समर्थन देने से इनकार कर चुके हैं. शनिवार को उन्होंने कहा कि जनता ने उन्हें विपक्ष में बैठने के लिए बहुमत दिया है.


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शिवसेना ने कहा, ''बीजेपी ने 106 और शिवसेना ने 56 जगह जीत हासिल की है. यह स्पष्ट बहुमत है, परंतु ‘युति’ (गठबंधन) होने के बावजूद भी दोनों पार्टियों को प्रचंड सफलता नहीं मिली. साल 2014 में स्वतंत्र रूप से लड़कर बीजेपी ने 122 और शिवसेना ने 63 सीटें जीती थीं. मजबूत सत्ता, प्रचंड धनशक्ति को टक्कर देते हुए शिवसेना ने तब ये यश हासिल किया था. इस बार अपने हाथ में सत्ता, युति का समर्थन होने के बाद भी शिवसेना 56 सीटों पर सीमित हो गई. ये 56 का आंकड़ा तुलनात्मक रूप से कम होगा फिर भी महाराष्ट्र की सत्ता का ‘रिमोट कंट्रोल’ उद्धव ठाकरे के हाथ में आ गया है.''


शिवसेना ने आगे कहा, ''महाराष्ट्र में विरोधी पार्टी शेष नहीं रहेगी और महाराष्ट्र से हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगी, ऐसा बयान बीजेपी के मुख्यमंत्री सहित अन्य नेताओं ने दिया था. महाराष्ट्र की ग्रामीण क्षेत्र की जनता को ये बातें पसंद नहीं आई. उन्होंने एक सशक्त विरोधी दल महाराष्ट्र में तैयार कर दिया.''


सामना में लिखा गया है, ''शिवसेना को रोकने का और विरोधियों को रौंदते हुए आगे बढ़ने की उनकी योजना को लोगों ने ठुकरा दिया. कांग्रेस-राष्ट्रवादी के दल-बदलुओं को खरीदकर और जांच की धौंस दिखाकर चुनकर लाना और इसके लिए आयाराम-गयारामों का जो बाजार सजाया गया, वह शेयर बाजार की तरह धराशायी हो गया. राष्ट्रवादी से बीजेपी-शिवसेना में आए ज्यादातर बड़े नेता परास्त हो गए और उन्हें आम कार्यकर्ताओं ने पराजित किया.''


शिवसेना ने कहा कि मुख्यमंत्री कौन, सरकार कैसे और किसकी, इसकी चर्चा बंद है. ये पटाखे दिवाली के बाद ही फूटेंगे. महाराष्ट्र लड़नेवालों और संघर्ष करनेवालों के पीछे खड़ा रहता है और संकट के समय लड़नेवालों का साथ देता है, ऐसा बालासाहेब ठाकरे के दौर में देखने को मिला.


पार्टी ने आगे कहा, ''106 सीटें जीतकर भी बीजेपी के सिर पर तलवार लटक रही है और फडणवीस के चेहरे पर तनाव है. उन्मादी बर्ताव करनेवाले अंतत: ‘उदयनराजे’ बन जाते हैं और राजा होने के बाद भी फिर प्रजा उन्हें भाव नहीं देती है. शरद पवार ने महाराष्ट्र के लिए क्या किया, ऐसा सवाल पूछा गया. इसका जवाब सातारा सहित महाराष्ट्र की सौ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में मिला. शिवसेना गिड़गिड़ाते हुए आएगी, ये सपना भी साकार नहीं हुआ. शिवसेना का बाघ हाथ में कमल लेकर दहाड़ रहा है, ऐसा व्यंग्यचित्र प्रकाशित हुआ. यह बोलनेवाला है. महाराष्ट्र का स्वभाव अलग है. पूर्वाग्रह न पालें, यही इस परिणाम का अर्थ है. आगे की आगे देखेंगे.''


क्या है सीटों का समीकरण?
बीजेपी महाराष्ट्र में 105 सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है और शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने 288 सदस्यीय विधानसभा में क्रमश: 56, 54 और 44 सीटें जीती हैं. यहां सरकार बनाने के लिए 145 सीटों की जरूरत होती है. बीजेपी को इस चुनाव में 17 सीटों का नुकसान हुआ है.