लोकसभा चुनाव 2024 में एनडीए ने 400 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. पीएम मोदी और अमित शाह का सपना 50 फीसदी वोट हासिल करने का भी है. किसी भी पार्टी या गठबंधन को 50 फीसदी वोट मिलना पूरे देश में उनके स्पष्ट बहुमत का प्रतीक है. 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 37.46 फीसदी वोट हासिल किए थे और 303 सीट को साथ अपने दम पर बहुमत हासिल किया था. ऐसे में 50 फीसदी वोट हासिल करने पर भारतीय जनता पार्टी के पास सदन में स्पष्ट बहुमत होगा. इस स्थिति में पार्टी को भी विधेयक पार सकती है और पूरी स्वतंत्रता के साथ सरकार फैसले ले सकती है.


पीएम मोदी का दूसरा कार्यकाल खत्म होने की कगार पर है. ऐसे में एनडीए भले ही 400 से ज्यादा सीटें जीतने का दम भर रहा है, लेकिन 2014 से पहले 200 सीटें जीतना भी भाजपा के लिए एक सपना ही था. 1984 में तो पार्टी को महज दो सीटें मिली थीं. यहां हम बता रहे हैं कि 35 साल में बीजेपी की सीटें और वोट शेयर कैसे बढ़ा है.


1984 में 7.74 फीसदी था बीजेपी का वोट शेयर
भारतीय जनता पार्टी का उदय भारतीय जन संघ से हुआ है. यह दल 1951 से ही चुनाव लड़ता आ रहा है, लेकिन कभी भी इस दल को ज्यादा सीटें नहीं मिलीं. जन संघ का वोट शेयर भी कुछ खास नहीं था. साल 1984 में भारतीय जनता पार्टी अस्तित्व में आई. अपने पहले चुनाव में इस पार्टी को सिर्फ दो सीटें मिली और वोट शेयर भी 7.74 फीसदी था. हालांकि, इसके बाद 1989 में पार्टी ने बड़ी छलांग लगाई और 85 सीटें हासिल की. इस बार बीजेपी सत्ता में नहीं थी, लेकिन सरकार से बाहर रहकर ही समर्थन दिया.


1991 में 120 सीटें जीतने के बावजूद बीजेपी विपक्ष में रही. 1996 में 161 सीट जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी पहले सरकार में रही, लेकिन बाद में उसे विपक्ष में रहना पड़ा. 1998 में 182 सीटें जीतने वाली बीजेपी सत्ता में आई, लेकिन सरकार ज्यादा दिन नहीं चली. 1999 में फिर बीजेपी को 182 सीटें मिली, लेकिन इस बार सरकार पांच साल तक चली. 1999 में पहली बार ऐसा हुआ था, जब भाजपा को किसी सीट का फायदा नहीं हुआ था और वोट शेयर में कमी आई थी. 


2004 में पहली बार ऐसा हुआ, जब किसी चुनाव में भाजपा की सीटों में कमी आई. पार्टी को 44 सीटों का नुकसान हुआ. हालांकि, वोट शेयर सिर्फ 1.69 फीसदी ही कम हुआ था. 138 सीट जीतकर भारतीय जनता पार्टी विपक्ष में रही और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने. 2009 में भाजपा की हालत और बिगड़ गई. इस बार वोट शेयर 18.80 फीसदी रह गया, जो 1998 में 25.59 फीसदी था. पार्टी को सिर्फ 116 सीटें मिलीं. 


मोदी ने बदली तकदीर
2014 में भाजपा ने नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा और पहली बार 200 का आंकड़ा पार किया. पार्टी को 166 सीटों का फायदा हुआ और वोट शेयर भी 12.54 फीसदी बढ़ गया. 282 सीट जीतकर 31.34 वोट शेयर के साथ भारतीय जनता पार्टी सत्ता में लौटी. 2019 में ये आंकड़े और भी बेहतर हुए. सीट की संख्या 303 पहुंच गई. पहली बार बीजेपी ने तिहरा शतक लगाया. वोट शेयर भी 37.46 फीसदी हो गया. अब नरेंद्र मोदी का लक्ष्य 400 से ज्यादा सीटें जीतना और 50 फीसदी वोट शेयर हासिल करना है. इसके लिए पार्टी को गैर हिंदी भाषी राज्यों में भी अच्छा प्रदर्शन करना होगा.