गुजरात विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए हर पार्टी तरह-तरह के समीकरण साधने में लग गई है. इन्हीं में एक है जातीय समीकरण जिसपर सभी पार्टियों की नजर है. कांग्रेस-बीजेपी और आम आदमी पार्टी आदिवासी वोट बैंक पर नजर बनाए हैं.
आदिवासी वोट गुजरात चुनाव में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी और 22 सालों से राजनीतिक वनवास काट रही कांग्रेस के लिए बड़ा अहम माना जा रहा है. गुजरात में करीब 15% आबादी आदिवासियों की है. इनके लिए 26 सीटें रिजर्व हैं. इन पर किसी भी पार्टी का एकतरफा दबदबा नहीं है. इसके अलावा ओवरआल 35 से 40 सीटों पर आदिवासी वोटर असरदार हैं. आइए समझ लेते हैं गुजरात विधानसभा चुनाव में आदिवासी सीटों का गणित क्या है.
गुजरात में आदिवासी सीटों का गणित जान लीजिए
गुजरात में आदिवासी (एसटी) सीटों का गणित
1-गुजरात में करीब 15 फीसदी आबादी एसटी है.
2-गुजरात में 24 फीसदी कोली के बाद आदिवासी आबादी सबसे ज्यादा है.
3-गुजरात की आदिवासी आबादी में 47 फीसदी भील समाज के हैं.
4-27 सीटें एसटी समाज के लिए आरक्षित है.
5-करीब 30 सीटों पर एसटी समाज के लोग जीत हार तय करते है.
6-एसटी के लिए रिजर्व सीटें बीजेपी के लिए कमजोर कड़ी है.
7-पिछले 3 चुनाव में बीजेपी एसटी के लिए रिजर्व सीटों का 50 फीसदी भी नही जीत सकी.
2017 में एसटी सीटों के नतीजे
-कुल सीट – 27
-बीजेपी – 9 (33%)
-कांग्रेस – 15 (55.55%)
-बीटीपी – 2
-निर्दलीय - 1
2012 में एसटी सीटों के नतीजे
-कुल सीट – 27
-कांग्रेस – 16
-बीजेपी – 10 (37%)
-जेडीयू - 1
2007 में एसटी सीटों के नतीजे
-कुल सीट – 26
-बीजेपी – 11 (42%)
-कांग्रेस – 14
-जेडीयू – 1
आदिवासी बहुल जिले (राज्य में आदिवासी आबादी 15 फीसदी है)
-डांग – 95 फीसदी
-तापी – 84 फीसदी
-नर्मदा – 82 फीसदी
-दाहोद – 74 फीसदी
-वलसाड – 53 फीसदी
-नवसारी – 48 फीसदी
-भरूच – 31 फीसदी
-पंचमहाल – 30 फीसदी
-वडोदरा – 28 फीसदी
-सबारकांठा - 22 फीसदी