By Elections Result: लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रदर्शन को लेकर अब तक चर्चाएं बंद नहीं हुई है. भाजपा लोकसभा चुनाव में भाजपा को कई सीटों का नुकसान हुआ. उसके बाद 7 राज्यों की 13 सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम भी आ गए. हिमाचल और उत्तराखंड में दो-दो सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की तो वहीं पश्चिम बंगाल में टीएमसी ने चारों सीटों पर झंडे गढ़ दिए. अब देखना यह है कि उपचुनाव में करारी हार झेलने के बाद महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव पर इसका क्या असर पड़ेगा. 


उपचुनाव को लेकर वरिष्ठ पत्रकार गौतम लाहिड़ी का कहना है कि ध्रुवीकरण की पॉलिटिक्स की फिर से हार हुई है. उन्होंने कहा कि वह उत्तराखंड की सीट भारतीय जनता के पार्टी के खेमे में थी और UCC लागू होने के बावजूद भी बद्रीनाथ जैसी सीट कांग्रेस के खाते में चली गई. वहीं पश्चिम बंगाल में दलित और ट्राईबल लोगों ने भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर टीएमसी को वोट दिया. 


CAA के बाद भी भाजपा को जनता ने नकारा


वहीं CAA लागू होने के बावजूद भी भाजपा की नहीं बल्कि टीएमसी के जीत हुई. जो कैंडिडेट पहले भाजपा की टिकट से चुनाव में खड़े थे, वही इस उप चुनाव में टीएमसी की टिकट से खड़े हुए, लेकिन भाजपा को जनता ने नकार दिया.


BJP को नए हथियार की जरूरत


वरिष्ठ पत्रकार का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी को किसी नए हथियार की जरूरत है. पुरानी रणनीति अब कहीं काम नहीं आएगी और उससे भारतीय जनता पार्टी कहीं भी जीत नहीं सकती. उन्होंने ये भी कहा कि ममता बनर्जी खाली नाम की इंडिया गठबंधन की सहयोगी है. लोकसभा चुनाव में टीएमसी किसी के साथ नहीं लड़ी थी, लेकिन उपचुनाव में चार सीटों पर जीत दर्ज करने के बाद हो सकता है कि ममता बनर्जी इंडिया गठबंधन की कमान लेने की कोशिश करें. 


टीडीपी और बिहार की डिमांड नहीं हुई पूरी तो क्या होगा?


वरिष्ठ पत्रकार का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी के लिए बजट सेशन तक एक बड़ी परीक्षा है. टीडीपी और बिहार की डिमांड को कैसे पूरा करते हैं. यदि उनकी मांग पूरी नहीं कर पाए तो खेल कुछ और ही हो जाएगा.


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